कोटा. पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल में अब म्युचुअल ट्रांसफर (पारस्परिक स्थानांतरण) का नया घोटाला सामने आया है. मामले में खास बात यह है की शिकायत के चार महीने बाद भी प्रशासन की ओर से मामले में कोई कार्रवाई की जानकारी सामने नहीं आई है. पूछने पर अधिकारियों द्वारा अब जांच की बात कही जा रही है.
बताया जाता है कि कोटा के लोको पायलट बदन सिंह मीणा और आगरा मंडल के मथुरा में कार्यरत लोको पायलट सुरेश चंद्र मीणा ने गत वर्ष (2024) म्युचुअल ट्रांसफर के लिए आवेदन किया था, लेकिन रेलवे ने यह कहते हुए इनका आवेदन रद्द कर दिया कि बदन सिंह के रिटायरमेंट में 2 साल से भी काम का समय बचा है. ऐसे में नियमानुसार म्युचुअल ट्रांसफर संभव नहीं है.
ऐसे की ट्रांसफर में गड़बड़ी
रेलवे द्वारा मना करने के बाद सिस्टम में गड़बड़ी कर फिर से म्युचुअल ट्रांसफर की योजना तैयार की गई. इसके लिए एचआरएमएस (मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली) के माध्यम से ट्रांसफर के लिए फिर से ऑनलाइन आवेदन किया गया. इस आवेदन में अबकी बार बदन सिंह का मोबाइल नंबर बदल दिया गया. ताकि बदन सिंह के पास म्युचुअल ट्रांसफर संबंधित कोई जानकारी नहीं पहुंच सके. जिससे की म्युचुअल ट्रांसफर घोटाला आसानी से हो सके. इसके बाद जिम्मेदारों द्वारा आपसे मिली भगत के चलते सिस्टम में गड़बड़ी कर सुरेश का म्युचुअल ट्रांसफर आगरा मंडल से कोटा हो गया.
बदन सिंह ने जताई आपत्ति
काफी दिनों तक तो सुरेश के इस म्युचुअल ट्रांसफर का किसी को पता ही नहीं चला. बाद में पता चलने पर बदन सिंह ने इस म्युचुअल ट्रांसफर पर काफी आपत्ति जताई. इसके बाद बदन सिंह कई दिनों की छुट्टी पर चल गया और आखिर में दिसंबर में रिटायरमेंट हो गया. उधर, म्युचुअल ट्रांसफर के बाद भी कई दिनों तक बदन सिंह के नहीं पहुंचने पर आगरा मंडल ने बदन सिंह की मांग की, लेकिन बदन सिंह तो अब रिटायरमेंट हो चुका था.
रेलवे को लगा लाखों का चूना
इस गड़बड़ी के चलते कोटा में एक ही पद पर दो कर्मचारियों ने काफी दिनों तक काम किया. इसके चलते रेलवे ने दोनों कर्मचारियों को वेतन भुगतान किया. इससे रेलवे को लाखों रुपए का चूना लगा.
कर्मचारियों का हुआ आर्थिक नुकसान
इस गड़बड़ घोटाले के चलते बरसों से बदन सिंह की जगह पदोन्नति का इंतजार कर रहे लोको पायलटों को भारी नुकसान हुआ. ऐसे में इन लोको पायलटो ने पत्र लिखकर मार्च में वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी सुप्रकाश मामले की शिकायत की. रेलवे बोर्ड के नियमों का हवाला देते हुए लोको पायलटो ने इस म्युचुअल ट्रांसफर को पूरी गलत और अनैतिक बताया. लेकिन शिकायत के 4 महीने गुजर जाने के बाद भी सुप्रकाश की ओर से मामले में अभी तक कोई कार्रवाई की बात सामने नहीं आई है.
सीनियर डीपीओ के खिलाफ कोर्ट जाने का निर्णय
सुप्रकाश की ओर से 4 महीने बाद भी कोई जवाब नहीं आने से लोको पायलटो ने कोर्ट जाने का मन बनाया है. लोको पायलटो ने बताया कि यदि प्रशासन में समय रहते मामले में कोई निर्णय नहीं लिया तो अधिकारियों के इस निर्णय को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.
कार्मिक विभाग का के गड़़बड़ झाले लगातार सामने आ रहे
उल्लेखनीय है कि कोटा मंडल के कार्मिक विभाग का यह कोई नया कारनामा नहीं है, इससे पहले भी कार्मिक विभाग के ट्रांसफर और पदोन्नति में गड़बड़ी के मामले सामने आ चुके हैं. ताजा मामला लोको इंस्पेक्टर (एलआई) पदोन्नति परीक्षा का चल रहा है. इसमें दिल्ली सीबीआई मामले की जांच कर रही है. इसमें आरोप है कि परीक्षा के तुरंत बाद जिम्मेदारों ने लोको पायलटो की आंसर शीट बदल दी. कुछ लोको पायलटों की शिकायत के बाद रेलवे विजिलेंस जांच में यह बात साबित भी हो गई. लेकिन काफी समय गुजर जाने के बाद भी विजिलेंस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर यह मामला पहले लोकपाल और फिर दिल्ली विजिलेंस के पास पहुंच गया.
मामले की होगी जांच
इस म्युचुअल ट्रांसफर मामले के मामले में मंडल रेल प्रशासन अब जांच कराने की बात कह रहा है. देखना है कि लगातार अपने घोटालों के लिए चर्चित हो रहे कोटा मंडल के वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-




