सुप्रीम कोर्ट: डीएनए टेस्ट के लिए केवल अफेयर के ग्राउंड पर दावा नहीं किया जा सकता है!

सुप्रीम कोर्ट: डीएनए टेस्ट के लिए केवल अफेयर के ग्राउंड पर दावा नहीं किया जा सकता है!

प्रेषित समय :19:49:00 PM / Wed, Jan 29th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि.... माता के अफेयर के आधार पर किसी अन्य व्यक्ति के लिए बायोलॉजिकल पिता का दावा करना, पितृत्व के कानूनी सिद्धांत को चुनौती देने के लिए पर्याप्त नहीं है.
खबरें हैं कि.... सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यदि यह मान भी लिया जाए कि कोई महिला एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में थी और उससे ही बच्चे का जन्म हुआ, तब भी यह दलील डीएनए टेस्ट कराने के लिए पर्याप्त नहीं है.
एक युवक का कहना था कि उसका जन्म अपनी माता के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर से हुआ है, उसके बायोलॉजिकल पिता का डीएनए टेस्ट कराया जाए, जिससे उसे गुजारा भत्ता मिल सके.
इस पर अदालत का कहना है कि- वैधता और पितृत्व एक-दूसरे से जुड़े हैं, यदि वैध विवाह के बाद बच्चा पैदा हुआ है, तो पितृत्व का स्वतः निर्धारण हो जाता है, मतलब.... बायोलॉजिकल पिता की जांच के लिए डीएनए जैसे किसी भी टेस्ट की जरूरत नहीं होती है.
खबरों की मानें तो.... अदालत का कहना है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 112 का प्रावधान कहता है कि वैध विवाह के दौरान या वैवाहिक संबंध समाप्त होने के 280 दिनों के भीतर जन्म लेनेवाला कोई भी बच्चा उसी पति की वैध संतान मानी जाएगी.
खबरों पर भरोसा करें तो.... सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच का कहना है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 112 यह सुनिश्चित करती है कि बच्चे की वैधता और पितृत्व को लेकर किसी तरह की अनुचित जांच से बचा जा सके, डीएनए टेस्ट के लिए केवल अफेयर के ग्राउंड पर दावा नहीं किया जा सकता है, ऐसे मामलों में डीएनए टेस्ट का आदेश देना निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-