जबलपुर: एमपी हाईकोर्ट की फीस मामले में दी राहत, 50% फीस भरने पर मिलेगी परीक्षा में बैठने की अनुमति

जबलपुर: एमपी हाईकोर्ट की फीस मामले में दी राहत

प्रेषित समय :17:57:02 PM / Fri, Feb 14th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. एमपी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैथ व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने अभिभावकों व स्टूडेंट्स को आंशिक राहत दी है. डबल बेंच ने पेरेंट्स को 10 फीसदी वृद्धि के साथ कुल फीस का 50 प्रतिशत जमा करने के निर्देश दिए हैं. बाकी रकम अगले महीने तक जमा करने के लिए कहा है. इसके बाद ही बच्चों को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी है. अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी.

दरअसल, विभिन्न निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि के खिलाफ दायर अपील को लेकर मध्यप्रदेश अभिभावक संघ के सचिन गुप्ता ने हस्तक्षेप आवेदन पेश किया था. संघ की ओर से अधिवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने दलील दी कि फीस जमा न करने के कारण कुछ निजी स्कूल बच्चों को परीक्षा में शामिल होने से वंचित कर रहे हैं.

कलेक्टर ने लगभग 32 स्कूलों को 265 करोड़ वापस करने के निर्देश दिए हैं. इसके बावजूद स्कूल संचालक अधिक फीस वसूल रहे हैं. मामले पर सुनवाई के दौरान कुछ अभिभावक भी कोर्ट में उपस्थित हुए थे. कोर्ट ने कुछ अभिभावकों से भी सवाल-जवाब किए.

जानिए, क्या है मामला

13 अगस्त 2024 को हाई कोर्ट ने जिला समिति के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसके तहत निजी स्कूलों को फीस रिफंड करने कहा था और समिति द्वारा फीस निर्धारित की गई थी. क्राइस्ट चर्च, सेंट अलॉयसियस, ज्ञान गंगा, स्टेम फील्ड व स्कूलों की ओर से अपील दायर की गई थी. अपीलकर्ताओं के वकील अंशुमान सिंह ने दलील दी कि जिला समिति ने इस आधार पर उक्त आदेश जारी किया था कि स्कूलों ने ऑनलाइन पोर्टल पर फीस वृद्धि की जानकारी अपलोड नहीं की थी. जिला समिति ने वर्ष 2017-18 से 2024-25 के शैक्षणिक सत्र में बढ़ाई फीस वापस करने के आदेश जारी किए थे. कमेटी ने वर्तमान सत्र की फीस भी निर्धारित की थी.

अपीलकर्ताओं के वकील ने दिया यह तर्क

दलील दी गई कि कमेटी ने फीस वृद्धि का गलत आकलन किया था. तर्क दिया गया कि मप्र निजी स्कूल फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन के तहत स्कूल प्रबंधन फीस में दस प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है. स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस वृद्धि में 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी की जाती है, तो इसके लिए जिला कमेटी से अनुमति आवश्यक है. 15 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी करने पर राज्य कमेटी से अनुमति आवश्यक है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-