Aaj Ka Din: रविवार, 6 जुलाई 2025, एकादशी व्रत का पारण हरिवासर की अवधि में नहीं होता है!

Aaj Ka Din: रविवार, 6 जुलाई 2025, एकादशी व्रत का पारण हरिवासर की अवधि में नहीं होता है!

प्रेषित समय :21:08:22 PM / Sat, Jul 5th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 8302755688)
* देवशयनी एकादशी - रविवार, 6 जुलाई 2025
* पारण का समय - 05:51 से 08:34, 7 जुलाई 2025
* पारण के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 23:10
* एकादशी तिथि प्रारम्भ - 5 जुलाई 2025 को 18:58 बजे
* एकादशी तिथि समाप्त -  6 जुलाई 2025 को 21:14 बजे

श्रीविष्णु के विविध स्वरूपों की नामावली का प्रतिदिन प्रात: स्मरण करने से कामयाबी के रास्ते खुल जाते हैं...
अच्युतं, केशवं, राम, नारायणं, कृष्ण, दामोदरं, वासुदेवं हरे,
श्रीधरं, माधवं, गोपिका वल्लभं, जानकी नायकं श्री रामचन्द्रं भजे.

पारण, व्रत को पूरा करने को कहा जाता है. एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करते हैं.
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी माना जाता है. एकादशी व्रत का पारण हरिवासर की अवधि में भी नहीं होता है.
हरिवासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई समयावधि होती है.
व्रत पूर्ण हो जाने के बाद पहले भोजन के लिए सबसे सही समय सवेरे होता है.
मध्याह्नकाल में पारण से बचें लेकिन सवेरे किसी कारण से पारण नहीं हो पाए तो मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए.
कभी-कभी एकादशी व्रत दो दिनों के लिए लगातार हो जाता है तब स्थानीय मान्यताओं के अनुसार पहली या दूजी एकादशी करनी चाहिए.
श्रीविष्णुभक्त ऐसे अवसर पर दोनों एकादशी करते हैं.
सन्यासी और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रीनारायणभक्तों को दूजी एकादशी का व्रत करना चाहिए.
यथासंभव व्रत नियमों का पालन करना चाहिए तथा किसी भी प्रकार की उलझन होने पर स्थानीय धर्मगुरु के निर्देशानुसार निर्णय करना चाहिए.
जानबूझ कर नियमों के उल्लंघन से ही व्रतभंग होता है इसलिए अनजाने में हुई गलती के लिए मन में आशंकाएं नहीं पालें और व्रत के अंत में पारण के समय जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए अपनी भाषा और भाव में श्रीविष्णुदेव से क्षमा प्रार्थना कर भोजन ग्रहण करें!
श्री त्रिपुरा सुंदरी दैनिक धर्म-कर्म पंचांग-चौघड़िया : 6 जुलाई 2025
शक सम्वत 1947, विक्रम सम्वत 2082, अमान्त महीना आषाढ़, पूर्णिमान्त महीना आषाढ़, वार रविवार, पक्ष शुक्ल, तिथि एकादशी - 21:14 तक, नक्षत्र विशाखा - 22:42 तक, योग साध्य - 21:27 तक, करण वणिज - 08:08 तक, द्वितीय करण विष्टि - 21:14 तक, सूर्य राशि मिथुन, चन्द्र राशि तुला - 16:01 तक, राहुकाल 17:41 से 19:23, अभिजित मुहूर्त 12:10 से 13:04
दैनिक चौघड़िया- 6 जुलाई 2025, रविवार

उद्वेग - 05:51 से 07:33
चर - 07:33 से 09:14
लाभ - 09:14 से 10:56
अमृत - 10:56 से 12:37
काल - 12:37 से 14:18
शुभ - 14:18 से 16:00
रोग - 16:00 से 17:41
उद्वेग - 17:41 से 19:23
रात्रि का चौघड़िया
शुभ - 19:23 से 20:42
अमृत - 20:42 से 22:00
चर - 22:00 से 23:19
रोग - 23:19 से 00:37
काल - 00:37 से 01:56
लाभ - 01:56 से 03:14
उद्वेग - 03:14 से 04:33
शुभ - 04:33 से 05:51 

* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.

* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-