ट्रम्प आंख के बदले आंख की तर्ज पर टैरिफ लगाएंगे, भारत को हर वर्ष होगा 61 हजार करोड़ रुपए का नुकसान, अमेरिकी सामान सस्ते हो सकते हैं

ट्रम्प आंख के बदले आंख की तर्ज पर टैरिफ लगाएंगे

प्रेषित समय :15:07:57 PM / Thu, Mar 6th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. अमेरिका 2 अप्रैल से भारत पर आंख के बदले आंख की तर्ज पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाएगा. इसका आशय यह कि भारत जितना टैरिफ अमेरिकी कंपनियों से आने वाले सामान पर लगाएगा. अमेरिका भी उतना ही टैरिफ भारतीय कंपनियों के अमेरिका जाने वाले सामान पर लगाएगा.

ये ऐलान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय समय के मुताबिक 5 मार्च को सुबह अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन में किया. उन्होंने रिकॉर्ड 1 घंटा 44 मिनट का भाषण दिया. अमेरिका इस फैसले से भारत इसका खसा असर पड़ेगा. जैसे टेस्ला का साइबर ट्रक अमेरिकी बाजार में करीब 90 लाख रुपए में बिकता है. अगर टैरिफ 100 प्रतिशत है तो भारत में इसकी कीमत करीब 2 करोड़ हो जाएगी. रेसिप्रोकल का मतलब होता है कि तराजू के दोनों पलड़े को बराबर कर देना. यानी एक तरफ 1 किलो भार है तो दूसरी तरफ भी एक किलो वजन रख कर बराबर कर देना. ट्रम्प इसे ही बढ़ाने की बात कर रहे हैं.

यानी भारत अगर कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर 100 प्रतिशम टैरिफ लगाता है तो अमेरिका भी उस तरह के प्रोडक्ट्स पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा. ये सबकुछ टैरिफ ट्रम्प के इकोनॉमिक प्लान्स का हिस्सा हैं. उनका कहना है कि टैरिफ से अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा व रोजगार बढ़ेगा. टैक्स रेवेन्यू बढ़ेगा व इकोनॉमी बढ़ेगी. 2024 में अमेरिका में आयात का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा चीन, मैक्सिको व कनाडा से आए सामानों का था. कम टैरिफ से अमेरिका को व्यापार घाटा हो रहा है. 2023 में अमेरिका को चीन से 30.2 प्रतिशत, मेक्सिको से 19 प्रतितशत व कनाडा से 14.5 प्रतिशत व्यापार घाटा हुआ.

कुल मिलाकर ये तीनों देश 2023 में अमेरिका के 670 अरब डॉलर यानी करीब 40 लाख करोड़ रुपए के व्यापार घाटे के लिए जिम्मेदार हैं. ट्रम्प सरकार इसी घाटे को कम करना चाहती है. इसलिए 4 मार्च 2025 से मेक्सिको व कनाडा पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू हो गया है. चीन पर भी अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लागू हो गया है. 2 अप्रैल से भारत पर भी रेसिप्रोकल टैरिफ लगने जा रहा है. कम टैरिफ से अमेरिका को कैसे घाटा हो रहा है इसे एक उदाहरण से समझते हैं. हार्ले-डेविडसन सहित यूएस मेड मोटरसाइकिलों पर भारत में 100 प्रतिशत टैरिफ है. लेकिन भारत से अमेरिका में एक्सपोर्ट होने वाली गाडिय़ों पर इसके मुकाबले काफी कम टैरिफ है.

भारत पर क्या असर पड़ेगा-

एक्सपोर्ट महंगा हो सकता है- रेसिप्रोकल टैरिफ से फूड प्रोडक्ट, टेक्सटाइल्स, क्लोदिंग, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, जेम्स एंड ज्वेलरी, फार्मास्यूटिकल्स व  ऑटोमोबाइल जैसे इंडियन एक्सपोर्ट अमेरिकी बाजार महंगे हो सकते हैं. इससे ये सामान वहां कंपीट नहीं कर पाएंगे.
ट्रेड सरप्लस घट जाएगा- अभी भारत के सामान पर अमेरिका कम टैरिफ लगाता है जिससे भारत को ट्रेड सरप्लस का फायदा मिलता है. टैरिफ बढऩे से भारत को ट्रेड सरप्लस से मिलने वाला फायदा कम हो सकता है.
इंपोर्ट बढ़ सकता है- अमेरिका के ज्यादा टैरिफ से बचने के लिए अगर भारत अमेरिकी सामानों पर टैरिफ घटाता है तो अमेरिकी चीजें भारतीय बाजार में सस्ती हो जाएंगी. इससे इन सामानों का इंपोर्ट बढ़ सकता है.
रुपया कमजोर हो सकता है- ज्यादा इंपोर्ट का मतलब डॉलर की ज्यादा डिमांड. इससे रुपया कमजोर होगा. भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ जाएगा. इसका मतलब अब अमेरिका से सामान खरीदने के लिए ज्यादा पैसे चुकाने होंगे.
विदेशी निवेश बढ़ेगा-यदि भारत टैरिफ कम नहीं करता तो अमेरिकी कंपनियां हाई टैरिफ से बचने के लिए भारत में ही अपने प्रोडक्शन पर जोर दे सकती हैं. इससे फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट बढ़ेगा.
7 बिलियन डॉलर का नुकसान- टैरिफ से भारत के ऑटो से लेकर कृषि तक के एक्सपोर्ट सेक्टर में चिंता बढ़ गई है. बिजनेस एनालिस्ट का मानना है कि ट्रम्प के टैरिफ बढ़ाने से भारत को हर साल लगभग 7 बिलियन डॉलर (61 हजार करोड़ रुपए) का नुकसान हो सकता है.
अमेरिकी सामान की कीमतें घटेंगी-
नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ से बचने के लिए भारत 30 से अधिक वस्तुओं पर टैरिफ कम कर सकता है. इससे अमेरिकी सामान भारत में सस्ता हो सकता है. इसके अलावा अमेरिकी रक्षा व ऊर्जा उत्पादों की अपनी खरीद बढ़ा सकता है.
अमेरिका ने भार को 3.6 लाख करोड़ा का सामान बेचा है-
अमेरिका ने 2024 में भारत को 42 बिलियन डॉलर (करीब 3.6 लाख करोड़ रुपए) का सामान बेचा है. इसमें भारत सरकार ने लकड़ी के उत्पादों व मशीनरी पर 7 प्रतिशत फुटवियर व ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट्स पर 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत व और फूड प्रोडक्ट्स पर 68 प्रतिशत तक टैरिफ वसूला है. अमेरिका का कृषि उत्पादों पर टैरिफ भारत के 39 प्रतिशत की तुलना में 5 प्रतिशत है. यदि अमेरिका कृषि उत्पादों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का फैसला लेता है. तो भारत के कृषि और फूड एक्सपोर्ट पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. यहां टैरिफ अंतर सबसे ज्यादा हैए लेकिन ट्रेड वॉल्यूम कम है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-