केन्द्रीय श्रम संगठनों का संयुक्त मोर्चा का विरोध प्रदर्शन, श्रम कोड सहित श्रमिकों की समस्याओं के संबंध में कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

केन्द्रीय श्रम संगठनों का संयुक्त मोर्चा का विरोध प्रदर्शन, श्रम कोड सहित श्रमिकों की समस्याओं के संबंध में कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

प्रेषित समय :15:00:02 PM / Wed, May 21st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

कोटा. केन्द्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मोर्चा के संयोजक मुकेश गालव ने बताया कि देशभर के समस्त केंद्रीय संगठनों का राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन नई दिल्ली में 18 मार्च 2025 को आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन में पिछले वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा अपनाई गई आर्थिक, सामाजिक, श्रम संबंधी नीतियाँ, कार्यकलाप एवं श्रमिक, मध्यम वर्ग/गरीब जनता के मुद्दों को लगातार दरकिनार करने संबंधी प्रवृत्ति एवं विशेष रूप से श्रमिक विरोधी चार लेबर कोड लागू करने के केंद्र सरकार के निर्णय के बारे में विस्तार से चर्चा की गई.

सम्मेलन में एक घोषणापत्र पारित हुआ, जिसमें 20 मई 2025 को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने का निर्णय लिया गया था. इसके पश्चात पहलगाम में आतंकी हमला, निर्दोष 26 लोगों की दु:खद हत्या तथा उसके बाद की परिस्थितियों के मद्देनजर 20 मई 2025 की राष्ट्रव्यापी श्रमिक हड़ताल को स्थगित करने का निर्णय लिया गया. इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, राज. सीटू, एक्टू के तमाम पदाधिकारी एवं इनसे संलग्न श्रमिक, राष्ट्र की एकता, अखंडता एवं अस्मिता में विश्वास रखते हैं.

आतंकवादियों एवं दुश्मन राष्ट्र के विरुद्ध भारतीय सेना द्वारा प्रदर्शित बहादुरी पर हम गर्व करते हैं. इसके साथ ही केंद्रीय श्रमिक संगठन इस बात पर गंभीर चिन्ता व्यक्त करते हैं कि ऐसी विषम परिस्थितियों में भारत सरकार, श्रम संहिताओं को लागू करने, काम के घंटे बढ़ाने और ट्रेड यूनियन अधिकारों पर अंकुश लगाने के लिए आक्रामक तरीके से दबाव बना रही है. सरकार द्वारा कॉरपोरेट घरानों को सक्रिय रूप से समर्थन दिया जा रहा हैं. वैधानिक न्यूनतम वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा लाभों का इनके द्वारा खुलकर उल्लंघन किया जा रहा है.

राष्ट्रव्यापी हड़ताल 9 जुलाई तक की स्थगित

केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा 20 मई 2025 को निर्धारित राष्ट्रव्यापी हड़ताल को 9 जुलाई 2025 तक के लिए स्थगित किया गया है. राजस्थान के केंद्रीय श्रमिक संगठन (इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, राज.सीटू, एक्ट्र) यह उम्मीद करते हैं, जबकि केन्द्र सरकार के पास अब लगभग 2 माह का समय है, स्वतन्त्रता के पूर्व बनाए गए विभिन्न श्रम अधिनियम एवं कानूनों को बरकरार रखते हुए नए चार लेबर कोड लागू नहीं करने का निर्णय लिया जाएगा. इसके साथ ही न्यूनतम मजदूरी रु 26000/- प्रतिमाह तय हो तथा हर 5 वर्ष में मूल्य सूचकांक में वृद्धि अनुसार नियमित संशोधन सुनिश्चित किया जाए.

आठवां वेतन आयोग गठित करने संबंधी अधिसूचना शीघ्र जारी की जाए. सभी संस्थानों एवं औद्योगिक इकाईयों में कार्यरत श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के सुनिश्चित के साथ गारंटीड पेंशन का लाभ मिले. समाप्त किए गए 3 कृषि कानूनों को वापिस लाने के प्रयास पर विराम लगाया जाए तथा सी2 प्लस 50 के आधार वैधानिक एमएसपी और उस आधार पर, सुनिश्चित खरीद पर प्रतिबद्धता को लागू किया जाए.

केन्द्रीय श्रमिक संगठनों की मांग हैं कि रेलवे, बैंक, बीमा, बंदरगाह और गोदी आदि का निजीकरण रोका जाएं. स्वास्थ्य, बिजली, शिक्षा सेवाओं को सरकारी क्षेत्र में ही बनाए रखा जाएं. ठेका श्रमिकों को नियमित श्रमिकों के समान वेतन, भत्ते एवं अन्य सुविधाएं दी जाएं. समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया जाए. रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाएं एवं नियमित रोजगार दिया जाएं. 8 घंटे से अधिक कार्य/ड्यूटी नहीं कराई जाए, इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित हो.

न्यूनतम पेंशन राशि रु 9000/- प्रतिमाह तय की जाए. आँगनबाड़ी, आशा, मिड डे मील तथा आशा किरण आदि स्कीम वर्कर को श्रमिक का दर्जा प्रदान किया जाए. मनरेगा मे न्यूनतम मजदूरी मे वृद्धि के साथ-साथ, वर्ष मे कम से कम 200 दिन के रोजगार की गारंटी हो, सहित विभिन्न बकाया मांगों का शीघ्र निराकरण किया जाएं. केंद्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मोर्चा द्वारा मंगलवार 20 मई को जिलाधीश कार्यालय कोटा पर नारेबाजी की गई तथा प्रधानमंत्री महोदय के नाम जिलाधीश महोदय को ज्ञापन सौंपा गया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-