अभिमनोज
हिमाचल प्रदेश में 1979 से भिक्षावृत्ति रोकने के लिए भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम लागू है, इसके तहत- भिक्षा मांगनेवालों, भिक्षा मंगवानेवालों और भिक्षा मांगनेवाले पर आश्रितों को सजा का प्रावधान किया गया है, ऐसे मामलों के दोषी को तीन माह तक की सजा का प्रावधान है.
खबरों की मानें तो.... हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में भिक्षावृत्ति रोकने और भीख मांगनेवाले बच्चों की दयनीय हालत के मद्देनजर पुलिस महानिदेशक, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक मामले एवं सशक्तीकरण निदेशालय को पक्षकार बनाया है.
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने इन्हे नोटिस जारी कर जनहित में उठाए मुद्दे पर जवाब मांगा है.
उल्लेखनीय है कि.... भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम के प्रावधानों को लेकर प्रस्तुत स्टेटस रिपोर्ट पर असंतुष्ट होते हुए अदालत ने सरकार को शपथपत्र के माध्यम से प्रदेश में भिखारियों की जमीनी स्थिति अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए.
खबरों पर भरोसा करें तो.... हिमाचल प्रदेश में पुलिस को भिक्षावृत्ति रोकने के लिए शक्तियां प्रदान की गई हैं, यही नहीं, त्योहार, शादी, बच्चों के जन्म पर भिक्षा के रूप में वसूली को भी अपराध माना गया है.
खबरें हैं कि.... इस विषयक याचिका में बताया गया है कि- शिमला शहर में जगह-जगह भिखारी नजर आ जाते हैं, इसके मद्देनजर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन को लेकर निदेशक महिला एवं बाल विकास को प्रतिवेदन भी भेजा गया था, लेकिन उनकी ओर से इस बारे में कोई विशेष कार्रवाई नहीं की गई.
अब, भिक्षावृत्ति पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए सरकार से शपथ पत्र मांगा है और कई विभागों से जवाब-तलब किया है!
भिक्षावृत्ति पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की सख्ती, सरकार से मांगा शपथ पत्र, कई विभागों से सवाल!
प्रेषित समय :20:50:38 PM / Sat, Jul 19th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

