2030 तक भारत में 70% ‘24x7 स्वच्छ बिजली’ संभव, ग्रिड ऑपरेटरों को हर साल ₹9,000 करोड़ की बचत

2030 तक भारत में 70% ‘24x7 स्वच्छ बिजली’ संभव, ग्रिड ऑपरेटरों को हर साल ₹9,000 करोड़ की बचत

प्रेषित समय :20:48:46 PM / Fri, Jul 11th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. अगर भारत की कंपनियां अपने बिजली उपभोग के हर घंटे के अनुसार कार्बन-मुक्त (Carbon-free) ऊर्जा की खरीद शुरू करें, तो देश 2030 तक 52 गीगावॉट की 24x7 स्वच्छ बिजली क्षमता जोड़ सकता है. यह देश की कुल अनुमानित बिजली मांग का 5% हिस्सा होगा, जिसमें से 70% बिजली पूरी तरह स्वच्छ स्रोतों से प्राप्त की जा सकेगी. इस बदलाव से ग्रिड ऑपरेटरों को हर साल लगभग ₹9,000 करोड़ की बचत हो सकती है.

यह निष्कर्ष जलवायु डेटा संस्था TransitionZero की नवीनतम रिपोर्ट में सामने आया है. रिपोर्ट के अनुसार, यदि कंपनियाँ सालाना औसत के बजाय हर घंटे के हिसाब से अपनी बिजली जरूरतों को स्वच्छ स्रोतों से पूरा करें, तो भारत का बिजली ग्रिड और अधिक सस्ता, टिकाऊ और जलवायु के अनुकूल बन सकता है.

क्या है 24x7 स्वच्छ बिजली का मॉडल?
यह मॉडल सुनिश्चित करता है कि हर घंटे उपयोग की जाने वाली बिजली उसी समय किसी स्वच्छ स्रोत (जैसे सौर, पवन, जलविद्युत, बैटरी या अन्य कार्बन-फ्री विकल्प) से प्राप्त हो. यह प्रणाली पारंपरिक स्वच्छ ऊर्जा प्रमाणपत्र (Green Certificate) प्रणाली से अलग है, जो सालाना औसत पर आधारित होती है.

TransitionZero के विश्लेषक इरफ़ान मोहम्मद के मुताबिक, “अगर भारत की कंपनियाँ 24x7 मॉडल को अपनाएं, तो वे अपनी 70% बिजली ज़रूरतें पूरी तरह स्वच्छ स्रोतों से पूरी कर सकती हैं, और वह भी कम लागत में.” साथ ही, इस प्रणाली से बिजली प्रणाली के स्तर पर 2.4% तक एमिशन में कटौती संभव है — जो पारंपरिक औसत मिलान मॉडल के मुकाबले तीन गुना प्रभावी है.

किन सेक्टरों को होगा अधिक लाभ?
इस मॉडल से सबसे अधिक फायदा भारी उद्योगों, डेटा सेंटर्स और उत्पादन इकाइयों को होगा, जिनकी बिजली की मांग हर समय एक समान बनी रहती है. इन क्षेत्रों के लिए केवल सालाना स्वच्छ ऊर्जा प्रमाणपत्र काफी नहीं होते, क्योंकि वास्तविक चुनौती हर घंटे की आवश्यकता के अनुसार बिजली आपूर्ति की होती है.

‘नो रिग्रेट्स’ रणनीति: सस्ते, टिकाऊ और सुरक्षित भविष्य की ओर
TransitionZero का मानना है कि यह रणनीति भारत के लिए ‘नो-रिग्रेट्स’ विकल्प है — यानी ऐसा कदम जिसे अपनाने में किसी प्रकार का नुकसान या पछतावा नहीं होगा. इससे कंपनियाँ कम लागत पर स्वच्छ ऊर्जा खरीद सकेंगी, वहीं ग्रिड ऑपरेटरों को लचीलापन और स्थिरता प्राप्त होगी.

स्पेन जैसे देशों में भी देखा गया है कि सौर ऊर्जा की अधिकता के चलते PPA (पावर परचेज एग्रीमेंट) की दरें कम हो रही हैं, और बैटरी स्टोरेज और डिमांड रिस्पॉन्स जैसी तकनीकों की मांग तेज़ी से बढ़ रही है. भारत यदि अभी से ऐसे समाधानों में निवेश करता है, तो भविष्य की ऊर्जा चुनौतियों से बचा जा सकता है.

100% लक्ष्य से 7% उत्सर्जन में गिरावट संभव
रिपोर्ट यह भी बताती है कि यदि भारत 70% से आगे बढ़कर 100% ‘24x7 स्वच्छ बिजली मॉडल’ अपनाता है, तो सिर्फ 5% बिजली मांग पर hourly matching लागू करके देशव्यापी उत्सर्जन में 7% तक की गिरावट संभव है. यह मॉडल सिर्फ प्रमाणपत्रों की औपचारिकता से आगे बढ़कर व्यवहारिक क्रियान्वयन की दिशा में एक ठोस और व्यावसायिक दृष्टिकोण पेश करता है.

TransitionZero की रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि 24x7 स्वच्छ बिजली न केवल भारत के ऊर्जा संक्रमण को तेज़ कर सकती है, बल्कि यह आर्थिक बचत, जलवायु लक्ष्य और ऊर्जा सुरक्षा — तीनों मोर्चों पर एक संतुलित और किफायती समाधान भी प्रदान करती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-