प्रदीप द्विवेदी
गृह मंत्रालय ने 22 जुलाई, 2025 की अपनी राजपत्र अधिसूचना एसओ 3354(ई) के माध्यम से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को अधिसूचित किया है.
उल्लेखनीय है कि.... भारत के निर्वाचन आयोग को अनुच्छेद 324 के तहत उपराष्ट्रपति के पद के लिए निर्वाचन कराने का अधिकार प्राप्त है, उपराष्ट्रपति के पद के लिए निर्वाचन राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों, अर्थात् राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति निर्वाचन नियमावली, 1974 द्वारा नियंत्रित होता है, जिसके अनुसार.... भारत निर्वाचन आयोग ने उपराष्ट्रपति निर्वाचन, 2025 से संबंधित तैयारियां पहले ही शुरू कर दी हैं और तैयारी संबंधी गतिविधियां पूरी होने पर, उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी.
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया तो शुरू हो गई है, लेकिन.... सवाल अब भी कायम है कि- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा क्यों दिया?
याद रहे, सोमवार रात जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा देकर राजनीतिक हलकों में सियासी धमाका कर दिया था और उसके बाद से ही कयासों और विश्लेषणों का दौर जारी है.
आजतक की खबर है कि.... कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद पी चिदंबरम ने इंडिया टुडे टीवी के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से विशेष बातचीत में कहा कि- जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा, क्योंकि उन्होंने अपनी सीमा पार कर ली थी और जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव स्वीकार करके सरकार का विरोध किया, यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और मोदी सरकार अब एकमत नहीं हैं.
उधर, इंडिया टीवी न्यूज के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा का कहना है कि.... जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा क्यों दिया? मुझे लगता है कि वो सरकार के लिए embarrassment बनते जा रहे थे. परेशानियां पैदा करने लगे थे. इसीलिए उन्हें इस्तीफा देने को कहा गया.
मैं आपको अंदर की बात बताता हूं कि टकराव कैसे शुरू हुआ. कहां तक गया, ये समझाता हूं.
पहली बात, जगदीप धनखड़ जब से राज्यसभा के Chairman बने उन्होंने ये impression दिया कि वो सरकार के शीर्ष नेताओं के बहुत करीब हैं. जो भी करते हैं, वो उन्हीं के कहने पर करते हैं. आपको याद होगा, संसद के परिसर में Vice-President के झुके-झुके व्यवहार की mimicry की गई थी, जिसका video राहुल गांधी ने बनाया था. उसकी वजह ये थी कि Chairman के तौर पर धनखड़ साहब विरोधी दलों के नेताओं से लगातार टकराते थे. विरोधी दलों के नेता convince हो गए थे कि धनखड़ साहब सरकार के इशारे पर उन्हें बोलने नहीं देते. बार-बार उनका अपमान करते हैं. इस कारण सरकार और विरोधी दलों के बीच टकराव बढ़ता गया.
दूसरी बात, कुछ महीने पहले धनखड़ साहब ने Judiciary पर direct attack किया. Supreme Court पर हमला किया. Parliament की supremacy की बात की. Judges को भी ये लगा कि Vice-President साहब ये काम सरकार के इशारे पर कर रहे हैं. वो सरकार के करीब हैं. Judiciary और सरकार के बीच टकराव जैसी स्थिति पैदा हो गई.
तीसरी बात, इन मामलों पर जब उन्हें समझाने की कोशिश की गई तो वो नाराज़ हो गए. उन्होंने याद दिलाना शुरू किया कि कैसे Vice-President होते हुए भी उन्होंने जगह-जगह सरकार को defend किया. अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी. ये सरकार से उनके direct टकराव की शुरुआत थी. बात बढ़ती गई.
चौथी बात, उन्होंने जगह-जगह सरकार की top leadership की शिकायत करनी शुरू कर दी. RSS से लेकर मंत्रियों तक. विपक्षी दलों से लेकर media के senior लोगों तक. उनकी शिकायत थी कि सरकार में उनसे कोई बात नहीं करता. उन्हें घुटन हो रही है और कोई उनकी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचाए वरना मुझे कुछ करना पड़ेगा. ये एक तरह की धमकी थी, सरकार से सीधा टकराव था.
Final phase में धनखड़ साहब ने तेवर दिखाने शुरू किए. कांग्रेस के नेताओं से मिले. Arvind Kejriwal को time दिया. इन सबको बहुत कुछ कहा. यशवंत वर्मा के impeachment का case अपने हाथ में लेने की कोशिश की. जब सरकार को लगा कि अब वो राज्यसभा में भी embarrassment create कर सकते हैं, खुले टकराव की situation पैदा हो सकती है, तब उन्हें एक phone गया. ये convey किया गया कि अब ये खेल ज़्यादा नहीं चलेगा और ये भी बता दिया गया कि अगर धनखड़ साहब ने अपना रवैया नहीं बदला तो उनका impeachment भी हो सकता है. धनखड़ साहब को इस बात की उम्मीद नहीं थी. उन्होंने top leadership का assessment करने में गलती कर दी, दांव उल्टा पड़ गया. इसीलिए उन्होंने इस्तीफा देना ही बेहतर समझा.
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू, लेकिन.... सवाल अब भी कायम- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा क्यों दिया?
प्रेषित समय :14:54:20 PM / Thu, Jul 24th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

