सना. यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में फंसी भारत की नर्स निमिषा प्रिया को माफ करने से महदी परिवार ने इनकार कर दिया है. खबर है कि महदी के भाई अब्देल फत्तह महदी ने सोशल मीडिया पर साफ कहा कि मैं अपने भाई की हत्या के मामले में कोई माफी या समझौता नहीं चाहता.
महदी ने कहा कि न्याय की जीत होगी, भले ही सजा में देरी हो, लेकिन बदला लेकर रहेंगे. चाहे कोई भी कितना दबाव डाले या मिन्नतें करे, हम क्षमा नहीं करेंगे और खून के बदले दी जाने वाली रकम नहीं लेंगे. निमिषा को मौत की सजा 16 जुलाई को होनी थी, लेकिन इसे फिलहाल टाल दिया गया है. महदी ने कहा कि हम शरियत कानून के तहत किसास यानी बदले की मांग करते हैं. निमिषा को मौत की सजा मिलनी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ हत्या ही नहीं, बल्कि सालों तक चले इस केस की लंबी कानूनी लड़ाई ने भी हमारे परिवार को काफी नुकसान पहुंचाया है. इसलिए वे मुआवजे की कोई रकम नहीं लेना चाहते. महदी ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि कुछ भारतीय मीडिया संस्थान जानबूझकर ऐसे झूठे दावे फैला रहे हैं कि तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया था या उसका शोषण किया गया था. लेकिन यह पूरी तरह से गलत है. महदी ने दावा किया कि न तो खुद निमिषा प्रिया ने और न ही उसकी कानूनी टीम ने कभी अदालत में ऐसा कोई आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि निमिषा की पूरी कानूनी प्रक्रिया में भारतीय दूतावास की तरफ से नियुक्त वकील मौजूद थे और सभी कार्यवाही पारदर्शी रही.
भारत-यमन के धर्मगुरुओं ने बातचीत की थी-
खबर है कि भारत में कंथापुरम के ग्रैंड मुफ्ती एपी अबूबकर मुसलियार व यमन के चर्चित सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज इस मसले पर बातचीत की थी. इसमें यमन के सुप्रीम कोर्ट के एक जज और मृतक का भाई भी शामिल था. यमन के शेख हबीब को बातचीत के लिए मुफ्ती मुसलियार ने मनाया था. ऐसा भी पहली बार हुआ, जब पीडि़त परिवार का कोई करीबी सदस्य बातचीत को तैयार हुआ हो. बातचीत शरिया कानून के तहत हुई, जो पीडि़त परिवार को दोषी को बिना किसी शर्त के या फिर ब्लड मनी के बदले में माफ करने का कानूनी अधिकार देता है.
निमिषा की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई थी-
भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वो निमिषा के मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती है. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कोर्ट को बताया था कि हम एक हद तक ही जा सकते हैं और हम वहां तक पहुंच चुके हैं. इस मामले में सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिलश् के वकील ने कोर्ट को बताया था कि उसे बचाने का एकमात्र रास्ता यह है कि मृतक का परिवार ब्लड मनीश मुआवजा स्वीकार कर ले. पीडि़त के परिवार को 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपए) की पेशकश की गई थी. लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया. परिवार ने कहा था कि यह मामला उनकी इज्जत से जुड़ा हुआ है.
यमन में गृह युद्ध की वजह से निमिषा वहीं फंसी रह गई-
यमन में गृह युद्ध की वजह से भारत ने अपने नागरिकों को वहां से निकालने के लिए ऑपरेशन राहत शुरू किया. यह ऑपरेशन अप्रैल-मई 2015 तक चलाए जिसमें 4600 भारतीयों व करीब एक हजार विदेशी नागरिकों को यमन से निकाला लेकिन इनमें सिर्फ निमिषा ही भारत नहीं लौट पाईं. 2016 में महदी ने निमिषा के साथ शारीरिक उत्पीडऩ करना शुरू कर दिया. उसने निमिषा के क्लिनिक का प्रॉफिट भी हड़प लिया. जब निमिषा ने इस बारे में सवाल किया तो दोनों के रिश्ते खराब हो गए. महदी निमिषा को यमन से बाहर नहीं जाने देना चाहता था. इसलिए उसने निमिषा का पासपोर्ट अपने पास रख लिया. निमिषा ने पुलिस में महदी की शिकायत भी दर्ज कराई लेकिन पुलिस ने निमिषा को ही 6 दिनों की हिरासत में ले लिया. क्योंकि महदी ने एडिटेड फोटो दिखाकर निमिषा का पति होने का दावा किया.
निमिषाा द्वारा ड्रग्स का ओवरडोज दिए जाने से महदी की मौत हो गई-
निमिषा काफी परेशान हो चुकीं थीं. जुलाई 2017 में महदी से पासपोर्ट लेने के लिए निमिषा ने उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया लेकिन इसका असर नहीं हुआ. फिर निमिषा ने महदी को ओवरडोज दे दियाए जिससे उसकी मौत हो गई. निमिषा ने महदी के शरीर के टुकड़े कर वाटर टैंक में फेंक दिए. इसके बाद पुलिस ने निमिषा को गिरफ्तार कर लिया. यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने निमिषा को महदी की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई. निमिषा ने यमन की सुप्रीम कोर्ट में माफी की अपील दायर की, जिसे 2023 में खारिज कर दिया गया. राष्ट्रपति रशद ने भी 30 दिसंबर 2024 को सजा को मंजूरी दे दी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

