Supreme Court: हाईकोर्ट बिना अपील किए खुद से सजा नहीं बढ़ा सकते!

Supreme Court: हाईकोर्ट बिना अपील किए खुद से सजा नहीं बढ़ा सकते!

प्रेषित समय :20:39:35 PM / Thu, Jun 5th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि- सजा बढ़ाने का अधिकार तभी होता है जब राज्य, पीड़ित या शिकायतकर्ता अपील करें और आरोपित को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया हो, मतलब.... किसी मामले में यदि पीड़ित, शिकायतकर्ता या राज्य सरकार ने सजा बढ़ाने या नए आरोप में दोषी ठहराने की अपील नहीं की है, तो हाईकोर्ट अपने आप से ऐसा नहीं कर सकता.
खबरों की मानें तो.... यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने नागराजन नामक व्यक्ति की अपील पर सुनाया, जिसने मद्रास हाईकोर्ट के मदुरै बेंच के एक आदेश को चुनौती दी थी.
हाईकोर्ट ने उसे आत्महत्या के लिए उकसाने (आईपीसी की धारा 306) का दोषी करार देते हुए पांच साल की कड़ी सजा सुनाई थी.
नागराजन पर आरोप था कि उसने अपनी महिला पड़ोसी के घर में 11 जुलाई 2003 को घुसकर उसकी इज्जत से खिलवाड़ किया, जिसके नतीजे में अगले ही दिन महिला ने अपने बच्चे के साथ आत्महत्या कर ली थी.
ट्रायल कोर्ट ने नागराजन को धारा 354 (महिला की गरिमा भंग करना) और धारा 448 (गलत इरादे से घर में घुसना) के तहत दोषी ठहराया था, लेकिन धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) से बरी कर दिया था, नागराजन ने खुद को दोषमुक्त कराने के लिए हाईकोर्ट में अपील की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उल्टा उसे आत्महत्या के लिए उकसाने का भी दोषी ठहरा दिया और सज़ा बढ़ा दी, जिसके बाद नागराजन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.
खबरें हैं कि.... इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि- यदि पीड़ित, शिकायतकर्ता या राज्य ने कोई अपील नहीं की है, तो हाईकोर्ट खुद से किसी आरोपित की सजा नहीं बढ़ा सकता और ना ही उस पर नया आरोप जोड़ सकता है. यही नहीं, अदालत ने यह भी कहा कि- जो व्यक्ति अपील करता है, उसे अपील के बाद पहले से अधिक सजा नहीं मिलनी चाहिए, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत हाईकोर्ट की ओर से दी गई सजा को खारिज कर दिया, लेकिन.... आईपीसी की धारा 354 और 448 के तहत जो सजा ट्रायल कोर्ट ने दी थी, उसे बनाए रखा!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-