एक दंपति ने 10 सितंबर 2022 को दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण के पोर्टल पर 2017 के गोद लेने के नियमों के तहत पंजीकरण कराया था, आवेदन लंबित था, इसी दौरान 22 सितंबर, 2022 को नए नियम लागू हो गए, जिसमें दो जैविक बच्चों वाले दंपतियों को केवल ‘विशेष आवश्यकताओं’ या ‘कठिनाई से गोद लिए जाने वाले’ बच्चों को गोद लेने की अनुमति दी गई.
खबरों की मानें तो.... नियमों के तहत, ‘कठिनाई से गोद लिए जाने वाला’ बच्चा वह सामान्य बच्चा होता है जो पांच साल से कम उम्र का होता है और जिसे संदर्भ के 60 दिनों के भीतर गोद नहीं लिया गया होता है.
इस मामले में दंपति का तर्क था कि- उनकी याचिका को मनमाने ढंग से खारिज कर दिया गया, साल 2017 के नियमों के अनुसार, एक होम स्टडी रिपोर्ट को 30 दिनों के भीतर पूरा किया जाना था, जो 10 सितंबर को पूरा हो गया था, बावजूद इसके अधिकारियों ने वर्ष 2022 के नए नियम लागू किए. इस मामले में दंपति की याचिका खारिज होने पर, वे हाईकोर्ट पहुंचे.
खबरों पर भरोसा करें तो.... इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का कहना है कि- यदि दो विकलांग बच्चों के माता-पिता तीसरे सामान्य बच्चे को गोद लेना चाहते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है.
इसके बाद अदालत ने अधिकारियों को दंपति की याचिका पर छह सप्ताह में पुनर्विचार करने का निर्देश दिया.
हाईकोर्ट ने केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण के 2023 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें दंपति की तीसरे बच्चे को गोद लेने की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि- उनके पहले से ही दो बच्चे हैं!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-