अभिमनोज
वर्ष 1993 में की गई एक हत्या के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने अपराधियों की आजीवन कारावास की सजा को कम करके सात साल कर दिया और जमानत पर रिहा चल रहे तीन अपराधियों को सरेंडर करने के आदेश दिए, जबकि सजा पूरी कर चुके मुख्य आरोपित बुद्धू को रिहा कर दिया.
खबरों की मानें तो.... जबलपुर जिला न्यायालय ने वर्ष 1996 में हत्या के अपराध में बुद्धू, मुन्ना, इमरत और बिरजू को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, इस मामले में अपील की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि- वर्ष 1993 को ग्राम करहैया, थाना बेलखेड़ा निवासी 60 वर्षीय नक्कू अपनी भैंस को पानी पिलाने के लिए सरकारी हैंडपंप पर ले गया था, इसी दौरान आरोपित बुद्धू ने विरोध किया और कुल्हाड़ी से उसके सिर पर हमला कर दिया, साथ ही, अन्य व्यक्तियों ने लाठियों से हमला किया, इस दौरान नक्कू को बचाने उसके भाई कंधीलाल और टट्टू आए, जिन पर भी हमला किया गया, जिसमें वे भी घायल हो गए, इस घटना के बाद नक्कू की मौत हो गई.
खबरें हैं कि.... इस हत्या के आरोप में जिला न्यायालय ने चार अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसके खिलाफ इन्होंने हाईकोर्ट में अपील दायर की, हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति एके सिंह की युगलपीठ ने पाया कि- यह घटना तत्काल उत्पन्न हुए विवाद के कारण हुई थी, लिहाजा इसे गैर-इरादतन हत्या मानते हुए जमानत पर रिहा तीन अपराधियों की सजा घटाकर सात वर्ष कर दी, साथ ही, इन्हें जिला न्यायालय में आत्मसमर्पण करने के आदेश भी दिए.
खबरों पर भरोसा करें तो.... इस घटना के मुख्य आरोपित बुद्धू ने पहले ही दस वर्ष की सजा पूरी कर ली थी, इसलिए अदालत ने उसे रिहा करने के आदेश दिए.
इस मामले में अदालत में कहा गया था कि- गवाहों और चिकित्सा साक्ष्य में विरोधाभास हैं, यह घटना सवेरे करीब साढ़े आठ बजे की थी, घटना के बाद नक्कू को पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां साढ़े दस बजे डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज रेफर किया, उसे दोपहर करीब साढ़े बारह बजे पहुंचाया गया, सही समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से उसकी मौत हो गई, यह भी कहा गया कि- आरोपितों का हत्या करने का कोई इरादा नहीं था, तत्काल विवाद के कारण यह घटना हुई.
इस मामले में अदालत ने मुन्ना, इमरत व बिरजू की सजा घटाकर सात साल कर दी और उन्हें शेष सजा काटने के लिए जिला न्यायालय में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया, जबकि बुद्धू को सजा पूरी कर लेने के कारण रिहा करने के आदेश दिए गए!
जबलपुर हाईकोर्ट ने माना गैर-इरादतन हत्या का अपराध, आजीवन कारावास की सजा को कम करके सात साल कर दिया!
प्रेषित समय :20:33:50 PM / Sun, Jul 13th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

