सुप्रीम कोर्ट से MP ई-टेंडरिंग प्रकरण में ED का प्रकरण खारिज, तेलंगाना हाई कोर्ट पहले ही कर चुका है रद्द गोपाल रेड्डी-एमएस राजू को बड़ी राहत  

सुप्रीम कोर्ट से MP ई-टेंडरिंग प्रकरण में ED का प्रकरण खारिज, तेलंगाना हाई कोर्ट पहले ही कर चुका है रद्द गोपाल रेड्डी-एमएस राजू को बड़ी राहत  

प्रेषित समय :20:06:14 PM / Sat, May 17th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर


नई दिल्ली/भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के ई-टेंडरिंग मामले में तेलंगाना हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की स्पेशल लीव पेटीशन खारिज कर दी है। तेलंगाना हाईकोर्ट ने 8 सितंबर 2023 के अपने फैसले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी व मंटेना ग्रुप के एमएस राजू के खिलाफ ईडी के प्रकरण को रद्द कर दिया था। तेलंगाना हाईकोर्ट ने ही अगस्त 2023 में ई-टेंडरिंग मामले में संबंधित कंपनी मैक्स मंटेना के प्रबंध निदेशक (एमडी) एमएस राजू के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रकरण को भी खारिज कर दिया था
                              सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका (स्पेशल लीव पेटीशन) पर 13 मई 2025 को सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि उन्हें कोई कारण नजर नहीं आता कि तेलंगाना हाईकोर्ट के निर्णय (सीआरएलपी क्रण् 845/2021) में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता है। माननीय जस्टिस एमएम सुंदरेश व जस्टिस राजेश बिंदल ने आदेश में कहा कि स्पेशल लीव पिटीशन को निरस्त किया जाता है। यदि कोई आवेदन इस बारे में लंबित भी हो तो उसे भी खत्म किया जाता है। उल्लेखनीय है कि अगस्त 2023 में तेलंगाना हाईकोर्ट ने मंटेना ग्रुप के प्रमोटर एमएस राजू के खिलाफ ईडी के प्रकरण को खारिज कर दिया था। सितंंबर 2023 में गोपाल रेड्डी के खिलाफ ईडी के प्रकरण को भी खारिज कर दिया था। कोर्ट ने  एमएस राजू के प्रकरण में अपने अगस्त 2023 के अपने फैसले में कहा था कि जो भी टैंपरिंग के आरोप थे, उन्हें साबित नहीं किया जा सका। कंपनी ने मध्य प्रदेश के सिंचाई विभाग के टेंडरों में 1030 करोड़ के लिए बोली लगाई थी। उस समय उन पर ई-टेंडरिंग में गड़बडिय़ों के आरोप लगाए गए थे। पहले ईओडब्ल्यू ने एफआईआर की थी और बाद में ईडी ने प्रकरण दर्ज किया था। अगस्त 2023 के फैसले में तेलंगाना हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि केवल संदेहों को कारण नहीं बनाया जा सकता। कुछ सबूत भी होने चाहिए। निर्णय में साफ लिखा गया था कि ईडी ने यह प्रकरण ईओडब्ल्यू की एफआईआर के आधार पर दर्ज किया था। लेकिन ईओडब्ल्यू ने जिन लोगों को टैंपरिंग का आरोपी बनाया थाए उन्हें ट्रायल कोर्ट ने ही सबूत नहीं होने के कारण बरी कर दिया था।
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-