मुंबई. प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ पहुंचीं अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने संन्यास की दीक्षा ले ली है. अभिनेत्री को नया नाम दे दिया गया है. दीक्षा लेने के बाद ममता कुलकर्णी ने भगवा वस्त्र धारण कर लिया है. महाकुंभ पहुंचीं ममता कुलकर्णी ने संगम तट पर अपने हाथों से पिंडदान किया.
ममता कुलकर्णी अब यमाई ममता नंद गिरि के नाम से जानी जाएंगी. ममता एक दिन पहले ही महाकुंभ पहुंची थीं. पट्टाभिषेक से पहले ममता संगम स्नान और पिंड दान किया. स्नान के बाद यह भी साफ किया कि वह क्यों महामंडलेश्वर बन रही हैं. उन्होंने अपने महामंडलेश्वर बनने को मां काली का आदेश बताया. ममता ने कहा कि सन 2000 के बाद से ही मैंने तपस्या शुरू कर दी थी. मैंने आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी को अपना पट्टागुरु चुना.
कल मुझे महामंडलेश्वर बनाने के बारे में पूछा गया था. आज महाकाली का दिन है. आज सुबह ही मां काली ने आदेश दिया कि मुझे लक्ष्मी नारायण जी को आचार्य चुनना है. वह साक्षात अर्धनारीश्वर के स्वरूप हैं. एक अर्धनारीश्वर के हाथों पट्टाभिषेक से बड़ी क्या उपाधि हो सकती है. ममता ने कहा कि महामंडलेश्वर के लिए मेरी परीक्षा ली गई. 23 साल में मैंने क्या ध्यान और साधना किया, इस बारे में काफी सवाल किए गए. जो-जो पूछा गया, मैंने सब कुछ बताया. इसके बाद मुझे यह उपाधि मिल रही है. हर तरह की परीक्षा के बाद मैं पास हुई हूं.
ममता के महामंडलेश्वर की दीक्षा लेने पर कुछ साधु संतों के नाराज होने की बात पर कहा कि बहुत से मेरे फैंस भी नाराज होंगे. वह चाहते होंगे कि मैं बॉलीवुड में दोबारा आऊंगी. लेकिन नहीं आ रही हूं. महाकाल की इच्छा, मां काली की इच्छा के बिना कुछ नहीं होता है. इनके आगे किसी का कुछ नहीं चलता है. यही परब्रह्म हैं.
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