1. जन्म कुंडली का पंचम और चतुर्थ भाव का स्वामी बृहस्पति ग्रह के साथ विराजित हो. साथ में इस पर पाप ग्रहों की नजर हो तो शिक्षा में रुकावट आती है.
2. जन्म कुंडली में छठे, आठवें और बारहवें भाव में चौथे भाव का स्वामी ग्रह स्थित हो तो व्यक्ति की पढाई किसी कारणवश रुक जाती है.
3. जन्म कुंडली में चन्द्रमा का प्रभाव शिक्षा में रुकावट डालता है. जन्म कुंडली में चन्द्रमा पीड़ित अवस्था में होता है तो जीवन में शिक्षा की कमी होती है.
4. जन्म कुंडली में पांचवें भाव के स्वामी और आठवें भाव के स्वामी के साथ मिल रहा हो तो शिक्षा से इंसान दूर रहता है. बुध और गुरु ग्रह शिक्षा के कारक माने जाते हैं.
5. जन्म कुंडली में अशुभ ग्रह शनि,मंगल, राहु और केतु की दशा ठीक न हो तब शिक्षा के क्षेत्र में रुकावट आती है.
जन्म कुंडली में चन्द्रमा का प्रभाव-
आचार्य आनन्द जालान के अनुसार जन्म कुंडली में चन्द्रमा स्मरण शक्ति की जानकारी देता है. जन्म कुंडली में चन्द्रमा सही स्थान पर नहीं है या कमजोर स्थिति में हैं. तब जातक की स्मरण शक्ति कमजोर होती है. जन्म कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति चंद्र केंद्र त्रिकोण है तो स्मरण शक्ति तेज होती है.
जन्म कुंडली में बुध का प्रभाव-
जन्म कुंडली में बुध ग्रह का अच्छी स्थिति में होना आवश्यक होता है. जन्म कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति सही है तो जातक की आकलन क्षमता,गणितीय क्षमता, विश्लेषण क्षमता, लेखन क्षमता आदि अच्छी होती है.
कुंडली में सूर्य का प्रभाव-
सूर्य की स्थिति व्यक्ति की सफलता को दर्शाती है. जन्म कुंडली का पांचवा भाव और नौवें भाव में सूर्य स्थित होता है.
तब जातक राजनीति शास्त्र, प्रशासनिक सेवा और दवा रसायन जैसे क्षेत्र में करियर बनाता है.
जन्म कुंडली के अनुसार शिक्षा में रुकावट के ज्योतिष योग
प्रेषित समय :22:51:46 PM / Mon, Jul 7th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

