पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट में फिर एक बार नर्सिंग फर्जीवाड़ा मान्यता संबंधित मामले में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट स्पेशल बेंच के जस्टिस संजय द्विवेदी व जस्टिस अचल कुमार पालीवाल ने सुनवाई की. याचिकाकर्ता की ओर से सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि एमपी नर्सिंग काउंसिल व मेडिकल यूनिवर्सिटी के साथ साथ इंडियन नर्सिंग काउंसिल के द्वारा भी निरीक्षण कर अपात्र कॉलेजों को पात्र बताते हुए सुटेबिलिटी दी गई थी.
इसलिए आईएनसी के अधिकारियों द्वारा झूठी निरीक्षण रिपोर्ट देकर अपात्र कॉलेजों को मान्यता देने में सहयोग किया है. हाईकोर्ट ने तर्कों को सुनने के बाद आईएनसी को आदेश दिया है कि सत्र 2018 से 2022 तक की मान्यता की फाइलें अगली सुनवाई में पेश की जाए. अब इस मामले की अगली सुनवाई अब 8 अप्रैल को होगी.
इससे पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अपात्र नर्सिंग कॉलेजों के करीब 10 हजार स्टूडेंट्स को 30 दिन के भीतर पात्र कॉलेजों में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. नर्सिंग कॉलेज मान्यता फर्जीवाड़ा मामले की सीबीआई जांच में जिन कॉलेजों में छात्र नहीं मिले हैं. वो छात्र अपात्र होंगे व उन्हें परीक्षा में नहीं बैठाया जाएगा. हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता संबंधी ओरिजिनल फाइलों को याचिकाकर्ता द्वारा अवलोकन के बाद रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए हैं.
इसमें तुलनात्मक रूप से यह बताना होगा कि जो 300 कॉलेज सीबीआई जांच में अपात्र पाए गए उन्हें आखिर किन हालात और किन-किन कमियों के होते हुए भी निरीक्षणकर्ता अधिकारियों द्वारा अनुमति दी गई. गौरतलब है कि नर्सिंग फर्जीवाड़ा केस में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने जनहित याचिका दायर की है. हाईकोर्ट ने पहले भी प्रदेश के कॉलेजों की मान्यता की फाइलें तलब कर याचिकाकर्ता को अवलोकन करने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में प्रदेश में कागजों पर चल रहे कॉलेजों और फैकल्टी फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-