जबलपुर. एमपी के जबलपुर में भंवरताल स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में जिस डॉक्टर को तैनात किया गया था असल में वह पेंटर निकला. इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब एक महिला की मौत के बाद परिजनों ने इलाज कर रहे डॉक्टर को देखा. परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने गुरुवार शिकायत दर्ज जांच शुरू कर दी है.
मामला जबलपुर के सिविल लाइन स्थित रेल सौरभ ऑफिसर्स कॉलोनी निवासी मनोज कुमार की मां शांति देवी से जुड़ा है. शांति देवी सितंबर महीने से बीमार थीं, जिन्हें परिजनों ने भंवरताल स्थित मार्बल सिटी अस्पताल में भर्ती कराया था. 2 सितंबर 2024 को उनकी मृत्यु हो गई.
मृतका के बेटे मनोज कुमार ने जब अस्पताल से मिले मेडिकल रिकॉर्ड देखे, तो उसमें लिखा था कि शांति देवी का इलाज आईसीयू में डॉक्टर बृजराज उइके की निगरानी में हो रहा था. रिपोर्ट के अनुसार, 1 और 2 सितंबर की रात को ढ्ढष्ट में मरीज का चेकअप किया गया था. रिपोर्ट में यह भी दर्ज था कि डॉक्टर उइके ने मरीज को वेंटिलेटर पर शिफ्ट करने की सलाह दी थी, लेकिन स्टाफ की सहमति नहीं मिलने के कारण ऐसा नहीं हो सका.
स्टाफ ने बताया- इस नाम का डॉक्टर नहीं
हालांकि, मनोज कुमार का कहना है कि आईसीयू के किसी डॉक्टर से ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई थी. जब उन्होंने डॉक्टर बृजराज उइके से मिलने की कोशिश की, तो अस्पताल प्रबंधन लगातार टालमटोल करता रहा. इससे मनोज को शक हुआ, और उन्होंने अस्पताल स्टाफ से डॉक्टर के बारे में जानकारी लेनी चाही. इस पर कर्मचारियों ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर बृजराज उइके नामक कोई व्यक्ति कार्यरत ही नहीं है.
इसके बाद मनोज ने डॉक्टर बृजराज सिंह उइके नाम की जानकारी इंटरनेट पर खंगाली. उन्हें एक रजिस्टर्ड चिकित्सक की फोटो मिली, जो अस्पताल में मौजूद व्यक्ति से मेल नहीं खा रही थी. जब उस व्यक्ति से पूछताछ की गई, तो उसने अपना नाम बृजराज सिंह उइके बताया, लेकिन असल में वह एक पेंटिंग करने वाला मजदूर निकला.
डॉक्टर के कहने पर मजदूर बना डॉक्टर
पूछताछ में उसने बताया कि असली डॉक्टर का नाम सत्येंद्र है, जो फर्जी दस्तावेजों के सहारे डॉक्टर बनकर इलाज करता है. उसने यह भी स्वीकार किया कि वह सत्येंद्र का परिचित है और उसी के कहने पर डॉक्टर बनकर अस्पताल में काम कर रहा था. पुलिस फर्जी डॉक्टर सत्येंद्र की तलाश में जुट गई है और पूरे मामले की जांच जारी है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

