मां कामाख्या अंबुबाची मेले का तांत्रिक महत्व क्यों है?

मां कामाख्या अंबुबाची मेले का तांत्रिक महत्व क्यों है?

प्रेषित समय :19:39:48 PM / Sun, Jun 22nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

मां कामाख्या मंदिर को भारत की प्रमुख तांत्रिक पीठों में से एक माना जाता है. यह स्थान 51 शक्तिपीठों में भी शामिल है, जहाँ माना जाता है कि माँ सती का योनिभाग गिरा था. इसलिए यहाँ देवी को उर्वरता और सृजन की शक्ति के रूप में पूजा जाता है, न कि मूर्ति रूप में, बल्कि एक योनि के प्रतीक रूप में.

तांत्रिक महत्व के कारण:

1. योनि पूजा का केंद्र:
कामाख्या मंदिर में देवी की पूजा "योनि-पीठ" के रूप में होती है. यह तंत्र शास्त्र की विशेष परंपरा है, जिसमें स्त्री शक्ति (शक्ति तत्व) को सर्वोच्च माना गया है.
2. अंबुबाची और रजस्वला देवी:
अंबुबाची के दौरान यह माना जाता है कि माँ पृथ्वी और देवी शक्ति दोनों को मासिक धर्म होता है, जो तंत्र में सृष्टि और उर्वरता की चरम स्थिति मानी जाती है. यह काल तांत्रिक साधनाओं के लिए अत्यंत उपयुक्त माना गया है.
3. तांत्रिकों का जमाव:
इस समय भारत भर से और नेपाल, बांग्लादेश तक से तांत्रिक, अघोरी, सिद्ध साधक कामाख्या में साधना हेतु आते हैं, क्योंकि यह समय विशेष रूप से गुप्त साधनाओं, तांत्रिक अनुष्ठानों और मंत्र सिद्धि के लिए शक्तिशाली माना जाता है.
4. शक्ति उपासना का मुख्य केंद्र:
कामाख्या देवी दश महाविद्याओं का निवास स्थान भी मानी जाती हैं. यहाँ काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी आदि महाविद्याओं की भी पूजा होती है, जो तंत्र मार्ग में उच्चतम साध्य हैं.
5. गुप्त और वाममार्गी साधनाएँ:
अंबुबाची के समय यहाँ वामाचार तंत्र साधनाओं का विशेष महत्व होता है, जिनमें योग, मंत्र, यंत्र, भस्म, मांस-मदिरा आदि का प्रयोग होता है (यह आम लोगों के लिए नहीं होता, बल्कि विशेष साधकों द्वारा किया जाता है)
*पंडित चंद्रशेखर नेमा हिमांशु*(9893280184)
मां कामाख्या साधक जन्मकुंडली विशेषज्ञ वास्तु शास्त्री

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-