वित्तीय प्रणाली की डिजिटल निर्भरता में बढ़ोतरी के बीच, RBI, SEBI, IRDAI और NABARD जैसी प्रमुख रेगुलेटरी संस्थाओं ने साइबर सुरक्षा और अनुपालन के मानक सख्त कर दिए हैं.
RBI ने नवंबर 2023 में जारी किए गए Master Direction on IT Governance, Risk, Controls and Assurance की पालना अब अनिवार्य कर दी है — जिसमें बोर्ड‑स्तरीय IT चार्टर, साइबर क्राइसिस मैनेजमेंट प्लान, और 2–6 घंटे में ब्रीच रिपोर्टिंग जैसी ज़रूरतें शामिल हैं r
SEBI ने अगस्त 2024 को Cybersecurity and Cyber Resilience Framework (CSCRF) जारी किया — इसके तहत सभी रेगुलेटेड संस्थाओं को Security Operation Centre (SOC) स्थापित करना अनिवार्य होगा, साथ ही Cyber Capability Index (CCI) द्वारा क्षमता आकलन किया जाएगा .
IRDAI ने अप्रैल 2023 में “Guidelines on Information and Cyber Security for Insurers” जारी कीं — जिसमें बोर्ड-अप्रूव्ड साइबर पॉलिसी और वार्षिक स्वतंत्र ऑडिट जैसे उपाय अनिवार्य किए गए हैं.
NABARD ने ग्रामीण एवं सहकारी बैंकों के लिए मजबूत Cyber Security Framework लागू किया, जिसमें थर्ड‑पार्टी एटीएम, RRBs और RCBs के लिए ऑडिट व नियंत्रण मानक तय किए गए हैं .
इसके अतिरिक्त, वित्त मंत्रालय, RBI और NPCI मिलकर डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने के लिए नए सुरक्षा उपाय लागू कर रहे हैं.
क्यों कंपनियों पर बढ़ा सुरक्षा व अनुपालन का दबाव?
डिजिटल आर्थिक ढांचे की संरंका आवश्यकता
डिजिटलीकरण तेज़, पर सुरक्षा ढांचा पीछे: बैंकों, NBFCs, बीमा कंपनियों और सहयोगी बैंकों में डेटा और लेन-देन का डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन चल रहा है, लेकिन साइबर हमलें भी उतने प्रचंड रूप से बढ़े हुए हैं .
उच्च जोखिम वाली ब्रीच रिपोर्टिंग: बैंकों को ब्रीच की सूचना 2–6 घंटे में RBI को देने की बाध्यता ने तत्काल क्रियावान पहल को ज़रूरी बना दिया है
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रेगुलेटरी समन्वय: RBI से लेकर SEBI और IRDAI तक सभी में SOC, बोर्ड मान्यता, वार्षिक ऑडिट और क्षमता रिपोर्टिंग जैसी समान नीतियां देखने को मिल रही हैं — यह एक समान सुरक्षा बेंचमार्क की ओर संकेत करता है.
चुनौतियाँ और चिंताएँ
लागत और क्षमता: SOC स्थापित करना, CISO नियुक्ति, नियमित ऑडिट, और ब्रीच रिपोर्टिंग में संसाधनों की भारी आवश्यकता है, जो विशेषकर छोटे NBFCs और सहकारी बैंक के लिए मुश्किल हो सकती है ivaluegroup.com
ROI का प्रश्न: साइबर सुरक्षा में निवेश का प्रतिफल अक्सर दीर्घकालिक होता है — कंपनियां ROI सिद्ध करने में कठिनाई महसूस कर सकती हैं.
मानकीकरण और प्रशिक्षण: तकनीकी रूप से सक्षम कर्मियों की कमी, विशिष्ट प्रशिक्षण की आवश्यकता, और विस्तार की-जटिलता भी एक बड़ी चुनौती है.
प्रभावशाली समाधान
नीति और प्रक्रिया
रेगुलेटरी ग्रेडेड अनुपालन: जैसे SEBI ने छोटे/बड़े संस्थानों के लिए अलग-अलग समय-सीमा रखी (जनवरी/अप्रैल 2025)
थर्ड‑पार्टी SOC मॉडल: छोटे उद्यमों के लिए कॉस्ट-इफेक्टिव SOC विकल्प जैसे SEBI का मार्केट SOC सिस्टम .
तकनीकी और प्रशिक्षण उपाय
कर्मचारी जागरूकता प्रशिक्षण: फिशिंग, सोशल इंजीनियरिंग व लॉगिंग रूटीन की जानकारी.
खुद‑टेस्टेड डिजास्टर रिकवरी प्लान: नियमित रूप से ड्रिल और रिव्यू करना.
डेटा लिस्टिंग और टोकनाइजेशन: IRDAI और SEBI की डेटा-लाइज़ेशन मानकों के अनुरूप डाटा सुरक्षा उपाय करें — e.g., logs, DR डेटा भारत में स्टोर.
अधिनियमन से संरक्षण तक का सफर
रेगुलेटरी कडाई कंपनियों के लिए चिंता का विषय हो सकती है, लेकिन यह डिजिटल सुरक्षा और ग्राहक विश्वास का आधार भी बना सकती है.
मजबूत साइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर — SOC, मासिक ऑडिट, नियमित रिपोर्टिंग — कंपनियों के लिए अब सिर्फ "चुनाव" नहीं, बल्कि "आवश्यकता" बन गया है.
यह कदम भविष्य‑सक्षम डिजिटल वित्तीय प्रणाली के निर्माण में महत्वपूर्ण साबित होगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-