जन्मकुंडली में शिक्षक और प्रोफेसर बनने के योग
— ज्योतिषीय दृष्टिकोण से एक विश्लेषण
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली से उसके पेशे की संभावनाएँ स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं. यदि किसी की कुंडली में ज्ञान, शिक्षा और अध्यापन से संबंधित ग्रह और भाव सशक्त हों, तो वह व्यक्ति शिक्षक या प्रोफेसर जैसे गरिमामय पेशों की ओर अग्रसर हो सकता है. विशेष रूप से बृहस्पति ग्रह और द्वितीय, नवम तथा दशम भाव की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है.
सबसे पहले बृहस्पति ग्रह की चर्चा करें तो यह गुरु ग्रह माने जाते हैं — ज्ञान, धर्म, शिक्षा और नैतिकता के प्रतीक. यदि बृहस्पति मजबूत अवस्था में हो, यानी स्वगृह, उच्च राशि में स्थित हो या शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, तो व्यक्ति में शिक्षण की प्रवृत्ति स्वाभाविक रूप से विकसित होती है.
द्वितीय भाव वाणी, प्राथमिक शिक्षा और अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. इस भाव में स्थित ग्रहों की प्रकृति और दशा यह बताती है कि व्यक्ति अपनी बात किस प्रकार से प्रस्तुत करता है और उसकी शिक्षण क्षमता कैसी है. यदि द्वितीय भाव में बृहस्पति, बुध या चंद्रमा जैसे ग्रह हों, तो यह व्यक्ति को एक कुशल वक्ता और योग्य शिक्षक बना सकता है.
नवम भाव उच्च शिक्षा, दर्शन, धर्म और ज्ञान का भाव होता है. नवम भाव में स्थित शुभ ग्रह अथवा बृहस्पति की दृष्टि, व्यक्ति को उच्च स्तरीय शैक्षिक सफलता और अध्यापन में रुचि प्रदान करती है. इसी भाव से प्रोफेसर बनने की संभावनाएँ भी जुड़ी होती हैं, क्योंकि यह भाव शास्त्र ज्ञान और अनुसंधान की ओर संकेत करता है.
दशम भाव कर्म, व्यवसाय और सामाजिक प्रतिष्ठा का कारक होता है. यदि दशम भाव में बृहस्पति की स्थिति शुभ हो या नवम भाव से संबंध बना रहा हो, तो यह शिक्षक या प्रोफेसर बनने का योग प्रबल करता है. साथ ही यदि दशम भाव से संबंधित दशा-अंतरदशा चल रही हो, तो व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है.
कुछ विशेष योग भी इस संभावना को बल देते हैं — जैसे बृहस्पति और चंद्रमा की युति यदि द्वितीय, नवम या दशम भाव में हो, तो यह व्यक्ति को शिक्षण के क्षेत्र में आकर्षित करता है. इसी प्रकार बृहस्पति और बुध की युति होने पर विद्वत्ता और व्याख्यान की क्षमता अत्यधिक बढ़ जाती है.
इस प्रकार कहा जा सकता है कि यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति सशक्त हो और वह द्वितीय, नवम या दशम भाव से संबंध बना रहा हो, तो वह शिक्षा जगत में उच्च पद तक पहुँच सकता है. ऐसे योग शिक्षक, प्रोफेसर या शास्त्रों के ज्ञाता के रूप में व्यक्ति को प्रतिष्ठित कर सकते हैं. जन्मकुंडली का यह पक्ष न केवल एक पेशा दर्शाता है, बल्कि एक जीवन दृष्टि भी प्रदान करता है — ज्ञान देने और बाँटने की प्रेरणा!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

