e-Zero FIR से साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग और इंटरवेंशन में बड़ी उम्मीदें

e-Zero FIR से साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग और इंटरवेंशन में बड़ी उम्मीदें

प्रेषित समय :20:38:37 PM / Sun, Jun 8th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज  
डिजिटल युग में जहां हर सुविधा इंटरनेट और मोबाइल के माध्यम से हाथों में समा गई है, वहीं साइबर अपराधियों ने भी अपनी गतिविधियां तेजी से बढ़ाई हैं. भारत जैसे विकासशील और जनसंख्या बहुल देश में डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन बैंकिंग और सोशल मीडिया का उपयोग जितनी तेजी से बढ़ा है, उतनी ही तेजी से साइबर फ्रॉड के मामले भी सामने आ रहे हैं.

ऐसे परिप्रेक्ष्य में भारत सरकार द्वारा e-Zero FIR व्यवस्था की शुरुआत करना एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है. यह तकनीक आधारित पहल न केवल पीड़ितों को तुरंत राहत दिलाने का माध्यम बनेगी, बल्कि कानून व्यवस्था की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और तत्परता भी लाएगी.

e-Zero FIR क्या है?
e-Zero FIR, केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक डिजिटल पहल है जिसका उद्देश्य है कि साइबर अपराध विशेषकर वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मामलों को स्वचालित रूप से पंजीकृत (auto-register) किया जा सके. इसकी शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दिल्ली में की गई है, और आने वाले समय में इसे पूरे देश में लागू करने की योजना है.

e-Zero FIR का आशय यह है कि पीड़ित व्यक्ति बिना थाने जाए ऑनलाइन ही रिपोर्ट दर्ज करा सकेगा और संबंधित एजेंसी बिना किसी भौगोलिक बाधा के Zero FIR दर्ज कर लेगी, जो बाद में जांच के लिए उपयुक्त थाने को भेज दी जाएगी.

इस व्यवस्था की आवश्यकता क्यों पड़ी?
भारत में अब प्रतिदिन हजारों की संख्या में साइबर फ्रॉड के केस सामने आ रहे हैं. नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में औसतन हर दिन 4,000 से अधिक साइबर फ्रॉड केस रिपोर्ट हुए.

इनमें सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि पीड़ित अक्सर थानों में जाकर रिपोर्ट दर्ज नहीं कर पाते थे क्योंकि:

पुलिस "jurisdiction" यानी क्षेत्राधिकार की बात कर केस दर्ज करने से इंकार कर देती थी,

केस दर्ज करने में देरी होती थी,

और इससे अपराधी आसानी से पैसे ट्रांसफर करके गायब हो जाते थे.

इन समस्याओं को देखते हुए e-Zero FIR एक प्रौद्योगिकी आधारित समाधान के रूप में सामने आया है.

मुख्य विशेषताएँ
ऑटोमेटेड रजिस्ट्रेशन – ₹10 लाख या उससे अधिक की साइबर धोखाधड़ी की घटनाओं में FIR स्वतः दर्ज होगी.

जुरिडिक्शन से मुक्ति – अब अपराध स्थल या पीड़ित के स्थान की सीमा बाधा नहीं बनेगी.

रियल-टाइम इंटरवेंशन – रिपोर्ट दर्ज होते ही धन की ट्रेसिंग और फ्रीज़िंग प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाएगी.

डिजिटल ट्रैकिंग और स्टेटस अपडेट – पीड़ित केस की स्थिति ऑनलाइन ट्रैक कर सकेगा.

इसके लाभ
1. पीड़ितों को त्वरित न्याय
अब उन्हें कई थानों और अफसरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. रिपोर्ट सीधे केंद्रीकृत पोर्टल पर जाकर पंजीकृत हो जाएगी.

2. धोखाधड़ी रोकने की क्षमता
रिपोर्टिंग के तुरंत बाद अगर बैंक अकाउंट फ्रीज़ किया जाए तो पैसा वापस पाने की संभावना बढ़ जाती है. इस प्रक्रिया में देरी ही सबसे बड़ा नुकसान था जिसे अब टाला जा सकता है.

3. डेटा संग्रह और विश्लेषण में मदद
एक केंद्रीकृत डिजिटल सिस्टम से सरकार को यह समझने में मदद मिलेगी कि किस तरह के फ्रॉड अधिक हो रहे हैं और किस राज्य या क्षेत्र में साइबर अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है.

4. राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति को बल
भारत सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ पहल को यह तकनीक मजबूती देती है और आम नागरिक में सुरक्षा की भावना भी बढ़ती है.

व्यवहारिक चुनौतियाँ
हालांकि यह व्यवस्था बेहद उपयोगी है, लेकिन इसके सामने कुछ व्यावहारिक चुनौतियाँ भी हैं:

तकनीकी साक्षरता की कमी
ग्रामीण और कम पढ़े-लिखे लोगों को यह नहीं पता होता कि ऑनलाइन रिपोर्ट कैसे करें. मोबाइल, OTP, साइबर शब्दावली जैसे तत्व उनकी पहुँच से बाहर होते हैं.

बैंक और थानों के बीच समन्वय
रिपोर्ट होने के तुरंत बाद पैसा फ्रीज़ करने के लिए बैंक और पुलिस को एक साथ काम करना होता है, जिसमें अक्सर देरी होती है.

फर्जी शिकायतों की आशंका
ऑटो-रजिस्ट्रेशन के चलते गलत रिपोर्टिंग या दुश्मनीवश झूठे आरोप लगाने की आशंका भी बनी रहती है.

संवेदनशील डेटा की सुरक्षा
सभी केस ऑनलाइन दर्ज होने पर डाटा ब्रीच या हैकिंग का खतरा भी बढ़ता है.

भविष्य की संभावनाएँ
e-Zero FIR को देशव्यापी स्तर पर लागू करने के बाद सरकार निम्न बिंदुओं पर काम कर सकती है:

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम से रिपोर्ट की वैधता जांची जा सकती है.

सभी बैंकों और भुगतान ऐप्स को एक रियल-टाइम साइबर सिक्योरिटी नेटवर्क से जोड़ा जाए.

साइबर पुलिस स्टेशन और फॉरेंसिक यूनिट को जिला स्तर तक विस्तारित किया जाए.

नागरिकों के लिए साइबर हेल्पलाइन मोबाइल ऐप विकसित किया जाए जिसमें वॉइस सपोर्ट, लोकल भाषा और रिपोर्टिंग सुविधा हो.

निष्कर्ष
e-Zero FIR एक ऐतिहासिक पहल है जो साइबर फ्रॉड की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने की दिशा में एक मजबूत कदम है. यह न केवल आम नागरिक को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है, बल्कि डिजिटल गवर्नेंस की ओर भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है.

अब आवश्यकता है कि इस व्यवस्था को जन-जन तक पहुँचाने, तकनीकी रूप से मजबूत बनाने और इसमें सभी हितधारकों को जोड़े रखने की. तभी यह तकनीक अपने उद्देश्य में पूर्णत: सफल हो सकेगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-