आगरा. यूपी के आगरा में रहने वाले रविंद्र कुमार फिरोजाबाद में सेना का सामान बनाने वाली ऑर्डनेंस फैक्ट्री में चार्जमैन है. जो इस समय एटीएस की हिरासत में है. रविंद्र के फोन व सोशल मीडिया अकाउंट की जांच से पता चला कि उसे पाकिस्तान से ऑपरेट हो रहे हनीट्रैप नेटवर्क ने शिकार बनाया है. रविंद्र ने नेहा शर्मा नाम की आईएसआई एजेंट से पैसे लेकर फिरोजाबाद ऑर्डनेंस फैक्ट्री की डीपीआर ड्रोन से जुड़ी सीक्रेट इन्फॉर्मेशन व गगनयान प्रोजेक्ट से जुड़े गोपनीय दस्तावेज डॉक्यूमेंट भेजे थे.
एटीएस ने रविन्द्र पर धारा 148 (देश के खिलाफ साजिश रचने) व ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट की धारा 3ए 4 व 5 में मामला दर्ज किया है. सवाल ये है कि आखिर रविंद्र पाकिस्तानी हैंडलर्स के कॉन्टैक्ट में कैसे आया. क्या आईएसआई के निशाने पर उसके जैसे और भी लोग हैं. पाकिस्तान का हनीट्रैप नेटवर्क कैसे काम कर रहा है. एटीएस का इस केस में अगला स्टेप क्या होगा. आगरा के बिंदू कटरा मोहल्ले में रहने वाले रविंद्र कुमार 2009 से फिरोजाबाद ऑर्डनेंस फैक्ट्री में काम कर रहे है. वे यहां डेली प्रोडक्शनए स्टोर व स्टॉक की निगरानी का काम देखते थे. फैक्ट्री में काम करते हुए फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते थे. अंदेशा है कि इसी कारण आईएसआई हैंडलर्स ने उन्हें ट्रैप करना शुरू किया. रविंद्र ने एटीएस को पूछताछ में बताया है कि जून 2024 में नेहा शर्मा के नाम से बनी फेसबुक आईडी से फ्रेंड रिक्वेस्ट आई थी. नेहा ने खुद को इसरो का अधिकारी बताते हुए रविंद्र से बातचीत शुरू की.
फेसबुक मैसेंजर से वॉट्सऐप नंबर की अदला-बदली हुई. पहले रोज नॉर्मल कॉल होती, फिर वीडियो कॉल होने लगी. रविंद्र ये बात पत्नी व घरवालों को नहीं बताना चाहता था, इसलिए उसने नेहा का फोन नंबर चंदन कुमार स्टोर कीपर के नाम से सेव किया था. एटीएस के अनुसार पाकिस्तानी महिला एजेंट रोज रविंद्र से बात करती थी. उसने पहले रविंद्र से फैक्ट्री में ड्यूटी व कामकाज के बारे में पूछा. फिर धीरे-धीरे गोपनीय जानकारियां लेनी शुरू की. जांच में पता चला है कि रविंद्र ने वॉट्सएप के जरिए आईएसआई तक ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग, गगनयान प्रोजेक्ट व ऑर्डनेंस फैक्ट्री से जुड़ी सीक्रेट रिपोर्ट्स भेजी थीं. यूपी एटीएम की माने तो रविंद्र का एक सहयोगी भी था जिसे हिरासत में लिया गया है.
पूछताछ में पता चला है कि गोपनीय दस्तावेज भेजने के बदले रविंद्र व उसके साथी को पैसे मिल रहे थे. 2024 से अब तक रविंद्र के खाते में 3 बार अनजान अकाउंट से पैसे आए. हालांकि ये पता नहीं चला है कि उसे कितने पैसे मिले थे. एटीएस अब इन बैंक खातों की डिटेल खंगाल रही है ताकि ये पता चल सके कि पेमेंट कहां से आया और किसने किया है. रविंद्र की गिरफ्तारी के वक्त एटीएस को उसके पास से 6220 रुपए मिले. इसके अलावा आधार कार्ड, पैन कार्ड, एक नॉर्मल बैंक डेबिट कार्ड व पोस्ट ऑफिस का डेबिट कार्ड भी मिला. सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि सेना व उसके लिए काम कर रहे लोगों को फंसाने वाला ये आईएसआई मॉड्यूल लंबे समय से एक्टिव है. पाकिस्तानी एजेंट ऐसे लोगों को फंसाकर उनसे सीक्रेट जानकारी निकालते हैं. ये नेशनल सिक्योरिटी के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-