पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट ने नर्मदा नदी को लेकर सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि नर्मदा तट के दोनों ओर तीन सौ मीटर तक किसी तरह के कोई निर्माण कार्य नहीं होगें. इस क्षेत्र को खुला ही रखा जाएगा. वहीं लैंडस्केप, गार्डन, पार्किंग, पम्प हाउस, वॉच मैन हाउस बनाने की अनुमति दी गई है.
हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि संशोधित विकास योजना 2021 का कड़ाई से पालन किया जाए. याचिका के दौरान यह सामने आया कि तिलवाराघाट में प्रतिबंधित क्षेत्र में दयोदय पशु संवर्धन केंद्र प्रस्तावित है. 2019 में केंद्र की ओर से अंडरटेकिंग दी गई थी कि कोर्ट की अनुमति के बिना कोई निर्माण नहीं होगा.
अब हाई कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दो सप्ताह के भीतर सत्यापन कर यह तय करें कि प्रस्तावित निर्माण प्रतिबंधित क्षेत्र में आता है या नहीं. 2019 से यह मामला लंबित रहा, नर्मदा मिशन व समर्थ गौ चिकित्सा केंद्र ने 2019 में जनहित याचिका दायर कर नर्मदा तट पर अवैध निर्माण का मुद्दा उठाया था. याचिका में कहा गया कि मास्टर प्लान 2021 के तहत नर्मदा के उच्चतम बाढ़ स्तर से 300 मीटर दायरे में कोई भी निर्माण प्रतिबंधित है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी इसे नो-कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया था. सरकार ने 5 अक्टूबर 2015 को अधिसूचना जारी कर इस क्षेत्र को संरक्षित किया था.
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