डॉ संगीता पांडेय
श्रावण मास. शिवजी की सत्ता. विष्णु जी ने जगत का सारा भार महादेव को सौंप दिया है. अब महादेव ही धरा को संभाल रहे हैं. जी हां, सावन के इस अवसर पर चहुंओर बम बम भोले, हर हर महादेव की आवाजें गूँज रही हैं. शंकर गुणगान हो रहे हैं. इसलिए क्योंकि --
हमारे शिवजी दानी हैं
मना लो जिसका दिल चाहे....
दरअसल, देवों के देव महादेव अति शीघ्र प्रसन्न हो कर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने के बाद शिव जी और देवी-देवता मिलकर सृष्टि का संचालन करते हैं. हिंदू पंचांग में पांचवां पवित्र महीना श्रवण भगवान शिव को समर्पित है. इस महीने शिव पूजन से आराधक को विशेष फल मिलता है.
हमारे देश की कुछ जगहों पर जैसे उत्तर भारत में इस महीने की शुरुआत पूर्णिमा (पूर्ण चंद्रमा) से शुरू होकर अगली पूर्णिमा पर समाप्त होती है. इसमें कृष्ण पक्ष पहले आता है और शुक्ल पक्ष बाद में ; जबकि गुजरात , महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में इस महीने की शुरुआत अमावस्या के बाद नए चंद्रमा से शुरू होकर अगली अमावस्या तक होती है. इसमें शुक्ल पक्ष पहले आता है और कृष्ण पक्ष बाद में. हर पक्ष 15 दिनों का होता है. जिसके कारण उत्तर भारत में श्रावण मास गुजरात,महाराष्ट्र और दक्षिण भारत से 15 दिन पहले शुरू हो जाता है. हिंदू पंचांग का यह पांचवा महीना है श्रावण मास कई त्योहारों जैसे नाग पंचमी, रक्षाबंधन ,श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हरि तालिका तीज आदि को लेकर आता है. इस महीने के प्रत्येक सोमवार को लोग शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत करते हैं . पूजा, आराधना करते हैं. ऐसी लोक मान्यता है कि हिमाचल और मैना जी की पुत्री देवी पार्वती ने कठोर व्रत कर शिव को प्रसन्न किया था और उनका विवाह इस महीने में ही हुआ था. शिवजी इस महीने अपने ससुराल गए थे . जहां लोगों ने अभिषेक कर इनका पूजन किया था. संभवत: तभी से शिव कृपा पाने के लिए पृथ्वीवासी इनका जलाभिषेक के साथ-साथ कई तरह के अभिषेक जैसे दूध, दही ,घी, शहद, शक्कर ,गंगा जल, गन्ने का रस आदि से करते आ रहे हैं.
इसके साथ ही ऐसी भी लोक मान्यता है कि पवित्र नदियों के जल से अभिषेक करने पर शिव अत्यधिक प्रसन्न होकर मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं ;इसलिए भक्त कांवड़ यात्रा करते हैं.
इस समय 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन भी अत्यंत फलदाई माना जाता है . भक्तगण भोले बाबा को मनाने के लिए लिए अपने-अपने घरों से द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा पर जाते हैं.
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है. पुराणों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन 12 स्थानों पर जो शिवलिंग मौजूद हैं, उनमें ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं .यही कारण है कि इन्हें ज्योतिर्लिंग कहा गया है.इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी पाप दूर हो जाते हैं.
1- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात) ----
गुजरात के प्रभास पाटन में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रथम ज्योति लिंग हैं.
शिव पुराण के अनुसार जब चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था, तब इसी स्थान पर शिव की पूजा और तप करके चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाई थी.ऐसी मान्यता है कि स्वयं चंद्र देव ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी.
2- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश) ---
यह ज्योतिर्लिंग कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर स्थित है. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है . इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
3- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)---- मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर स्थित यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है. आकाश पाताल और पृथ्वी पर तीन ज्योतिर्लिंगों में से यह एक ज्योतिर्लिंग है . इसका वर्णन करते हुए एक श्लोक --
"आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम्*. भूलोके च महाकालो लिङ्गत्रय नमोऽस्तु ते॥"
अर्थात्
आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग और पृथ्वी पर महाकालेश्वर लिंग को मैं प्रणाम करता हूं.
यह श्लोक महाकालेश्वर की महत्ता को बताता है.
पृथ्वी वासी महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को ही पृथ्वी का एकमात्र राजा मानते हैं.
4- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश) ----
यह ज्योतिर्लिंग खंडवा जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है.
5- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)----
यह उत्तराखंड में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के तट पर केदार नाम की चोटी पर स्थित है, यहां से पूर्व दिशा में श्री बद्री विशाल का बद्रीनाथ धाम मंदिर है .मान्यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी और निष्फल है.
यह सनातनियों के चार धाम यात्रा का भी हिस्सा है. यहीं पर पंचकेदार मंदिर भी हैं. ऐसी लोक मान्यता है कि इन मंदिरों का निर्माण पांडवों ने किया था. लोगों में ऐसी दंतकथाएं प्रचलित हैं की महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने श्री कृष्ण के कहने पर भ्रातृ हत्या और ब्राह्मणहत्या जैसे पापों से मुक्ति के लिए शिव की आराधना की थी .पर शिव उनके इन कृत्यों से रुष्ट थे. पांडवों से बचने के लिए उन्होंने एक बैल का रूप धारण किया पर उन्हें भीम ने पहचान लिया. शिव जब अंतर्ध्यान हो रहे थे तो भीम ने उन्हें पकड़ लिया. भीम द्वारा पकड़े जाने के कारण बैल रूपी शिव के पांच टुकड़े हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र के केदार खंड में पांच स्थानों पर प्रकट हुए. केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर.
इन पांचो स्थानों को ही पंचकेदार कहा गया. भोलेभंडारी शिव कृपा प्राप्त करने के लिए लाखों भक्त इन मंदिरों के दर्शन करते हैं.
केदारनाथ में बैल का कुबड़ (पीठ ) उठा, तुंगनाथ में भुजाएं दिखाई दीं, रुद्रनाथ में चेहरा (मुख )दिखा ,मध्य महेश्वर में नाभि और पेट और कल्पेश्वर में बाल(जटा) उभरा.
कुछ लोगों की ऐसी मान्यता है कि पंचकेदार यात्रा का सीधा संबंध नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर से है.
यहां शिव के सिर की पूजा की जाती है.
6- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)----
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले के सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित है . ऐसी लोक मान्यता है कि यहां बहने वाली भीमा नदी का निर्माण भगवान शिव के पसीने से हुआ था.
7- विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश)----
धर्म नगरी काशी में गंगा नदी के तट पर स्थित बाबा विश्वनाथ का मंदिर है जिसे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि कैलाश छोड़कर भगवान शिव ने यही अपना स्थाई निवास बनाया था.
8- त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)----
महाराष्ट्र के नासिक से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है, गोदावरी नदी के किनारे यह मंदिर काले पत्थरों से बना है, शिव पुराण में वर्णन है कि गौतम ऋषि और गोदावरी की प्रार्थना पर भगवान शिव ने इस स्थान पर निवास करने का निश्चय किया और त्रंबकेश्वर नाम से विख्यात हुए. इस शिवलिंग में तीन मुख हैं जो कि ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश के प्रतीक हैं.
9- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)----
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है ,यहां के मंदिर को वैद्यनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि एक बार रावण ने तप के बल से शिव को लंका ले जाने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में व्यवधान आ जाने से शर्त के अनुसार शिव जी यहां स्थापित हो गए.
ऐसी लोक मान्यता है कि बाबा वैद्यनाथ की पूजा अर्चना से बीमारियों और दु:खों से मुक्ति मिलती है.
10- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)----
धार्मिक पुराणों में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर कहते हैं कि भगवान शिव की इच्छा अनुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नामकरण किया गया है.
11- रामेश्वर ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)----
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में स्थित है . यह सनातनियों के चार धामों में से एक है . ऐसी मान्यता है कि रावण की लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वही रामेश्वर के नाम से विश्व विख्यात हुआ.
12- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)----
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास स्थित,यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है . इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है.
द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा से मनुष्य को लौकिक सुख के साथ-साथ आत्मीय शांति भी प्राप्ति होती है.
हमारे कल्याणकारी शिव सब का कल्याण करने वाले हैं, उनके लिए सृष्टि के सभी जीव एक समान हैं. शिव का व्यक्तित्व विरोधाभासी है. शिव संहारक है तो सर्जक भी शिव ही हैं .जितनी जल्दी रुष्ट होते हैं उतनी ही जल्दी प्रसन्न भी होते हैं. इसीलिए तो कहती हूं ----
हमारे शिवजी दानी हैं
मना लो जिसका दिल चाहे'

