पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट में MPPSC मुख्य परीक्षा 2025 मामले में मंगलवार को फिर से सुनवाई हुई. कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के मैरिटोरियस छात्रों को अनारक्षित वर्ग में न चुनने को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को अगली सुनवाई पर हाजिर होने के निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 2 सप्ताह में जवाब मांगा है. जानकारी उपलब्ध नहीं होने पर सरकार पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि परीक्षा से संबंधित सील बंद लिफाफे में गोपनीयता वाले कोई भी दस्तावेज नहीं है. लिहाजा सरकार इसे सार्वजनिक करे. फिलहाल MPPSC-2025 परीक्षा पर हाईकोर्ट की रोक बरकरार है. मामले पर अगली सुनवाई अब 6 मई को होगी. एमपीपीएससी-2025 की मुख्य परीक्षा से जुड़े प्रकरण में मंगलवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ व जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने दूसरी बार सुनवाई की. पिछली सुनवाई में डिवीजन बेंच ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा-2025 की मुख्य परीक्षा के आयोजन पर अंतरिम रोक लगा दी थी.
याचिकाकर्ता सुनीत यादव व अन्य की ओर से सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखते हुए दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के विभिन्न फैसलों को बायपास करते हुए आयोग अनारक्षित पदों के विरुद्ध आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए चयनित नहीं कर रहा है. सभी अनारक्षित पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित करके प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया गया है.
मप्र लोक सेवा आयोग ने इस गलती को छुपाने के लिए 2025 के प्रारंभिक परीक्षा में कट-आफ माक्र्स भी जारी नहीं किए. हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए आज 15 अप्रैल को बंद लिफाफे में कट ऑफ माक्र्स जारी किए गए. कोर्ट ने लिफाफा खोलने पर यह पाया कि इसमें गोपनीय रखने जैसा कोई भी दस्तावेज नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इसे सार्वजनिक किया जाए और एक-एक कॉपी याचिकाकर्ताओं के वकील को आज ही दी जाए. याचिका में PSCके एडवोकेट ने विरोधाभास तर्क दिया. जिस पर कोर्ट ने आयोग को अगली सुनवाई पर मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारी को कोर्ट में हाजिर रहने के निर्देश दिए हैं. आयोग को अगली सुनवाई पर प्रॉपर तरीके से जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-