छत्तीसगढ़: अपोलो अस्पताल में फर्जी डिग्री पर नौकरी कर चुका है डॉक्टर नरेन्द्र जॉन केम, दमोह के मिशन अस्पताल में ले ली 7 लोगों की जान

छत्तीसगढ़: अपोलो अस्पताल में फर्जी डिग्री पर नौकरी कर चुका है डॉक्टर नरेन्द्र जॉन केम, दमोह के मिशन अस्पताल में ले ली 7 लोगों की जान

प्रेषित समय :18:17:12 PM / Thu, Apr 10th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, बिलासपुर. एमपी के दमोह के मिशन अस्पताल में 7 मरीजों की मौत का आरोपी फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम के कारनामों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. अपोलो अस्पताल में उसे फर्जी डिग्री से नौकरी मिली, तब उसे देश का प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट बताया गया. उसके इलाज के दौरान जब हार्ट पेशेंट की लगातार मौतें हुई. तब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) व स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम ने उसकी डिग्री की जांच की, जिसमें दार्जिलिंग-लंदन की डिग्री फर्जी पाई गई.

इसके बाद भी अपोलो अस्पताल प्रबंधन ने आरोपी डॉक्टर के कारनामों को दबा दिया. यही कारण है कि 18 साल तक फर्जी डॉक्टर के इलाज से हार्ट पेशेंट्स की मौतें हुई. वर्ष 2005-06 में डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम उर्फ नरेंद्र विक्रमादित्य यादव छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में भी प्रैक्टिस कर चुका है. यहां अपोलो अस्पताल में बतौर कार्डियोलॉजिस्ट उसको ज्वाइन कराया गया. इस दौरान अपोलो अस्पताल प्रबंधन ने उसे लंदन रिटर्न अनुभवी व स्पेशलिस्ट बताकर जमकर पैसे कमाए. उस वक्त डॉक्टर नरेंद्र हार्ट के मरीजों का एंजियोप्लास्टी सर्जरी से लेकर जटिल ऑपरेशन करते रहे. तत्कालीन समय में हार्ट के मरीजों ने इलाज कराया. जिसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिवंगत राजेंद्र प्रसाद शुक्ल भी शामिल रहे.

इस दौरान अपोलो में हार्ट मरीजों की मौत के आंकड़ों में तेजी से इजाफा हुआ तब प्रबंधन मौत के बढ़ते आंकड़ों से डरा हुआ था. लिहाजा हार्ट मरीजों की मौत व डॉक्टर नरेंद्र की डिग्री की जांच कराने का निर्णय लिया गया. आईएमए के तत्कालीन स्टेट चेयरमैन डॉ किरण एस देवरस, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ वाय एस दुबे सहित अन्य डॉक्टरों की टीम बनाई गई. कमेटी ने जांच के दौरान डॉ नरेंद्र से डिग्री मांगे, तब वो कोई दस्तावेज पेश नहीं किया. उसकी भूमिका विवादित मिली. पूछताछ में डॉक्टर नरेंद्र जॉन ने पहले दार्जिलिंग फिर लंदन से अपनी डिग्री और स्पेशियलिटी होने की जानकारी दी. लेकिन वेरिफिकेशन में दोनों जगहों पर उनके डिग्री से संबंधित प्रमाण नहीं मिले. इस तरह जांच में उनकी डिग्री व कार्डियोलॉजिस्ट से संबंधित दस्तावेज फर्जी पाए गए थे. बावजूद अपोलो प्रबंधन ने उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की.

अपोलो प्रबंधन कार्यवाही करता तो बच जाती लोगों की जान-

दमोह में भी मरीजों की मौत के बाद अब कहा जा रहा है कि अपोलो अस्पताल प्रबंधन उस समय आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करता व स्वास्थ्य विभाग को जानकारी देता तो कई बेकसूर लोगों की जान बच जाती.

कांग्रेस नेताओं ने कहा अपोलो ने ओटी को बनाया मौत की प्रयोगशाला-

फर्जी डॉक्टर मामले में कांग्रेसी नेताओं ने कलेक्टर के जरिए सीएम विष्णुदेव साय के नाम ज्ञापन देकर उच्चस्तरीय जांच व दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवार्ही की मांग की. उन्होंने कहा कि डॉक्टर अपोलो प्रबंधन व तत्कालीन सीएमएचओ के खिलाफ तत्काल जुर्म दर्ज कराया जाए. नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि अपोलो प्रबंधन ने ऑपरेशन को मौत की प्रयोगशाला बना रखा था. एक दिन पहले कांग्रेसी नेता अपोलो अस्पताल भी गए थे. जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी समेत अन्य नेता कलेक्टर से मिले. उन्होंने कहा कि आखिर अपोलो अस्पताल प्रबंधन ने डॉक्टर को नौकरी पर रखते समय उसकी डिग्री और पूर्व के अनुभव संबंधी दस्तावेजों की जांच क्यों नहीं की. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अपोलो अस्पताल प्रबंधन के कारण राजेंद्र प्रसाद शुक्ल सहित कई लोगों की मौत हुई. शुक्ल की मृत्यु के बाद उनके बेटे प्रोण् प्रदीप शुक्ला ने शिकायत की थी. लेकिनए उसे गंभीरता से नहीं लिया गया.

हत्या के आरोप में एफआईआर, केस चलाने की मांग-

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि इस पूरे मामले में अपोलो अस्पताल ने तत्कालीन आईएमए अध्यक्ष की रिपोर्ट को दबा कर लीपापोती की थी. कांग्रेसियों ने मांग की है कि ऐसा करने वाले तत्कालीन सीएमएचओ अपोलो के चेयरमैन डॉ प्रताप रेड्डी, एक्जीक्यूटिव चेयरमैन प्रथा रेड्डी, रीजनल हेड मनीष मटटू, यूनिट हेड अर्णव राहा व फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर मुकदमा चलाया जाए.

डॉक्टरों के पंजीयन व डिग्री की जानकारी मांगी

दमोह के मिशन अस्पताल के कथित कार्डियोलाजिस्ट डॉण् नरेंद्र विक्रमादित्य के फर्जी डिग्री का मामला उजागर होने के बाद सीएमएचओ ने जिले के 147 निजी अस्पताल के प्रबंधकों को पत्र जारी किया है. जिसमें उन्होंने इन अस्पतालों में सेवा दे रहे डाक्टरों के पंजीयनए डिग्री के दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. सीएमएचओ का कहना है कि यदि किसी अस्पताल प्रबंधन द्वारा जानकारी गलत दी जाएगी तो उसके लिए वे स्वंय जिम्मेदार होंगे. इसके अलावा निजी अस्पताल में काम करने वाले वार्ड ब्वाय, नर्स, लैब टेक्नीशियनों की डिग्री की भी जांच करने का निर्देश दिए हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-