कुंडली मे वाणी दोष होने पर वह गूंगा हो सकता या बोल नहीं पाता

कुंडली मे वाणी दोष होने पर वह गूंगा हो सकता या बोल नहीं पाता

प्रेषित समय :20:27:33 PM / Wed, Apr 16th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

किसी जातक की कुण्डली मे वाणी दोष होने पर वह गूंगा हो सकता है या बोल नहीं पाता  है . हमारी वाणी ही जीवन मे स्वयं के व्यक्तित्व को उभरने सँवारने बनाने और बिगड़ने मे बड़ा महत्व पूर्ण योगदान निभाती है.
“ वाणीक्या न सम अलंकृता “ ,
“ कंठा भरण भूषिता “
व्यक्ति कितने ही मूल्यवान आभूषण कंठ मे धारण करले फिर भी सुसंस्कृत, मधुर, स्नेहिल, विनयी, सन्नमानित शब्द न हो तो वह कंठ के आभूषण भी व्यर्थ बने रहेते है.
वाणी दोष होने पर आप अपनी अभिव्यक्ति नहीं कर पाते है. विचारो की अभिव्यक्ति वाणी द्वारा ही होती है. मधुरभाषी सदैव सबको प्रिय होता है. विचारो की अभिव्यक्ति वाणी से होती है. वाणी ही मनुष्य की पहचान होती है. मधुरभाषी मनुष्य सभी को प्रिय होता है. यदि वाणी मे कोई दोष आ जाए या गूंगापन आ जाए तो जीवन मे बहुत कुछ खो जाता है. इसे पूर्व जन्मो के कर्म फलो के रूप मे देखते है. नाम के बाद वाणी ही उसकी पहचान बनाती है. वाणी दोष हो तो जीवन मे एक अभाव सा रहता है, जीवन मे एक प्रकार से कुछ खो सा जाता है जो सदेव सालता रहता है. यह दोष व्यक्ति मे पूर्व जन्मों के कर्मों के कारण ही होता है.

आइये जाने बुध गृह का वाणी पर प्रभाव :
बुध ग्रह को मुख्य रूप से वाणी और बुद्धि का कारक माना जाता है. इसलिए बुध के प्रबल प्रभाव वाले जातक आम तौर पर बहुत बुद्धिमान होते है तथा उनका अपनी वाणी पर बहुत अच्छा नियंत्रण होता है जिसके चलते वे अपनी बुद्धि तथा वाणी कौशल के बल पर मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियो को भी अपने अनुकूल बना लेने मे सक्षम होते है. ऐसे जातकों की वाणी तथा व्यवहार आम तौर पर अवसर के अनुकूल ही होता है जिसके कारण ये अपने जीवन मे बहुत लाभ प्राप्त करते है. किसी भी व्यक्ति से अपनी बुद्धि तथा वाणी के बल पर अपना काम निकलवा लेना ऐसे लोगों की विशेषता होती है तथा किसी प्रकार की बातचीत, बहस या वाक प्रतियोगिता मे इनसे जीत पाना अत्यंत कठिन होता है. आम तौर पर ऐसे लोग सामने वाले की शारीरिक मुद्रा तथा मनोस्थिति का सही आंकलन कर लेने के कारण उसके द्वारा पूछे जाने वाले संभावित प्रश्नो के बारे मे पहले से ही अनुमान लगा लेते है तथा इसी कारण सामने वाले व्यक्ति के प्रश्न पूछते ही ये उसका उत्तर तुरंत दे देते है. इसलिए ऐसे लोगो से बातचीत मे पार पाना किसी साधारण व्यक्ति के बस की बात नहीं होती तथा ऐसे जातक अपने वाणी कौशल तथा बुद्धि के बल पर आसानी से सच को झूठ तथा झूठ को सच साबित कर देने मे भी सक्षम होते है.

इसके अतिरिक्त मिथुन राशि मे स्थित होने से भी बुध को अतिरिक्त बल प्राप्त होता है तथा यह राशि भी बुध की अपनी राशि है.
कुंडली मे बुध का प्रबल प्रभाव होने पर कुंडली धारक सामान्यतया बहुत व्यवहार कुशल होता है तथा कठिन से कठिन अथवा उलझे से उलझे मामलों को भी कूटनीति से ही सुलझाने मे विश्वास रखता है. ऐसे जातक बड़े शांत स्वभाव के होते है तथा प्रत्येक मामले को सुलझाने मे अपनी चतुराई से ही काम लेते है तथा इसी कारण ऐसे जातक अपने सांसारिक जीवन मे बड़े सफल होते है जिसके कारण कई बार इनके आस-पास के लोग इन्हे स्वार्थी तथा पैसे के पीछे भागने वाले भी कह देते है किन्तु ऐसे जातक अपनी धुन के बहुत पक्के होते है तथा लोगों की कही बातों पर विचार न करके अपने काम मे ही लगे रहते है. बुध के वाणी पर दुष्प्रभाव से बचने के लिए |अगर बच्चों मे तुतलाहट है तो यह चिंता का विषय बन जाता है , इस उपाय को करने से यह बीमारी ठीक हो सकती है , जबान साफ़ हो जाती है , शांत मन से शब्दों को धीरे धीरे बोलने कि कोशिश करे, अनुलोम – विलोम प्राणायाम सीख कर करा करे.

अगर आपके बच्चे को बोलने मे कठिनाई हो रही हो , या फिर कुछ शब्दों का उच्चारण ठीक से ना हो पा रहा हो तो तो उसको मजाक ना बनाये , इससे उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है और यह गंभीर रूप ले सकता है , इसके लिए बुध के उपाय करने से वाणी मे मधुरता आति है | शारदा स्तोत्र सा नित्य पाठ करते रहे. मंगल , केतु , बुध या शनि का अगर वाणी पर बूरा प्रभाव पड़ रहा होगा तो वह भी ठीक होने लगेगा. यदि कुंडली का दूसरा भाव, दूसरे भाव का स्वामी एवं वाणी कारक ग्रह बुध यदि पाप ग्रह से युत, दृष्ट या अशुभ भाव मे स्थित हो तो वाणी दोष होता है. वाणी से ही व्यक्तित्व का परिचय ओर सही पहेचान प्रदर्शित होती है |किसी भी व्यक्ति की वाणी को /आवाज को सुनकर केवल शब्दो के प्रयोजन ओर स्वर प्रवाह के माध्यम से भी किसी व्यक्ति के ग्रहों के शुभाशुभ प्रभाव को जाना जा सकता है.

मूक योग के बारे मे सरावली मे कुछ विशेष लक्षण बतलाए गए है-
पापग्रह राशियो की संधियो मे गए हो वृष राशि मे चंद्रमा पर मंगल शनि सूर्य की दृष्टि हो तो जातक गूंगा होता है. जातक अलंकार के अनुसार यदि द्वितीयस्थान का स्वामी ग्रह और गुरु इन मे कोई एक या दोनों 6, 8, 12 वे स्थानो मे गये हो तो मनुष्य वाणीहीन अर्थात मूक होता है.
इसी प्रकार जातक की कुंडली मे माता-पिता, भ्राता आदि स्थानों के स्वामी उनसे द्वितीयेश व गुरु से युक्त होकर त्रिक स्थानों मे (6, 8, 12) मे गए हो उन संबंधियों की मूकतां कहनी चाहिए. सर्वार्थ चिंतामणि के अनुसार द्वितीय स्थान वक्तृत्व शक्ति, भाषण शक्ति का स्थान है और बुध भाषण का कारक ग्रह है. वैदिक ज्योतिष अनुसार वाणी दोष के कुछ ज्योतिष योग इस प्रकार हो सकते है :
गूंगापन न होने के ज्योतिषीय योग : 
1. यदि कर्क, वृश्चिक अथवा मीन राशि मे पापग्रह हो तथा चंद्रमा किसी पाप ग्रह से द्रष्ट हो तो जातक गूंगा होता है. परंतु यदि चंद्रमा पर शुभग्रह की दृष्टि हो तो बालक अधिक समय बाद अथवा 5 वर्ष की आयु के बोद बोलना आरंभ कर देता है.
2. यदि द्वितीयेश एवं गुरु की अष्टम भाव मे युति हो तो जातक गूंगा होता है. परंतु यदि इन दोनो मे से कोई उच्च या शुभ हो तो गूंगा नहीं होता.
यदि वाणी का कारक बुध यदि प्रभावित है तो बुध संबंधी उपाय करना चाहिये.
1. बुधवार को गणेशजी को लड्डू का प्रसाद चढ़ाये या गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करे.
2. दुर्गा सप्तशती का पाठ करवाएं.
3. पेठा, कद्दू का दान करें या हरे वस्त्रों का दान करे.
4. तांबे का पैसा पानी मे बहाएं. यदि द्वितीयेश या तृतीयेश प्रभावित हो तो ग्रहो के अनुसार उपाय करने पर गूंगापन, बहरापन होने को कम किया जा सकता है.
5.उस बालक को पालतू चिड़िया का झूँठा पाली पिलाएं.
6.छोटे शंख की माला भी ऐसे बच्चों को पहनाने से लाभ होता है. शंख फूंकने से भी वाणी दोष मे सुधार सम्भव है.
सूर्य: गायत्री मंत्र का जप करे. गुड़ व गेहूं का दान करे. सूर्य को अघ्र्य दे.
चंद्र: शिवलिंग पर दूध व जल का अभिषेक करे. रात को दूध न पिये. चंद्र से संबंधित वस्तु चांदी, दूध का दान करे.
मंगल: हनुमानजी को गुड़ और चूरमे का भोग लगाएं. मीठे भोजन का दान करे. मंगलवार का व्रत रखे या सुंदर कांड का पाठ करे.
गुरु: केशर का तिलक माथे व नाभि पर लगाएं. पीपल का वृक्ष लगाएं. गुरु की सेवा करे.
शुक्र: गाय का दान करे या गाय को चारा खिलाए. शुक्र की देवी लक्ष्मीजी है. अतः उनके समक्ष घी का दीपक जलाकर श्री सूक्त का पाठ करे.
शनि: मछली को आटे की गोलियां खिलाएं. तेल का दान करे. कौओं को भोजन का अंश दे.
01.वाणी दोष होने पर कार्तिकेय मंत्र व स्तोत्र का पाठ नित्य सुबह संध्या काल मे पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर 10 बार पढ़े. ये प्रयोग किसी भी पुष्य नक्षत्र मे शुरू कर 27 दिनों तक अगले पुष्य नक्षत्र तक बिना किसी नागा के करे.
02.पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करते हुए ब्रह्माजी द्वारा नारद जी को बताए गए अश्वत्थ स्तोत्र का पाठ करना चाहिए व दीप प्रज्वलित करना चाहिए. इस उपाय को कने से गुरु जनित वाणी विकार व बधिर योग काफी हद तक शांत हो जाता है.
03.जिस दिन अनुराधा नक्षत्र बृहस्पतिवार को हो उस दिन सिरस के व आम के कोमल पत्तो को तोड़कर उनका रस निकाल कर उसे गुनगुना कर 4 बुंदे नित्य दोनो कानो मे 62 दिन तक लगातार डाले. कर्ण रोग से व सुनने मे उत्पन्न समस्या से छुटकारा मिल जाएगा.
04.जिस जातक के जन्मांग मे यह योग परिलक्षित होता है. उस जातक को भी वागेश्वरी पूजा यंत्र को सवा सात लाख मंत्रों से अभिमंत्रित करके शुक्ल पंचमी के दिन धारण करने से दोनों समस्याओं का निवारण होता है.
05.चांदी की सरस्वती का दान शुक्लपक्ष पंचमी को या बसंतपंचमी को करना मूक दोष को शांत करने का सर्वोत्तम उपाय है.
06. बुधवार को गरीब लड़कियों को भोजन व हरा कपड़ा दे.
07.किसी किन्नर/हिजड़े को बुध के दिन चांदी की चूड़ी और हरे रंग की साड़ी का दान करे .
08. बुध के मन्त्र “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” तथा सामान्य मंत्र “बुं बुधाय नमः” है. बुधवार के दिन हरे रंग के आसन पर बैठकर उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बुध मंत्र का जाप करे .
09.कुंडली के दूसरे भाव/भावेश तथा उसके नक्षत्र स्वामी को मजबूत करे और अगर क्रूर ग्रह का प्रभाव हो तो उसकी शांति के उपाय करे.  वृहस्पति को मजबूत करे, भगवान गणेश ओर माँ शारदा का आराधना करे.
10. हरा वस्त्र, हरी सब्जी, मूंग का दाल एवं हरे रंग के वस्तुओं का दान उत्तम कहा जाता है.
11. विष्णु सहस्रनाम का जाप भी लाभकारी होता है.
12. तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए.
13. हरी सब्जियाँ एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए.
14. गणेशजी को लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चो को बाँटे.
बुध यंत्र से लाभ :  कुंडली मे बुध कमजोर होने के कारण स्मरण शक्ति कमजोर हो,वाणी दोष हो, बुध यंत्र लाॅकेट चांदी मे शुद्धीकरण आदि करके हरे धागे मे बुधवार को सुबह धारण करना चाहिए. इसके साथ पाप ग्रह राहु ,केतु शनि ,मंगल, का उपाय करना चाहिए .
ये वास्तुदोष भी बनते है वाणी दोष के कारण :
खिड़की, दरवाजे और मुख्य रूप से मेन-गेट पर काला पेंट हो तो परिवार के सदस्यों के व्यवहार मे अशिष्टता, गुस्सा, बदजुबानी आदि बढ़ जाते है. जन्मपत्रिका मे वाणी दोष ( ग्रह शनि, राहु मंगल और केतु ) हो, तो प्रभाव विशेष रूप से पता लगता है . यदि मंगल व केतु का प्रभाव हो तो लाल पेंट धारण से कुतर्क, अधिक बहस, झगड़ालू और व्यंगात्मक भाषा इस्तेमाल होती है. ऐसे हालात मे सफेद रंग का प्रयोग लाभदायक होता है.
यह मंत्र भी होता है लाभकारी :
महाविध्या महावाणी श्रुति स्मृति पदयीनी |
साक्षात सरस्वतीदेवी जिह्वाग्रेहे वसतु मम ||
12500 जप ओर शहेद चीनी से दशांश हवन मार्जन तर्पण करे. गुरु, ब्राह्मण, गाय की सेवा ओर आशीर्वाद से अतिशीघ्र शुभ फल देखा जाता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-