विभिन्न ज्योतिष दोषों के सस्ते तथा अचूक उपाय

विभिन्न ज्योतिष दोषों के सस्ते तथा अचूक उपाय

प्रेषित समय :19:45:42 PM / Sat, May 17th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

रुद्राक्ष – ऊर्जा संतुलन का सूक्ष्म यंत्र :
रुद्राक्ष कोई साधारण बीज नहीं है. यह Elaeocarpus ganitrus वृक्ष का फल है, जिसका उपयोग प्राचीन भारतीय ऋषियों द्वारा ध्यान, चिकित्सा और ऊर्जात्मक संतुलन हेतु किया जाता रहा है. आधुनिक विज्ञान के अनुसार, रुद्राक्ष की सतह पर पाए जाने वाले प्राकृतिक गड्ढे (mukh) विद्युत चुम्बकीय कंपन (Electromagnetic Resonance) उत्पन्न करते हैं, जो मस्तिष्क की alpha तरंगों को सक्रिय कर मन को शांत करते हैं. यह bio-electric field को स्थिर करने में भी सहायक होता है.

ज्योतिष दोष और उनके वैज्ञानिक ऊर्जा-संकेतक उपाय:
1. कालसर्प दोष
लक्षण : 
जीवन में बाधाएं, असफलताएँ, मानसिक अशांति.
ऊर्जा दृष्टिकोण: राहु-केतु द्वारा सृष्ट मनोदैहिक असंतुलन.
उपाय :
आठ एवं नौ मुखी रुद्राक्ष – ये मस्तिष्क के Ajna Chakra (तीसरा नेत्र) पर प्रभाव डालते हैं, जिससे भय और भ्रम कम होता है.
कैसे धारण करें : 
काले रेशमी धागे में बुधवार या शनिवार को गंगाजल से अभिषेक कर धारण करें.
2. शकट योग
लक्षण : 
शिक्षा में विघ्न, मानसिक विचलन, परिवार से दूरी.
ऊर्जा दोष: चन्द्र की दुर्बलता और मंगल की प्रतिकूलता.
उपाय :
दो एवं दस मुखी रुद्राक्ष – चन्द्र और यम ऊर्जा को संतुलित करते हैं.
धारण विधि : 
सफेद/पीले धागे में, सोमवार या गुरुवार को धारण करें.
3. केमद्रुम योग
लक्षण : 
एकाकीपन, आर्थिक अभाव, असुरक्षा की भावना.
ऊर्जा दोष: चन्द्र की पूर्ण निर्बलता.
उपाय :
दो मुखी रुद्राक्ष – Ida-Pingala Nadi को संतुलित करता है, जिससे भावनात्मक स्थिरता आती है.
धारण विधि: 
सफेद धागे में सोमवार को धारण करें.
4. ग्रहण योग
सूर्य ग्रहण दोष लक्षण: 
आत्मविश्वास की कमी, प्रतिष्ठा में बाधा.
चन्द्र ग्रहण दोष लक्षण: 
मानसिक भ्रम, अत्यधिक संवेदनशीलता.
उपाय :
सूर्य दोष हेतु – एक मुखी / आठ / नौ मुखी रुद्राक्ष (लाल धागे में, रविवार).
चन्द्र दोष हेतु – दो मुखी / आठ / नौ मुखी रुद्राक्ष (सफेद धागे में, सोमवार).
वैज्ञानिक आधार: 
सूर्य और चन्द्र नाड़ी (सुषुम्ना व इड़ा) को संतुलित कर व्यक्तित्व में समरसता लाते हैं.
5. मंगल दोष (कुंडली में मंगलीक दोष) :
लक्षण: 
वैवाहिक जीवन में संघर्ष, गुस्सा, रक्तचाप संबंधी समस्या.
उपाय :
तीन या ग्यारह मुखी रुद्राक्ष – Solar Plexus Chakra को संतुलित करते हैं, जिससे क्रोध, हठ और अत्यधिक ऊर्जा को संयमित किया जा सके.
धारण विधि: लाल धागे में मंगलवार के दिन धारण करें.
रुद्राक्ष धारण की विधि (आध्यात्मिक प्रक्रिया)श्रेष्ठ समय:
श्रावण मास सर्वोत्तम है, क्योंकि यह शिव-ऊर्जा से परिपूर्ण होता है.
अन्यथा शुक्ल पक्ष के सोमवार भी उपयुक्त होते हैं.
शुद्धिकरण और पूजन विधि:
रुद्राक्ष को गंगाजल या शुद्ध जल में धोएं.
पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर) से अभिषेक करें.
पुनः शुद्ध जल से स्नान कराकर उसे स्वच्छ वस्त्र पर रखें.
पंचोपचार पूजा करें – गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पण करें.
उसे शिवलिंग पर अर्पण कर, फिर निर्माल्य (पवित्र प्रसादस्वरूप) रूप में स्वयं धारण करें.
जप करें:
“ॐ नमः शिवाय” या दोष विशेष का बीज मंत्र (जैसे राहु के लिए – "ॐ रां राहवे नमः").
  रुद्राक्ष, एक ऊर्जा-आधारित समाधान :
रुद्राक्ष केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, यह जीववैज्ञानिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से कार्य करने वाला उपकरण है. यदि सही विधि से धारण किया जाए तो यह न केवल दोषों के प्रभाव को कम करता है, बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा को ऊर्जित करता है. इसका कंपन क्षेत्र मानव आभामंडल (Aura) को पुनर्संतुलित करता है, जिससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है.

Bhardwaj N

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