हर दिन ₹2.5 करोड़ का साइबर फ्रॉड और हममें से कोई भी अगला हो सकता शिकार

हर दिन ₹2.5 करोड़ का साइबर फ्रॉड और हममें से कोई भी अगला हो सकता शिकार

प्रेषित समय :18:05:34 PM / Wed, Jun 11th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

मुंबई.
हाल ही में पुणे के बैनर इलाके में एक महीने के भीतर 20 से अधिक प्रकार के साइबर फ्रॉड दर्ज किए गए. पुलिस के मुताबिक, सिर्फ इस एक क्षेत्र से प्रतिदिन लगभग ₹2.5 करोड़ की साइबर ठगी हो रही है.

इन अपराधों में शामिल हैं:

डिजिटल गिरफ्तारी स्कैम (Digital Arrest Scams)

सेक्सटॉर्शन

फर्जी जॉब ऑफर फ्रॉड

कस्टमर केयर स्कैम

लोन एप्स द्वारा धोखाधड़ी

KYC अपडेट के नाम पर बैंक अकाउंट खाली करना

बैनर पुलिस निरीक्षक चंद्रशेखर सावंत के मुताबिक, साइबर अपराधी "डर और लालच" जैसे दो मुख्य भावनाओं को निशाना बनाते हैं — लोग या तो नौकरी, लोन, पैसे की चाह में फंसते हैं या पुलिस, कोर्ट, गिरफ्तारी जैसे डर से झांसे में आ जाते हैं.

VIEWS: जब पुणे का बैनर भारत की साइबर तस्वीर दिखाने लगे
राष्ट्रीय स्तर पर क्या हो रहा है?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2023 में भारत में 75,000 से अधिक साइबर अपराध मामले दर्ज किए गए — और यह सिर्फ रिपोर्ट हुए मामलों की संख्या है.

विशेषज्ञों के अनुसार, वास्तविक आंकड़ा 4–5 गुना अधिक हो सकता है क्योंकि अधिकांश पीड़ित शर्म या जानकारी की कमी के कारण शिकायत नहीं करते.

हर 8 मिनट में एक साइबर अपराध भारत में होता है (CERT-In रिपोर्ट के अनुसार).

साइबर अपराध के नए चेहरे:
अपराध का प्रकार    लक्ष्य समूह    धोखाधड़ी का तरीका
Digital Arrest Scam    वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं    नकली पुलिस कॉल, धमकी
Job Scam    युवा बेरोजगार    फर्जी HR कॉल, ₹ के बदले जॉब
Loan App Fraud    आर्थिक रूप से असहाय    गुप्त डेटा चुराकर ब्लैकमेल
Sextortion    युवा सोशल मीडिया यूज़र    वीडियो कॉल/रिकॉर्डिंग से डराना
KYC Update Scam    बैंक ग्राहक    बैंकिंग ऐप से अकाउंट खाली

खतरा क्यों बढ़ रहा ?
डिजिटल इंडिया की गति तेज है, लेकिन साइबर सुरक्षा उतनी मज़बूत नहीं.

VPN और टॉर नेटवर्क का दुरुपयोग बढ़ा है — अपराधी अब देश के बाहर से भी काम कर सकते हैं.

पुलिस साइबर यूनिट्स की संख्या सीमित है, प्रशिक्षित स्टाफ की कमी है.

जनता को पर्याप्त साइबर शिक्षा नहीं है, खासकर ग्रामीण व बुजुर्ग वर्गों में.

क्या हो सकते हैं समाधान?
हर राज्य में ज़िला स्तर पर साइबर फोरेंसिक लैब बननी चाहिए.

RTI के ज़रिए केस ट्रैकिंग की अनुमति सीमित रूप में दी जा सकती है (जैसा कि गुजरात सूचना आयोग ने सुझाया).

राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन (1930) को और प्रभावी बनाया जाए.

स्कूली स्तर से साइबर शिक्षा शुरू होनी चाहिए.

बैंकों और डिजिटल सेवाओं को KYC फ्रॉड से बचाने के लिए इनबिल्ट चेतावनी तंत्र विकसित करना चाहिए.

सेल्फ-रिपोर्टिंग पोर्टल का प्रचार: जैसे cybercrime.gov.in

भारत को चाहिए 'साइबर संकल्प नीति'
जब एक शहर का एक क्षेत्र ₹2.5 करोड़/दिन का नुकसान झेल रहा है, तो सोचिए पूरे देश का हाल क्या होगा.
भारत को अब केवल “डिजिटल बनना” नहीं, बल्कि डिजिटल सुरक्षित बनना भी सीखना होगा.

सरकार को चाहिए कि वो राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अभियान चलाए, जैसे पहले पोलियो या स्वच्छता अभियान चले थे.

साथ ही, पुलिस-जन संवाद, बैंकों की जवाबदेही, और तकनीकी समाधान मिलकर ही इस चुनौती से निपट सकते हैं.

 क्या आप अगला शिकार बन सकते हैं? खुद से पूछिए:
क्या आपने कभी अनजान लिंक पर क्लिक किया?

क्या आपने कॉल पर OTP बताया?

क्या आपने कोई ऐप बिना सोचे-समझे डाउनलोड किया?

यदि इनमें से किसी का जवाब "हां" है, तो सावधान हो जाइए — साइबर अपराधी तैयार बैठे हैं.

 News & Views आपको सचेत करता है, डराता नहीं — क्योंकि जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है.
अपनी साइबर सुरक्षा की कहानी हमारे साथ साझा करें — अगला लेख शायद आपकी चेतावनी से कई को बचा सके. ईमेल : courtmitra @gmail.com 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-