होलाष्टक का समय आते ही कई लोगों के मन में सवाल उठता है – क्या यह वाकई में अशुभ होता है? क्या इस दौरान ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाता है? अगर हाँ, तो इससे बचने के लिए क्या किया जाए? आज मैं आपको होलाष्टक के दौरान किए जाने वाले कुछ सिद्ध उपाय जिससे आप अपने जीवन में सुख-समृद्धि बनाए रख सकते हैं और बुरे ग्रहों के प्रभाव से बच सकते हैं.
होलाष्टक और अशुभ ग्रहों का संबंध
होलाष्टक के आठ दिनों में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु का प्रभाव विशेष रूप से तीव्र होता है. यह समय अधिकतर शुभ कार्यों के लिए निषेध माना गया है, लेकिन ग्रह शांति और आत्मिक उन्नति के लिए अत्यंत उपयुक्त होता है
होली से पहले होलाष्टक में किए जाने वाले चमत्कारी उपाय
1. हनुमान जी की विशेष पूजा करें
मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी को चमेली के तेल का दीपक जलाएं और "ॐ हनुमते नमः" का 108 बार जाप करें. इससे मंगल और शनि के अशुभ प्रभाव कम होंगे.
2. आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए
पीपल के वृक्ष पर 8 दिन तक जल चढ़ाएं और "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें.
घर के मुख्य द्वार पर गंगाजल और गौमूत्र का छिड़काव करें, इससे नकारात्मक शक्तियां दूर रहेंगी.
3. शत्रु बाधा और बुरी नजर से बचने के लिए
होलिका दहन से पहले 7 लाल मिर्च और 7 लौंग जलती हुई होलिका में डालें.
अपने घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और "ॐ दुं दुर्गायै नमः" मंत्र का 21 बार जाप करें.
4. ग्रह पीड़ा और कुंडली दोष निवारण के लिए
होलाष्टक में प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करें और "ॐ सूर्याय नमः" का 11 बार जाप करें.
कुंडली में राहु-शनि की दशा हो तो शिवलिंग पर जल, कच्चा दूध और काले तिल अर्पित करें.
5. परिवार में सुख-शांति के लिए
घर में सात्विक भोजन बनाएं और ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराएं.
"ॐ नमः शिवाय" का 108 बार जाप करें, जिससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होगी.
रहस्यमयी तथ्य: क्यों होता है होलाष्टक अशुभ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन से पहले प्रह्लाद पर अनेक अत्याचार किए गए थे, जिनकी पीड़ा के कारण इन आठ दिनों को नकारात्मक ऊर्जा से भरा माना जाता है. इस दौरान किए गए अशुभ कार्यों का प्रभाव लंबे समय तक रहता है.
यदि किसी जातक की कुंडली में शनि नीच का हो और राहु लग्न में हो, तो होलाष्टक के दौरान शनि, राहु और केतु से संबंधित उपाय करने चाहिए, जैसे – सरसों के तेल का दीपक जलाना और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना.
होलाष्टक में क्या न करें?
विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार, मुंडन, नए व्यवसाय की शुरुआत या नया घर खरीदने से बचें.
किसी को अपशब्द न कहें और क्रोध से बचें, क्योंकि यह समय अधिक भावनात्मक और मानसिक संवेदनशीलता का होता है.
अंतिम विचार:
होलाष्टक को सिर्फ अशुभ न मानें, बल्कि इसे आध्यात्मिक उन्नति और आत्मशुद्धि का अवसर समझें. यह समय ध्यान, मंत्र जाप और ग्रहों की शांति के लिए उत्तम है. जो भी इन उपायों को करेगा, उसके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होगा और नकारात्मक ग्रह दोष समाप्त होंगे!
एस्ट्रो वंदना एस्ट्रो वन्दना शर्मा( astrologist)
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-