पैतृक संपत्ति मिलने में दिक्क्क्त कब आती?

पैतृक संपत्ति मिलने में दिक्क्क्त कब आती?

प्रेषित समय :22:31:20 PM / Mon, May 12th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

 कभी कभी ऐसी स्थिति भी जीवन मे आ जाती है कि पैतृक संपत्ति प्राप्त करने के लिये अपने घर परिवार वालो के साथ संघर्ष करना पड़ता है या ऐसी स्थिति भी जीवन मे आ जाती है जब पैतृक मकान, जमीन, संपत्ति के लिए कोर्ट-कचहरी का सहारा मुक़ादमो के द्वारा अपना अधिकार लेने के लिए करना पड़ जाता है और कभी सामान्य रूप से पैतृक संपत्ति मिल जाती है.पैतृक संपत्ति के चौथा भाव/दूसरा भाव और आठवां भाव मुख्य रूप से जिम्मेदार होता है.पैतृक संपत्ति मिलने में दिक्कत तब ही आती है जब कुंडली का चौथा भाव जो कि जमीन मकान आदि का है साथ ही दूसरा भाव जो जुड़े हुए रुपये पैसे धन का है एयर आठवां भाव जो पैतृक संपत्ति का है, साथ ही शनि राहु केतु यह पैतृक संपत्ति के कारक है.

जब यह उपरोक्त भाव अच्छी स्थिति में होते है और कहि न कही इन भावो का आपस मे संबंध होता है और पैतृक संपत्ति के कारक शनि, राहु केतु की स्थिति शुभ होती है तब जातक को आसानी से पैतृक संपत्ति मिल जाती है, जबकि जब चौथा भाव/दूसरा भाव और आठवां भाव दूषित होगा तब पैतृक संपत्ति को लेकर पारिवारिक सदस्यों के साथ ही विवाद, कानूनी कार्यवाही, मुक़ादमे की स्थिति बन जाती है.

अब ऐसी स्थिति में यदि विवाद, कानूनी कार्यवाही या मुक़ादमा करने के बाद क्या संपत्ति, मकान/जमीन ,धन आदि मिल पायेगा या नही औऱ क्या स्थिति होगी पैतृक संपत्ति मिलने की और पैतृक संपत्ति में विवाद की आदि.पैतृक संपत्ति ज्यादातर मकान, जमीन जायदाद के रूप में ही होती है लेकिन यदि धन के रूप में पैतृक संपत्ति मिले तब दूसरे घर की भूमिका ज्यादा रहेगी क्योंकि पैतृक संपत्ति धन के रूप में मिली है.

अब इसी विषय पर कुछ उदाहरणो से समझते है:-                                                  
उदाहरण अनुसार:- 
मिथुन लग्न में चौथे भाव का स्वामी जैसे बुध बनता है और आठवे घर का स्वामी शनि ,अब यहाँ संपत्ति के स्वामी बुध और पैतृक संपत्ति के स्वामी शनि की का आपस मे संबंध अच्छा हो होगा या दोनों अच्छी स्थिति में बैठेंगे जैसे बुध शुभ स्थिति में शुक्र के साथ 5वे भाव में राजयोग में हो और शनि भी बलवान होकर बैठा होगा साथ ही चौथे भाव+आठवे भाव और इनके स्वामियों बुध शनि पर कोई अशुभ प्रभाव नही होगा तब पैतृक संपत्ति मिल जाएगी..                                               
उदाहरण_अनुसार2:- 
सिंह लग्न कुंडली मे जैसे चौथे भाव संपत्ति का स्वामी मंगल बनता है साथ ही पैतृक संपत्ति का स्वामी आठवे भाव का स्वामी गुरु बनेगा ऐसी स्थिति में अब यहाँ गुरु मंगल का अच्छा संबंध बने कुंडली के किसी भी शुभ स्थान में तब पैतृक संपत्ति मिल जाएगी, लेकिन जब गुरु मंगल के साथ मे दूसरे भाव स्वामी(धन भाव)बुध का भी सबंध बन जाय तब ऐसी स्थिति में पैतृक संपत्ति धन के रूप में मिलेगी मतलब मकान/जमीन आदि बिकने के बाद उसके बदलने में रुपया-पैसा मिल जाता है..                                                                                
पैतृक संपत्ति दो तरह से मिलती है या तो जमीन/मकान/स्थिर संपत्ति के रूप में और पैतृक संपत्ति बिकने के बाद उसके बदले में धन मिल जाना.पैतृक संपत्ति मकान, जमीन स्थिर स्थिति में तब ही मिलेगी जब केवल चौथे और आठवे भाव का संबंध बने या यह दोनों भावो और इनके स्वमियो की स्थिति अच्छी होगी और जब इस संबंध में चौथे या आठवे भाव के साथ खासकर चौथे भाव के साथ दूसरे भाव(धन भाव)का संबंध बन जायेगा तब ऐसी स्थिति में पैतृक संपत्ति बिकने के बाद पैतृक संपत्ति के बदले धन-रुपया पैसा मिल जाता है क्योंकि दूसरे भाव जो कि धन का है इसका संबंध पैतृक संपत्ति से है..                                                                                                        
अब कुछ उदाहरणों से समझते है कब पैतृक संपत्ति में विवाद या मुक़ादमे की स्थिति बनेगी और क्या संपत्ति मिल पाएगी और कब तक?                                                                  
उदाहरण_अनुसार3:- 
वृश्चिक लग्न अनुसार; जैसे वृश्चिक लग्न में चौथे भाव का स्वामी शनि बनता और आठवे भाव का स्वामी बुध बनेगा अब यहाँ शनि और बुध राहु की दृष्टि से पीड़ित जाए, साथ ही चौथे भाव मे कोई दुर्योग बन जाये जैसे चौथे भाव के  स्वामी शनि के साथ चन्द्रमा अस्त होकर बैठ जाये जिससे यह विषयोग नाम का अशुभ योग भी बना और चन्द्रमा अस्त भी है जिसका अशुभ प्रभाव पैतृक संपत्ति पर आ रहा है मतलब यहाँ चौथा भाव भावेश, आठवां भाव भावेश सब राहु से पीड़ित व संपत्ति का स्वामी शनि भी चन्द्र के साथ अशुभ हो गया अब यहाँ पैतृक संपत्ति को लेकर विवाद होना ही है..                                                                                              
अब विवादिक योग पैतृक संपत्ति को लेकर होने पर तब ही पैतृक संपत्ति मिल पाती है जब चौथे भाव का स्वामी और आठवे भाव का स्वामी बलवान होंगे और वर्तमान की ग्रहदशाये अनुकूल चल रही होगी.इसके साथ ही जब चौथे भाव का संबंध दूसरे भाव या इसके स्वामी से होगा तब पैतृक संपत्ति बिक जाने के बाद धन के रूप में मिलती है.मिलेगी पैतृक संपत्ति जब ही जब चौथा भाव(संपत्ति भाव) आठवां भाव(पैतृक संपत्ति)भाव अच्छी स्थिति में होगा..इसके अतिरिक्त पैतृक संपत्ति ग्रहों को बलवान करके व जो ग्रह पैतृक संपत्ति मिलने में विघ्न बन रहे है उनकी शांति के उपाय करके पैतृक संपत्ति प्राप्त की जा सकती है जब पैतृक संपत्ति के योग हो वेब पैतृक संपत्ति मकान/जमीन आदि के रूप में मिलेगी या बिकने के बाद धन के रूप में मिलेगी यह निर्भर करेगा जातक की कुंडली मे धन के रूप में मिलने के योग है या स्थिर रूप से जमीन/मकान आदि के ही रूप में पैतृक संपत्ति मिलेगी..

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-