अभिमनोज
दिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि- जब प्रताड़ित महिला आत्महत्या के लिए मजबूर होती है, तब उस जगह की अहमियत नहीं होती है.
खबर है कि.... दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस गिरीश कथपालिया की अदालत में पेश हुआ एक मामला, जिसमें एक महिला ने अपने मायके में फांसी लगाकर जान दे दी, इस मामले में आरोपित पति ने अदालत में यह तर्क दिया कि क्योंकि आत्महत्या मायके में हुई, लिहाजा उस पर दहेज हत्या का आरोप नहीं बनता.
खबरों की मानें तो.... अदालत ने इस दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि- दहेज की आग केवल ससुराल तक सीमित नहीं रहती, अगर किसी महिला को शादीशुदा जिंदगी में बार-बार प्रताड़ित किया गया हो, तो वह आग उसके मायके तक पीछा करती है और उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर सकती है.
खबरों पर भरोसा करें तो.... अदालत का साफ कहना है कि- केवल स्थान बदलने से ज़िम्मेदारी नहीं बदलती, एक पत्नी के टूटते हौसले और अंततः उठाया गया खौफनाक कदम, यह सब दहेज प्रताड़ना के ही पड़ाव हैं.
इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपित पति की जमानत याचिका खारिज कर दी!
दिल्ली हाईकोर्ट: जब प्रताड़ित महिला आत्महत्या के लिए मजबूर होती है, तब उस जगह की अहमियत नहीं होती है!
प्रेषित समय :19:37:42 PM / Thu, Apr 10th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर