अभिमनोज
एमपी हाईकोर्ट का कहना है कि- पत्नी के व्हाट्सएप चैट को तलाक के मामले में सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, भले ही यह उसकी बिना सहमति के हासिल किया गया हो.
खबरों की मानें तो.... इस मामले में अदालत का कहना है कि- निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार, निजता के अधिकार से ऊपर है.
खबरें हैं कि.... जस्टिस आशीष श्रोती की बेंच ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि- पारिवारिक न्यायालयों के पास किसी भी सबूत को स्वीकार करने की शक्ति है, भले ही वह भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत स्वीकार्य भले ही न हो.
खबरों पर भरोसा करें तो.... अदालत ने यह फैसला उस महिला की याचिका पर दिया, जिसने पारिवारिक न्यायालय के ऐसे आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसके पति को निजी चैट को सबूत के तौर पर प्रस्तुत करने की स्वीकृति दी गई थी.
इन दोनों की शादी वर्ष 2016 को हुई थी और उनकी एक बेटी भी है, पति ने पत्नी पर क्रूरता के साथ-साथ किसी और व्यक्ति के साथ संबंध के आरोप लगाते हुए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक के लिए अर्जी दी थी.
इन आरोपों को साबित करने के लिए, पति ने व्हाट्सएप चैट का उपयोग किया, पति का कहना था कि- ये चैट उसे उसकी पत्नी के फोन पर एक गुप्त ऐप के जरिए मिले थे. इन चैट मैसेज में कथित तौर पर पत्नी के किसी और के साथ संबंध होने के तथ्य सामने आए थे, लेकिन.... पत्नी ने भी अपने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए एक अलग अर्जी दाखिल की और जब पति ने व्हाट्सएप चैट को सबूत के तौर पर प्रस्तुत करने की कोशिश की, तो पत्नी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि- ये चैट गैरकानूनी तरीके से हासिल किए गए हैं और यह निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, यही नहीं, पति ने चैट हासिल करने के लिए जो तरीका अपनाया, वह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का उल्लंघन करता है.
हालांकि.... अदालत ने पत्नी के तर्कों को खारिज कर दिया और कहा कि- पारिवारिक न्यायालय अधिनियम की धारा 14 के तहत, न्यायालयों को किसी भी सबूत को स्वीकार करने की स्वतंत्रता है, भले ही वह भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत स्वीकार्य न हो, यदि इससे विवादों को प्रभावी ढंग से हल करने में मदद मिलती है.
अदालत का कहना है कि- पारिवारिक न्यायालय एक विशेष कानूनी ढांचे के तहत काम करते हैं, इसका मकसद संवेदनशील वैवाहिक मामलों में सबूतों के नियमों को सरल बनाना है, यह व्यापक शक्ति इसलिए दी गई है, क्योंकि परिवार से जुड़े कई विवादों में निजी और अंतरंग विवरण शामिल होते हैं, इन्हें अक्सर पारंपरिक कानूनी तरीकों से नहीं पकड़ा जा सकता है!
एमपी हाईकोर्ट: पति, पत्नी और वो, के मामले में व्हाट्सएप चैट भी सबूत है, निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार, निजता के अधिकार से ऊपर है!
प्रेषित समय :20:29:07 PM / Sat, Jun 21st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर