धार्मिक दृष्टिकोण से एक स्पष्ट मार्गदर्शन
शिवभक्तों के मन में यह प्रश्न अक्सर उठता है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद (नैवेद्य) क्या खाना उचित है? इसकी धार्मिक और शास्त्रीय व्याख्या हमें स्पष्ट रूप से बताती है कि कब और कौन-से प्रसाद का सेवन करना शुभ होता है और कब उससे बचना चाहिए.
प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है:
"रोगं हरति निर्माल्यं शोकं तु चरणोदकं .
अशेष पातकं हन्ति शम्भोर्नैवेद्य भक्षणम् .."
अर्थात् भगवान शिव का निर्माल्य (अर्पित फूल, बेलपत्र आदि) रोगों को हरता है, चरणोदक शोक का नाश करता है और शिव के नैवेद्य का भक्षण सम्पूर्ण पापों का विनाश करता है.
इतना ही नहीं, एक अन्य श्लोक में कहा गया है:
"दृष्ट्वापि शिवनैवेद्यं यान्ति पापानि दूरतः .
भुक्ते तु शिव नैवेद्ये पुण्यान्यायान्ति कोटिशः .."
अर्थात् केवल शिव नैवेद्य का दर्शन करने से ही पाप भाग जाते हैं और उसका सेवन करने से करोड़ों पुण्य प्राप्त होते हैं.
किन्हें ग्रहण करना चाहिए शिव नैवेद्य?
शिव मन्त्र से दीक्षित भक्त — ऐसे साधक जो शिव मंत्र से दीक्षित हैं, वे सभी शिवलिंगों पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण करने के अधिकारी माने जाते हैं. यह प्रसाद उनके लिए महाप्रसाद के समान होता है.
शिव दीक्षाहीन किन्तु शिवभक्त व्यक्ति — यदि कोई व्यक्ति अन्य देवता की दीक्षा से युक्त है किंतु शिवभक्ति में लीन है, तो उसे केवल उन्हीं शिवलिंगों पर चढ़े नैवेद्य का सेवन करना चाहिए जिन पर चंडेश्वर नामक गण का अधिकार नहीं है.
चंडेश्वर कौन हैं?
चंडेश्वर भगवान शिव के प्रमुख गणों में से एक हैं, जिन्हें विशेष प्रकार के नैवेद्य का अधिकारी माना गया है. कुछ शिवलिंग ऐसे होते हैं जिनके नैवेद्य पर केवल चंडेश्वर का अधिकार होता है, अतः वहाँ का प्रसाद सामान्य जन को नहीं ग्रहण करना चाहिए.
किन शिवलिंगों पर चंडेश्वर का अधिकार नहीं होता?
बाणलिंग
लौह (लोहा) लिंग
सिद्ध पुरुषों द्वारा स्थापित लिंग
स्वयंभू (स्वतः प्रकट) लिंग
नर्मदेश्वर लिंग
स्वर्ण (सोने) का लिंग
शिव की प्रतिमाएँ (मूर्ति रूप)
इन लिंगों पर चढ़ा प्रसाद सभी शिवभक्त ग्रहण कर सकते हैं, भले ही वे शिव दीक्षित न हों.
क्या ग्रहण करें, क्या नहीं?
शास्त्रों के अनुसार:
"लिङ्गोपरि च यद् द्रव्यं तदग्राह्यं मुनीश्वराः .
सुपवित्रं च तज्ज्ञेयं यल्लिङ्ग स्पर्श बाह्यतः .."
अर्थात् शिवलिंग के ऊपर जो द्रव्य चढ़ाया गया है, उसे नहीं खाना चाहिए, जबकि लिंग के बाहर रख कर अर्पित किया गया नैवेद्य विशेष रूप से पवित्र माना गया है और सभी को ग्रहण योग्य है.
यदि आप शिव मंत्र से दीक्षित हैं, तो अधिकांश शिवलिंगों पर चढ़ा नैवेद्य आपके लिए ग्रहणीय है. यदि आप केवल भक्त हैं, दीक्षित नहीं, तो आपको केवल उन शिवलिंगों का नैवेद्य ग्रहण करना चाहिए जिन पर चंडेश्वर का अधिकार नहीं होता. विशेष ध्यान यह देना चाहिए कि लिंग के ऊपर चढ़ा द्रव्य ग्रहण न करें, बल्कि समीप रख कर अर्पित किया गया प्रसाद पवित्र और ग्रहण योग्य है.
शिवभक्तों को चाहिए कि वे श्रद्धा, ज्ञान और मर्यादा के साथ नैवेद्य ग्रहण करें, जिससे वह प्रसाद न केवल शरीर को, बल्कि आत्मा को भी शुद्धि और पुण्य प्रदान करे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

