वर वधु पत्रिका मिलान से सबसे महत्वपूर्ण तथ्य को अनदेखा न करें

वर वधु पत्रिका मिलान से सबसे महत्वपूर्ण तथ्य को अनदेखा न करें

प्रेषित समय :00:12:44 AM / Wed, Jul 2nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

वर-वधु की कुंडली मिलान में केवल गुण मिलान (अष्टकूट मिलान) पर निर्भर करना पर्याप्त नहीं होता. इसके साथ-साथ महादशा और अंतरदशा का विश्लेषण अत्यंत आवश्यक है. कारण यह है कि गुण मिलान केवल सामान्य अनुकूलता बताता है, लेकिन जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव, सुख-दुख, मानसिक सामंजस्य, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति और वैवाहिक दीर्घायु आदि का आकलन महादशा से ही होता है.

क्यों ज़रूरी है महादशा देखना?
1. वर्तमान एवं आगामी दशा का प्रभाव – यदि विवाह के समय किसी एक की महादशा अशुभ ग्रह की हो (जैसे राहु, शनि, केतु या नीच ग्रह), तो वैवाहिक जीवन में बाधाएं या कष्ट संभव हो सकते हैं.
2. दोनों की दशाएं मेल खाती हैं या नहीं – यदि दोनों की दशाएं परस्पर विरोधी प्रभाव दे रही हों, तो मनमुटाव, दूरी या तलाक तक की स्थिति बन सकती है.
3. दोषों की सक्रियता का पता चलता है – जैसे मांगलिक दोष या शनि-दोष की दशा में सक्रियता कितनी है, यह महादशा से ही पता चलता है.
4. विवाह योग की पुष्टि – कुंडली में विवाह योग कब है, कितनी देर में है, या विवाह विलंब का कारण क्या है — ये सब महादशा देखकर ही सही तरीके से समझा जा सकता है
*उदाहरण*
*अगर वर की कुंडली में शुक्र की महादशा चल रही है (जो विवाह का कारक है), तो यह विवाह के लिए अनुकूल संकेत देता है.
*वहीं वधु की कुंडली में राहु की महादशा हो, जो सप्तम भाव पर दृष्टि डाल रहा हो, तो मानसिक तनाव और वैवाहिक जीवन में असंतोष की संभावना हो सकती है.
*निष्कर्ष*
इसलिए विवाह से पहले गुण मिलान के साथ-साथ दोनों की महादशा–अंतरदशा, दशमांश व नवमांश कुंडली का विश्लेषण भी अवश्य करना चाहिए.
*पंडित चंद्रशेखर नेमा हिमांशु*(9893280184)
मां कामाख्या साधक जन्मकुंडली विशेषज्ञ वास्तु शास्त्री

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-