Aaj Ka Din: शुक्रवार, 20 जून 2025, धन-वैभव के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत उत्तम है!

Aaj Ka Din: शुक्रवार, 20 जून 2025, धन-वैभव के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत उत्तम है!

प्रेषित समय :19:44:50 PM / Thu, Jun 19th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 6367472963)
* धन प्राप्ति के लिए धन की देवी श्री लक्ष्मी की नियमित पूजा-उपासना करें.
* पारिवारिक धन-सुख-सफलता के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत उत्तम है.
* धन की देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत विशेष महत्व है. यह व्रत शुक्रवार को किया जाता है. 
* सौभाग्यवती महिलाएं यह व्रत करके अपने परिवार की आर्थिक उन्नति में योगदान कर सकती हैं.
* शुक्रवार को प्रात: पवित्र स्नान के बाद श्रीयंत्र और देवी लक्ष्मी के विविध स्वरूप के दर्शन करने चाहिए.
* दिन भर उपवास करके यथासम्भव देवी लक्ष्मी के नाम का जाप करना चाहिए.
* सांयकाल वैभव लक्ष्मी की विधिवत पूजा-कथा और प्रसाद वितरण के बाद भोजन ग्रहण करना चाहिए. 
* वैभव लक्ष्मी व्रत की अनेक कथाएं हैं, विविध कथाएं देवी की प्रसन्नता के परिणाम को दर्शाती हैं, इसलिए केवल कथा सुनने को ही पूजा नहीं माने, सच्चे मन से देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें. 
* मानता के अनुरूप 11 या 21 शुक्रवार पूरे होने पर सात सौभाग्यशाली महिलाओं को भोजन करवा कर व्रत का विधिवत उद्यापन करना चाहिए.
* यदि किसी शुक्रवार को व्रत सम्भव नहीं हो तो देवी लक्ष्मी से क्षमा याचना करते हुए अगले शुक्रवार को व्रत करना चाहिए. लेकिन उद्यापन मानता के अनुरूप कुल 11 या 21 शुक्रवार के व्रत पूरे होने पर ही करना चाहिए.
* एक बार उद्यापन होने के बाद फिर से व्रत लिया जा सकता है.
* शुक्र से संबंधित व्यवसाय करने वालों को नियमित रूप से देवी लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए. 
* भौतिक सुख और सजावट से संबंधित कार्य, फिल्म, टीवी, मनोरंजन, वाहन, सुगंधित पदार्थ, तैयार कपड़े, होटल, डेकोरेशन, जेवर, डिजाईनिंग आदि शुक्र से प्रभावित व्यवसाय हैं.
* इन व्यवसायों में सफलता के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा-उपासना लाभदायक है.
* प्रतिदिन प्रात:काल पवित्र स्नान के बाद व्यवसाय में सफलता की कामना के साथ देवी लक्ष्मी की आराधना करें.
* पत्नी द्वारा पति के कार्य-व्यवसाय में धनलाभ की कामना के साथ शुक्रवार का व्रत और लक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ फल प्रदान करता है.
श्रीलक्ष्मी चालीसा
॥ दोहा ॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा,करो हृदय में वास.
मनोकामना सिद्ध करि,परुवहु मेरी आस॥
॥ सोरठा ॥
यही मोर अरदास,हाथ जोड़ विनती करुं.
सब विधि करौ सुवास,जय जननि जगदम्बिका.
॥ चौपाई ॥

सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही.ज्ञान, बुद्धि, विद्या दो मोही॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी.सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा.सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥
तुम ही हो सब घट घट वासी.विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी.दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी.कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी.सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी.जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता.संकट हरो हमारी माता॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो.चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी.सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा.रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा.लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं.सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी.विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी.कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई.मन इच्छित वाञ्छित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई.पूजहिं विविध भाँति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई.जो यह पाठ करै मन लाई॥
ताको कोई कष्ट नोई.मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि.त्रिविध ताप भव बन्धन हारिणी॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै.ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै.पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥
पुत्रहीन अरु सम्पति हीना.अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै.शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा.ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै.कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा.तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही.उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई.लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा.होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी.सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं.तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै.संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी.दर्शन दजै दशा निहारी॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी.तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में.सब जानत हो अपने मन में॥
रुप चतुर्भुज करके धारण.कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई.ज्ञान बुद्धि मोहि नहिं अधिकाई॥
॥ दोहा ॥
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी,हरो वेगि सब त्रास.
जयति जयति जय लक्ष्मी,करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित,विनय करत कर जोर.
मातु लक्ष्मी दास पर,करहु दया की कोर॥
श्री त्रिपुरा सुंदरी दैनिक धर्म-कर्म पंचांग-चौघड़िया : 20 जून 2025
शक सम्वत 1947, विक्रम सम्वत 2082, अमान्त महीना ज्येष्ठ, पूर्णिमान्त महीना आषाढ़, वार शुक्रवार, पक्ष कृष्ण, तिथि नवमी - 09:49 तक, नक्षत्र रेवती - 21:45 तक, योग शोभन - 23:47 तक, करण गर - 09:49 तक, द्वितीय करण वणिज - 20:36 तक, सूर्य राशि मिथुन, चन्द्र राशि मीन - 21:45 तक, राहुकाल 10:52 से 12:34, अभिजित मुहूर्त 12:07 से 13:01
दैनिक चौघड़िया- 20 जून 2025, शुक्रवार
दिन का चौघड़िया
चर - 05:46 से 07:28
लाभ - 07:28 से 09:10
अमृत - 09:10 से 10:52
काल - 10:52 से 12:34
शुभ - 12:34 से 14:16
रोग - 14:16 से 15:58
उद्वेग - 15:58 से 17:40
चर - 17:40 से 19:22
रात्रि का चौघड़िया
रोग - 19:22 से 20:40
काल - 20:40 से 21:58
लाभ - 21:58 से 23:16
उद्वेग - 23:16 से 00:34
शुभ - 00:34 से 01:52
अमृत - 01:52 से 03:10
चर - 03:10 से 04:28
रोग - 04:28 से 05:46
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
आज का राशिफल -
मेष राशि:- नई योजना बनेगी. कार्यप्रणाली में सुधार होगा. प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे. विरोधी सक्रिय रहेंगे. विवाद में न पड़ें. सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. कार्यकुशलता का विकास होगा. व्यवसाय लाभदायक रहेगा. सुख के साधनों पर व्यय होगा. उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी.

वृष राशि:- धर्म-कर्म में रुचि रहेगी. संत समागम हो सकता है. कोर्ट व कचहरी के काम सुलझेंगे. धन प्राप्ति सुगम होगी. राजकीय वरिष्ठ व्यक्ति से मुलाकात हो सकती है. परिवार की चिंता बनी रहेगी. वाणी पर नियंत्रण रखें. बात बिगड़ सकती है. जोखिम न लें.

मिथुन राशि:- पुराना रोग उभर सकता है. वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में सावधानी रखें. विवाद से स्वाभिमान को चोट पहुंच सकती है. जोखिम व जमानत के कार्य टालें. कुसंगति से हानि होगी. वरिष्ठजनों की सलाह मानें. विवेक का प्रयोग करें.

कर्क राशि:- किसी के व्यवहार से दिल को ठेस पहुंच सकती है. शारीरिक कष्ट बाधा का कारण बन सकता है. प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी. राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी. व्यवसाय ठीक चलेगा. धनार्जन होगा. घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी.

सिंह राशि:- शत्रु परास्त होंगे. आय में वृद्धि होगी. लेन-देन में सावधानी रखें. भय रहेगा. भूमि, भवन व दुकान आदि के खरीदने-बेचने की योजना बनेगी. रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे. आय के स्रोत बढ़ सकते हैं. प्रसन्नता रहेगी. परिवारजन साथ देंगे.

कन्या राशि:- व्यावसायिक यात्रा में सावधानी रखें. पार्टी व पिकनिक का आनंद प्राप्त होगा. विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा. मनपसंद भोजन की प्राप्ति संभव है. मस्तिष्क में पीड़ा रह सकती है. बेमतलब लोग विरोध करेंगे, धैर्य रखें. ठीक होगा. व्यवसाय ठीक चलेगा.

तुला राशि:-भागदौड़ अधिक होने से स्वास्थ्य प्रभावित होगा. किसी के व्यवहार से हृदय को ठेस पहुंच सकती है. विवाद को बढ़ावा न दें. दु:खद समाचार मिल सकता है, धैर्य रखें. पुराना रोग उभर सकता है. लापरवाही न करें. आय में कमी रहेगी. प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें. जोखिम न लें.

वृश्चिक राशि:- कष्ट, भय व तनाव का वातावरण बन सकता है. पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. व्यवसाय ठीक चलेगा. कार्यसिद्धि होने से प्रसन्नता रहेगी. पार्टनरों से मतभेद समाप्त होकर सहयोग मिलेगा. बाहर जाने का मन बन सकता है. धनार्जन होगा. जल्दबाजी न करें.

धनु राशि:- कान संबंधी रोग हो सकता है. कीमती वस्तुएं संभालकर रखें. अतिथियों का आगमन होगा. व्यय बढ़ेगा. शुभ समाचार प्राप्त होंगे. क्रोध पर नियंत्रण रखें. व्यवसाय ठीक चलेगा. परिवार के सदस्यों का सहयोग मिलेगा. आय में वृद्धि होगी.

मकर राशि:- स्वास्थ्य संबंधी समस्या रहेगी. बेचैनी रहेगी. व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी. अप्रत्याशित लाभ हो सकता है. लॉटरी व सट्टे आदि से दूर रहें. बेरोजगारी की समस्या समाप्त होगी. प्रयास करें. नए अनुबंध हो सकते हैं. व्यवसाय ठीक चलेगा. प्रमाद न करें.

कुम्भ राशि:- स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा. क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें. कीमती वस्तुएं संभालकर रखें. चिंता तथा तनाव रहेंगे. जरूरी कागजों को समझकर हस्ताक्षर करें. कोई बड़ी मुसीबत आ सकती है. अपनों से विरोध होगा. धैर्य रखें.

मीन राशि:- जीवनसाथी के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें. चोट व रोग से हानि संभव है. बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे. व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी. धनार्जन सुगमता से होगा. मान-सम्मान मिलेगा. दूसरों के भरोसे कार्य न करें. विवेक का प्रयोग आवश्यक है.
 * आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ)  वाट्सएप नम्बर 7879372913
* यहां राशिफल चन्द्र के गोचर पर आधारित है, व्यक्तिगत जन्म के ग्रह और अन्य ग्रहों के गोचर के कारण शुभाशुभ परिणामों में कमी-वृद्धि संभव है, इसलिए अच्छे समय का सद्उपयोग करें और खराब समय में सतर्क रहें.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-