पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट ने MPPSC प्री परीक्षा 2025 के परिणाम बिना इजाजत घोषित करने पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने भोपाल की ममता देहरिया की याचिका पर सामान्य प्रशासन विभाग व आयोग से 4 हफ्ते में जवाब भी मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.
याचिकाकर्ता ममता देहरिया ने राज्य सेवा परीक्षा-2025 में भाग लिया था. अभ्यर्थी ने परीक्षा फॉर्म जमा करने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मध्य प्रदेश राज्य सेवा भर्ती परीक्षा नियम-2015 के कुछ नियमों व प्रावधानों को असंवैधानिक बताया था. ये प्रावधान आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का छूट के नाम पर अनारक्षित वर्ग में चयन बाधित करते हैं. याचिका पर आज चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ व जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की.
इस दौरान सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने हाईकोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश शासन एक तरफ आरक्षित वर्ग को आयु सीमा, शैक्षणिक योग्यता परीक्षा शुल्क में छूट दे रहा है. वहीं दूसरी ओर छूट पाने वाले अभ्यर्थियों को मेरिट में उच्च स्थान पाने पर भी अनारक्षित वर्ग में चयन से रोक रहा है. यह संविधान में निहित सामाजिक न्याय की अवधारणा के विपरीत होने के साथ ही कई संवैधानिक प्रावधानों के उलट है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्पष्ट किया गया है कि राज्य कोई ऐसा कानून नहीं बना सकता जो आरक्षित वर्ग को उनके संवैधानिक अधिकारों के इस्तेमाल से रोकता है.
मध्य प्रदेश सरकार के आरक्षित वर्ग को अनारक्षित वर्ग में चयन से रोकने वाले सभी प्रावधान असंवैधानिक हैं और निरस्त किए जाने योग्य हैं. याचिकाकर्ता की ओर से दी गई दलीलों को कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए याचिका को स्वीकार कर राज्य सरकार और MPPSC को नोटिस जारी किया गया है. कोर्ट ने लोक सेवा आयोग को निर्देशित किया है कि विज्ञापन व नियमों के अनुसार आयोजित परीक्षाओं के रिजल्ट हाईकोर्ट की अनुमति के बगैर घोषित न किए जाएं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-