क्या बाबू साहेब के सहारे बिहार प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता पाने के फिराक में है भाजपा?

क्या बाबू साहेब के सहारे बिहार प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता पाने के फिराक में है भाजपा?

प्रेषित समय :18:11:40 PM / Thu, Jul 3rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अनिल मिश्र/पटना 

बिहार प्रदेश में नब्बे के दशक में अगड़े- पिछड़े, मुस्लिम और दलित समुदाय को लेकर राजनीति करने वाले एवं पन्द्रह वर्षों तक बिहार प्रदेश में राज करने वाले राष्ट्रीय जनता दल और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के नक्शे कदम पर  क्या भारतीय जनता पार्टी चल पड़ी है.यह बिहार प्रदेश की राजनीतिक नब्ज टटोलने वाले आशंका जता रहे हैं.कभी ब्राह्मणों और बनिया का पार्टी कहे जाने वाले भारतीय जनता पार्टी के बिहार इकाई में भूमिहारों का दबदबा कायम रहा है.

लेकिन इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जनसंख्या के आधार पर बिहार में सवर्णों में ब्राह्मण जाति के बाद दूसरे स्थान पर राजपूत (बाबू साहेब)जाति के सहारे बिहार का ताज अपने पास रखने के लिए केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बदौलत अपनी चाल चल दिया है.कभी बिहार में सवर्णों के मुखर विरोधी रहे लालू प्रसाद यादव और राष्ट्रीय जनता दल राजपूत जाति को साथ में रखकर सत्ता का स्वाद चखते रहा. वहीं भारतीय जनता पार्टी इसी जाति को साधकर बिहार में अपनी सरकार पुनः काबिज करने के प्रयास में है.

बिहार प्रदेश में  औरंगाबाद जिले को चितौड़गढ़ के नाम से जाना जाता है. आजादी के बाद से इस औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र से हर समय सिर्फ राजपूत जाति के ही उम्मीदवार जितते रहें हैं. लेकिन इस बार यह मिथक राष्ट्रीय जनता दल के टिकट से आने वाले अभय कुशवाहा ने तोड़ते हुए लोकसभा में पहुंचने में कामयाब हो गए हैं.इसी से आहत होकर यह समाज का राष्ट्रीय जनता दल से मोह भंग हो गया.जिसको लेकर राष्ट्रीय जनता गठबंधन और खासकर भारतीय जनता पार्टी इस समाज को एकजुट करने में लगी हुई है.इसी कड़ी में विधानसभा चुनाव के रणनीतिकार के रूप में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की भूमिका अहम होने वाली है.

वैसे तो उनकी स्वीकारोक्ति सभी वर्ग और जाति में है. लेकिन राजपूत बिरादरी पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है. बिहार में भी तमाम चुनावों में राजनाथ सिंह को राजपूत बहुल इलाकों में विशेष तौर पर प्रचार के लिए बुलाया जाता है. वह शालीन भाषा और वाकपटुता के लिए भी जाने जाते हैं. 2023 की जाति आधारित गणना के मुताबिक बिहार में 10 प्रतिशत अगड़ी जातियां हैं, जिनमें राजपूत 3.45 फीसदी हैं. राजपूतों की जनसंख्या 45 लाख 10 हजार 733 हैं.

इनमें गरीब राजपूतों की तादाद 24.89% हैं. 2020 के चुनाव में 28 राजपूत उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, जबकि 2024 में 6 राजपूत जाति के सांसद बने.जबकि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुल 28 राजपूत जाति के विधायक बने थे.इनमें भारतीय जनता पार्टी के सबसे अधिक 15, राष्ट्रीय जनता दल के 7, जनता दल यूनाइटेड के 2, विकासशील इंसान पार्टी के 2 और कांग्रेस के एक विधायक शामिल हैं, जबकि राजपूत समाज से आने वाले एक निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते.हालांकि बाद में वीआईपी के दोनों राजपूत विधायक भी बीजेपी में शामिल हो गए.इस बार के लोकसभा चुनाव में बिहार के 6 राजपूत जाति के प्रत्याशी जीतकर सांसद बने.इनमें भारतीय जनता पार्टी के सबसे अधिक 3 सांसद हैं. वहीं, जेडीयू-आरजेडी और एलजेपीआर के एक-एक सांसद शामिल हैं. बीजेपी से राधा मोहन सिंह (मोतिहारी), जनार्दन सिंह सिग्रीवाल (महाराजगंज) और राजीव प्रताप रुडी (सारण) लोकसभा सांसद बने हैं.

वहीं दिवंगत अरुण जेटली के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने बिहार की सियासत को करीब से समझा है.अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी वह मंत्री थे और नरेंद्र मोदी सरकार में भी वह मंत्री हैं. सरकार में उनका ओहदा नंबर-दो की है.उनके अनुभव को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और  केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार चुनाव में उनको फ्रंट फुट पर लाने का फैसला लिया है. प्रदेश कार्य समिति की बैठक में इसकी बानगी भी देखने को मिली है.भारतीय जनता पार्टी और एनडीए ने 2025 के विधानसभा चुनाव में 225 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है. चुनौती बड़ी है, इस वजह से बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने बड़े नेताओं को मैदान में उतार दिया है.

रक्षा मंत्री के लंबे अनुभव को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व की ओर से बिहार की राजनीति को आकार देने के लिए राजनाथ सिंह को आगे किया गया है.प्रदेश कार्य समिति की बैठक में उन्होंने वोट बैंक की सियासत को धार दी. उनके बहाने राजपतों को भी साधने की कोशिश हो रही है.भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बिहार में 'मिशन 2025' का अगाज कर दिया है. भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं के अंदर ऊर्जा भरने की कोशिश की. बीजेपी और एनडीए नेताओं को जहां जीत के मंत्र दिए, वहीं आरजेडी और कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला. उनका दावा है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए इस बार भी दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाएगा.अब आने वाला समय ही बताएगा कि बिहार में भारतीय जनता पार्टी में भूमिहारों का दबदबा खत्म कर अपनी पैठ बनाते हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-