पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर में सीनियर रेडियोलॉजिस्ट डाक्टर गोपाल पोल की डेंगू से मौत हो गई. वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे, जिनका शहर के निजी अस्पताल में उपचार चल रहा था. इलाज के दौरान डाक्टर गोपाल पोल की रिपोर्ट डेंगू पाजिटिव आई थी, जिसके चलते डाक्टरों की टीम लगातार उनके इलाज में जुटी रही, फिर भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी.
बताया गया है कि रेडियोलाजिस्ट डाक्टर गोपाल पोल का इलाज कर रहे डाक्टरों का कहना था कि उनकी प्रारम्भिक जांच में डेंगू की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी, हालांकि लक्षण डेंगू जैसे ही थे. लक्षण दिखने के बाद ही गोपाल पोल का इलाज शुरु कर दिया गया था. डेंगू से होने वाली यह पहली मौत है. डाक्टरों की माने तो डेंगू का वायरस चार प्रकार के सेरोटाइप्स (डेन-1, डेन-2, डेन-3 व डेन-4) में पाया जाता है. इनमें से किसी एक से संक्रमित होने के बाद अन्य प्रकारों के विरुद्ध प्रतिरक्षा नहीं बनती. ऐसे में जब डेंगू तेजी से फैल रहा है तो उससे बचाव के तरीकों की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है.
गौरतलब है कि बारिश व उमस भरी गर्मी के कारण मच्छरों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं, जिससे डेंगू के मामले बढ़ते है. बारिश के रुकने के बाद जब कहीं पानी जमा हो जाता है तो उसमें मच्छरों का लार्वा तेजी से पनपता है. यही कारण है कि जुलाई, अगस्त व सितंबर के महीने डेंगू के लिए अति संवेदनशील माने जाते हैं. डेंगू के लक्षणों की बात की जाए तो प्रारंभिक लक्षण अचानक और तेज बुखार होता है, आंखों के पीछे तेज सिरदर्द जिसे डेंगू सिरदर्द कहा जाता है. जोड़ों-मांसपेशियों में दर्द जिसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है. त्वचा पर दाने, बुखार के कुछ दिनों बाद शरीर पर रैशेज हो सकते हैं. थकान व कमजोरी संक्रमण के बाद कई हफ्तों तक कमजोरी बनी रह सकती है. रक्तस्राव, नाक, मसूड़ों या त्वचा के नीचे रक्तस्राव हो सकता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-