दमोह. सड़क को तेज, सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए सरकार लगातार सड़क परियोजनाओं पर काम कर रही है. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के दमोह और सागर जिले के लोगों के लिए बड़ी सौगात मिलने जा रही है. दमोह-सागर रोड को फोरलेन करने की मंजूरी स्टेट लेवल इंपावर्ड कमेटी (एसएलईसी) से मिल चुकी है. अब कैबिनेट की स्वीकृति मिलते ही टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी और उम्मीद है कि साल के अंत तक निर्माण कार्य भी आरंभ हो जाएगा.
चार बायपास होंगे शामिल
दमोह-सागर फोरलेन सड़क परियोजना करीब 2,196 करोड़ रुपए की लागत से पूरी होगी. 76.83 किलोमीटर लंबी इस सड़क के निर्माण के दौरान चार बायपास भी बनाए जाएंगे, जिससे पारसोरिया, गढ़ाकोटा, रोन और बांसा जैसे आवासीय क्षेत्रों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी और इन क्षेत्रों का विकास भी होगा.
परियोजना के प्रमुख बिंदु
- सड़क की चौड़ाई 45 मीटर होगी.
- वर्तमान में यह सफर दो घंटे में तय होता है, जो फोरलेन बनने के बाद एक घंटा कम हो जाएगा.
- सड़क का निर्माण हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (एचएमएस) पर किया जाएगा.
- परियोजना का 40 प्रतिशत खर्च अग्रिम रूप से एमपीआरडीसी वहन करेगा, जबकि शेष 60 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा 15 वर्षों तक एन्युटी भुगतान के रूप में दी जाएगी.
बहेरिया से मारुताल तक होगा निर्माण
राज्य सरकार ने इस परियोजना को एसएच-63 (स्टेट हाईवे 63) के अपग्रेडेशन के रूप में मंजूरी दी है. इस सड़क का निर्माण सागर के बहेरिया से लेकर दमोह के मारुताल बायपास तक किया जाएगा. इससे आसपास के गांवों और कस्बों को भी तेज और सुरक्षित परिवहन सुविधा मिलेगी, जिससे क्षेत्र का विकास होगा.
कैबिनेट से मंजूरी के बाद शुरू होगी टेंडर प्रक्रिया
एसएलईसी से मंजूरी मिलने के बाद अब इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया है. मुख्यमंत्री पहले ही इस परियोजना को मंजूरी का संकेत दे चुके हैं. जैसे ही कैबिनेट से स्वीकृति मिलेगी, टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी, जिसे चार महीनों में पूरा करने की योजना है. यदि सब कुछ सुचारू रूप से चलता रहा, तो नवंबर-दिसंबर तक सड़क निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा. एमपीआरडीसी सागर के जीएम नितिन वार्वे ने बताया कि सागर-दमोह रोड को फोरलेन किया जाएगा. कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही टेंडर जारी किया जाएगा. उम्मीद है कि साल के अंत तक निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.
परियोजना से यह फायदे होंगे
- दमोह और सागर के बीच यात्रा का समय घटेगा.
- सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी और सफर सुरक्षित होगा.
- हाईवे से जुड़े गांवों और कस्बों का आर्थिक विकास होगा.
- क्षेत्र में परिवहन सुविधाएं बेहतर होंगी और ट्रैफिक की समस्या दूर होगी.