मंत्रः-
*"ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ-कार ! ॐ गुरु भू-मसान, ॐ गुरु सत्य गुरु, सत्य नाम काल भैरव कामरु जटा चार घाट घाट चोपता, बैठे नगर में सुमरो तोय दृष्टि छोड़ दे बरा. मोय हनुमान् वास्तु शास्त्र. भैरव बसे कपाल. नरसिंह जी की मोहिनी मोहे सकल संसार. भूत मोहूं, प्रेत मोहूं, जिंद मोहूं, मसान मोहूं, घर का मोहूं, बाहर का मोहूं, ब्रम राक्षष मोहूं, कोढ़ा मोहूं, अघोरी मोहूं, दुती मोहूं, डुमनी मोहूं, नगर मोहूं, घेरा मोहूं, जादू-टोना मोहूं, डंकनी मोहूं , संकणी मोहूं, रात का बटोही मोहूं, पनघट की पनिहारी मोहूं, इंद्र और इंद्र का आसन मोहूं, राजा मोहूं,रानी मोहुं गद्दी बैठा बनिया मोहूं, आसन असंत योगी मोहूं, और को देखो जले-भुने मोय देखे पायन परे. जो कोई काटे मेरा वाचा अँधेरा कर, लूला कर, सीधी वोरा कर, अग्नि में जला दे, धरती को बताय दे, गढ़ी बताय दे, हाथ को बता दे, गाँव को बता दे, खोये को मिला दे, रुठे को मनाय दे, दुष्ट को सताय दे, दोस्तों को बढ़ाया दे. वाचा छोड़ कुवाचा चले, माता का चोखा दूध हराम करे. हनुमान की आण, गुरुण को प्रणाम. ब्रह्मा-विष्णु साख, भगवान भी सलाम. लोना चमारी की आण, माता गौरा पार्वती महादेव जी की आण. गुरु गोरखनाथ की आण, सीता-रामचन्द्र की आण. मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति. गुरु के वचन से चले, तो मन्त्र ईश्वरो वाचा."*
विधिः-
सर्व-कार्य सिद्ध करने वाला यह मंत्र अत्यंत गुप्त और अत्यंत प्रभावशाली है.
इस मंत्र से केवल परोपकार के कार्य करना चाहिए.
1॰ रविवार को पीपल के नीचे अर्धरात्रि के समय जाना चाहिए, साथ में उत्तम गुग्गुल, सिन्दूर, शुद्ध केसर, लौंग, शर्करा, पंचमेवा, शराब, सिन्दूर लपेटा नारियल, सवा गज लाल कपड़ा, आसन के लिए, चंदन का बुरा एवदा लाल लूंगी आदि वस्तुएँ ले जानी चाहिए. लाल लूंगी पहनकर पीपल के नीचे चौका लगाकर पूजा करें, धूप में सब सामान बचाकर रखें. साथ में तलवारें और लालटेन रखनी चाहिए.
प्रतिदिन 108 बार इक्कीस दिन तक जप करें.
यदि कोई कौतुक दिखाई दे तो डरना नहीं चाहिए.
मंत्र सिद्ध होने पर जब भी उपयोग में लाना हो, तब अग्नि पर धूपदान तीन बार मंत्र पढ़ने से कार्य सिद्ध होगा.
ऊपर जहां चौक के निर्माण के बारे में बताया गया है, उसका अर्थ यह है कि स्मारक को स्मारक बनाया गया था. चार चौकियाँ अलग-अलग बनायें. पहले धुनी गुरु की, फिर हनुमान की, फिर भैरव की, फिर नरसिंगा की. यह चारों चौकों में शामिल है. आग चारों ओर घर करो. गुरु की पूजा में गुग्गुल नहीं डाला गया. नारायण की धूनी में नाहरी के फूल एवं शराब और भैरव की धूनी में केवल शराब पिलाई जाती है.
2॰ उक्त मंत्र का अनुष्ठान शनि या रविवार को करना चाहिए. एक पत्थर का तीन कोने वाला टुकड़ा लेकर उसे एकांत में स्थापित करें.
इसके ऊपर तेल-सिंदूर का लेप करें.
पैन और नारियल में अंकित. नित्य सरसों के तेल का दीपक जलाए. दीपक अखंड रहे तो मिलेगा उत्तम फल. मंत्र को नित्य 27 बार जपें.
चालीस दिन तक जप करें. इस प्रकार मंत्र सिद्ध हो जाता है. नित्य जप के बाद छार छबीला, कपूर, केसर और लॉग की आहुति करनी चाहिए.
बगल में बाकला, बाटी रखनी चाहिए.
जब भैरव दर्शन दे, तो डरें नहीं, भक्ति-निर्पेक्ष प्रणाम करें और उड़द के बने पकौड़े, बेसन के लोध और गुड़ मिला कर दूध बलि में निर्विकार करें.
इस मंत्र में सभी कार्य सिद्ध होते हैं.
सर्व कार्य-सिद्ध भैरव शाबर मंत्र
प्रेषित समय :20:21:32 PM / Thu, Jul 3rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर