दुनिया में संघर्ष का नहीं सहयोग का माहौल बनाएं, बजट विकास में लगे तो हर देश तरक्की की राह पर चलेगा!

दुनिया में संघर्ष का नहीं सहयोग का माहौल बनाएं

प्रेषित समय :19:28:19 PM / Sun, Jun 29th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अहमदाबाद (व्हाट्सएप- 8302755688).
वर्तमान में वैश्विक परिदृश्य काफी समस्याओं से भरा हुआ नजर आ रहा है. कई वर्षों से यूक्रेन और रूस में ठनी हुई है, तो इजराइल व फिलिस्तीन का मुद्दा कुछ समय पहले ही ठंडा हुआ है, तो इसके बाद इजरायल और ईरान का नया मामला शुरू हो गया, भारत और पाकिस्तान के बीच भी संघर्ष की स्थितियां बनी और देश की सरकार व नेताओं की समझदारी व बेहतर प्रबंधन ने इसे समय पर निपटा दिया, जिससे दोनों देशों की जनता राहत महसूस कर रही है. 

वैश्विक परिदृश्य को लेकर आम लोगों का मानना है कि कुछ देश व नेता दुनिया की व्यवस्थाओं पर नियंत्रण चाहते हैं, यह स्थिति ठीक नहीं है. दुनिया के देशों को विकास के मामले में आपसी सहयोग की आवश्यकता है ना कि आपसी संघर्ष को लेकर लामबंदी और खींचतान करने की.

ऑल इंडिया ब्राह्मण फेडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री पंडित पदमप्रकाश शर्मा कहते हैं कि पहले दुनिया अमेरिका और रूस दो खेमो में बटी हुई थी और वर्तमान में रूस की शक्तियां कम होने के बाद कई नए विकसित देश यूरोपीय संघ के बैनर तले तीसरी शक्ति के रूप में उभरे है, ऐसी स्थिति में उनकी आपसी खींचतान दुनिया के लोगों के लिए समस्या का कारण बनती जा रही है.  वैश्विक वर्चस्व स्थापित करने की होड़, खाड़ी देशों में तेल भंडारों पर नियंत्रण और हथियारों की बिक्री के कारण दुनिया संकट में है. अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ और नाटो के साथ अब दुनिया में कई विकासशील देश भारत, ब्राजील आदि अपनी प्रभावी पहचान और हैसियत बना चुके हैं. इसलिए यह कुछ विकसित देशों को पसंद नहीं आ रहा है समस्या इसी से पैदा हो रही है.

देश में बेहतर सड़कों के निर्माण में जुटी राष्ट्रीय प्रतिष्ठित संस्थान इंफिनिटी के वरिष्ठ प्रबंधक संदीप परमार कहते हैं कि वैश्विक शांति का मुद्दा अब गौण हो गया है और आपसी प्रतिद्वंदिता भारी होती जा रही है. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान में संघर्ष का मुद्दा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सूझबूझ, समय पर सटीक फैसले और आक्रामक रुख के चलते प्रभावी ढंग से समय पर सुलट गया अन्यथा दुनिया का वातावरण वर्तमान में अशांतिपूर्ण ही बना हुआ है और कई देश लंबे समय से आपस में उलझे हुए हैं. परमार कहते हैं कि शांति की बात करना और शांति के लिए वास्तविक प्रयास करना दोनों महत्वपूर्ण मामले हैं और इस दिशा में भारत ने पाक से विवाद के दौरान ठोस पहल की और समस्या का अपनी शर्तों पर समाधान किया, जबकि दुनिया के कई देश प्रभावी प्रयास नहीं कर पा रहे हैं. भारत पाक में कुछ समय पहले उपजा तनाव अल्प समय में अपनी शर्तों पर शांति से निपटना नरेंद्र मोदी सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि रही है. 

भारतीय स्टेट बैंक में वरिष्ठ पदों पर क्षेत्रीय स्तर पर सेवाएं दे चुके हेमंत द्विवेदी कहते हैं कि दुनिया में शांति, सहयोग, सद्भाव और प्रगति का संदेश वर्तमान में सबसे बड़ी आवश्यकता है. वह कहते हैं कि भारत की परंपरागत सोच सर्वे भवंतु सुखिनः और संपूर्ण विश्व मेरा परिवार है की नीतियों पर चलने से ही दुनिया में शांति और आपसी सहयोग स्थापित किया जा सकता है, एक दूसरे को गिराने और नुकसान पहुंचाने की सोच से समस्याएं बढ़ाने वाली है. उनका मानना है कि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सोच और काम में समानता के आधार पर शांति दूत व प्रेरक के रूप में प्रतिष्ठित है यह हमारी महत्वपूर्ण उपलब्धि है. वैश्विक स्तर पर हर मामले में भारत को मिलने वाले प्रभावी महत्व से यह स्पष्ट भी है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कार्यरत भारत सरकार दुनिया की वर्तमान व्यवस्थाओं में मजबूत हैसियत रखती है, और भारत की राय महत्वपूर्ण मानी जाती है. 

नर नारायण इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के कैंपस डायरेक्टर संजय शर्मा कहते हैं कि दुनिया में विभिन्न समस्याओं का मुख्य कारण आतंकवाद है और आतंकवादियों को सहयोग देने वाले देश और ऐसी सोच के लोगों पर नियंत्रण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है. वह कहते हैं कि दुनिया में व्यवस्थाओं को अपने हिसाब से चलाने की सोच रखने वाले कई देश व नेता आतंकवादी संगठन व इससे जुड़े लोगों को अपनी सुविधा से इस्तेमाल करते हैं और आवश्यकता अनुसार उन्हें समय-समय पर उन्हें मदद देकर प्रोत्साहित करते हैं जिससे वह आगे बढ़ते हैं. कई बार प्रोत्साहन करने वालों के लिए भी आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त संगठन संकट का कारण बनते हैं. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति के बावजूद भी ऐसे नेताओं की सोच में बदलाव नहीं हो रहा है यह दुखद है. 

देश की प्रतिष्ठित टाटा कंपनी में नवीन तकनीकी और कार्यक्रमों से जुड़े वरिष्ठ प्रबंधक एवं अभियंता जितेंद्र झा कहते हैं कि दुनिया में वर्तमान समस्या विकसित देशों द्वारा पैदा की गई ऐसी परेशानी है जो उनके स्वार्थ को पूरा करने पर निर्भर है. विकासशील व अविकसित देश विकसित देशों के हाथों की कठपुतलियां बनते जा रहे हैं. दुनिया को हथियारों का बाजार बनाने की उनकी सोच कई देशों के विकास को प्रभावित कर रही है और कई देशों का रक्षा बजट इतना बढ़ गया है कि उन देशों में विकास की सोच अब कमजोर  पड़ती जा रही है. कई क्षेत्रों में क्षेत्रीय विवादों को जन्म देने के बाद दुनिया के तथाकथित नेतृत्व करने वाले चंद विकसित देश मध्यस्थता के माध्यम से अपना वर्चस्व स्थापित करते हैं और हथियार बेचकर अपने उद्योग धंधों को बढ़ावा देते हैं. 

छात्रसंघ व छात्र संगठनों का नेतृत्व कर चुके वरिष्ठ समाजसेवी और व्यापारिक गतिविधियों से जुड़े वैभव अरोड़ा कहते हैं कि विश्व की परिस्थितियों चाहे जैसी भी रही हो भारत ने हमेशा शांतिपूर्ण मार्ग चुना है और वर्तमान में नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार की प्रभावी नीतियां दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है. वह कहते हैं कि कुछ समय पूर्व भारत और पाक के बीच उपजा तनाव और विवाद मोदी सरकार की शानदार प्रयासों व योजना के चलते कुछ समय में निपट गया अन्यथा दुनिया में कई देशों  रूस - यूक्रेन, खाड़ी देश व इजरायल के मामले में चल रहे आपसी विवाद और संघर्ष लंबे समय से चल रहे हैं और उनका समाधान होने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है. भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन करने पर सबक भी सिखाया और भविष्य के लिए चेतावनी भी दे दी.

फॉरेंसिक साइंस में अध्ययनरत युवा लय द्विवेदी कहते हैं कि वर्तमान में खुले तौर पर हो रहे आपसी विवाद और संघर्ष के साथ ही घातक रसायनों व बीमारियों से जुड़े वायरसों का कई तरह से उपयोग करने के समाचार चिंताजनक हैं. आम लोगों के लिए घातक रसायन व नुकसानदायक वायरस गंभीर समस्याओं का कारण बन सकते है. कुछ वर्षों पहले उपजा कोरोना संकट रूप बदलकर सामने आता रहता है, यह भी एक समस्या व चिंता का विषय है. दुनिया के देशों में आगे बढ़ने की होड़ एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के रूप में चले तो बेहतर है अन्यथा एक दूसरे का नुकसान पहुंचाने की नीति के चलते दुनिया में कई तरह की परेशानियां लगातार सामने आती रहेगी. दुनिया में संघर्ष और विवादों के स्थान पर आपसी सहयोग से विकास का रास्ता तय करने की सोच विकसित करने की आवश्यकता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-