पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर में हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार है तो कुछ भी किया जाएगा, जिस तरह गुंडे लोगों की जमीन खाली कराकर उन्हे बेदखल करते है. अब उसी तरह का अब राज्य सरकार व अधिकारी कर रहे है.
इस आशय की टिप्पणी एमपी हाईकोर्ट की जबलपुर बैंच ने शशि पांडे की याचिका पर सुनवाई करते हुए की है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दो माह के अंदर मुआवजा राशि प्रतिमाह की दर से देने के निर्देश भी दिए हैं. इस पर सरकार को हर हाल में दो माह में ही निर्णय लेना होगा. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में मुआवजा राशि उस समय पदस्थ रहे सभी कलेक्टर से वसूलने के निर्देश भी दिए हैं. हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि कलेक्टर्स की अनदेखी के चलते मामला इतने वर्षों से लंबित है और अब इसका आर्थिक बोझ राज्य सरकार पर पड़ेगा. जस्टिस जीएस अहलूवालिया की कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि आदेश का पालन सुनिश्चित कर हाई कोर्ट जबलपुर के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष रिपोर्ट पेश करें. हाई कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि शासकीय तंत्र के रवैए पर उसे बहुत नाराजगी होती है. कोर्ट के आदेश की भी तामील नहीं की जा रही है. हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार गुंडों की तरह काम नहीं कर सकती है. किसी को भी किसी की जमीन से बेदखल कर दे और फिर वो मुआवजा के लिए चक्कर काटे. गौरतलब है कि अधारताल निवासी शशि पांडे की हाईवे से लगी करीब 30 हजार स्क्वायर फिट जमीन है. साल 1988 में सरकार ने इस जमीन का अधिग्रहण किया. लेकिन आज तक मुआवजा नहीं दिया. महिला की जमीन की कीमत करोड़ों रुपए है. याचिकाकर्ता ने तहसीलदार से लेकर एसडीएम और कलेक्टर से भी जमीन की राशि के लिए मुलाकात कर निवेदन किया. जब कहीं से भी मदद नहीं मिली तो शशि पांडे ने 2023 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने जबलपुर निवासी शशि पांडे को उसकी जमीन के बदले वर्ष 1988 से अभी तक का मुआवजा 10000 रुपए प्रतिमाह की दर से भुगतान करने सरकार को निर्देश दिए हैं.