तिथि: रविवार, 27 जुलाई 2025
पूजन मुहूर्त: प्रातः 06:05 से 08:43 तक (स्थानीय समय के अनुसार)
विशेष योग: रवि योग व शुभ वार का संयोग, व्रत और पूजन के लिए अति उत्तम
हरियाली तीज का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
हरियाली तीज विशेष रूप से सौभाग्य, प्रेम और समर्पण का प्रतीक पर्व है, जो श्रावण शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है. यह पर्व माँ पार्वती के 108 जन्मों की तपस्या के पूर्ण फलस्वरूप भगवान शिव से उनके विवाह की स्मृति में मनाया जाता है. यह दिन स्त्रियों के लिए विशेष महत्व रखता है—विवाहित महिलाएँ अखंड सौभाग्य के लिए तो अविवाहित कन्याएँ उत्तम वर की प्राप्ति हेतु व्रत करती हैं.
क्यों चढ़ता है सूर्य को जल इस दिन विशेष रूप से
हरियाली तीज के दिन सूर्यदेव को जल चढ़ाना विशेष पुण्यदायी माना गया है. सावन मास जल से जुड़ा हुआ है, और सूर्य को जल चढ़ाने से तेज, स्वास्थ्य और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है.
जल चढ़ाते समय लोटे में डालें ये 5 गुप्त चीजें:
कुशा (दर्भ): पवित्रता और ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए
लाल चंदन: सूर्यदेव के तेज को ग्रहण करने हेतु
अक्षत (चावल): पूर्णता और समर्पण का प्रतीक
शक्कर के दाने: जीवन में मिठास और संतुलन के लिए
पीली सरसों: बाधाओं को दूर करने वाली शक्ति
इन पांचों वस्तुओं को जल में मिलाकर तांबे या पीतल के लोटे से सूर्य को अर्घ्य देने से अद्भुत लाभ मिलते हैं—आयु, सौंदर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
महिलाओं को क्या करना चाहिए इस दिन:
प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें (विशेषकर हरे रंग के)
हाथों में मेहंदी रचाएं, क्योंकि यह सुहाग का प्रतीक है
माँ पार्वती और शिव जी की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें और श्रृंगार करके पूजा करें
सुहाग की सामग्री चढ़ाएं जैसे चुनरी, सिंदूर, चूड़ियाँ, बिंदी
शिव-पार्वती को बेलपत्र, दूध, दही, शहद आदि से अभिषेक करें
तीज माता की कथा सुनें व सुनाएं
ब्रह्ममुहूर्त में सूर्य को अर्घ्य देना विशेष फलदायी होता है
इस दिन झूला झूलने और लोकगीत गाने की परंपरा भी है, जो स्त्री-समूह में उत्साह और प्रेम का वातावरण बनाता है
हरियाली तीज क्यों है 'करोड़पति पर्व'?
यह पर्व केवल आध्यात्मिक या सांस्कृतिक नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक समृद्धि का स्रोत भी है. इस दिन किए गए संकल्प, दान, जप और पूजा—जीवन में ऐसे चमत्कारिक बदलाव लाते हैं कि साधारण जीवन भी दिव्य बन सकता है. यही कारण है कि तांत्रिक और साधक इसे "गुप्त शक्तियों की सिद्धि" का अवसर मानते हैं.
हरियाली तीज न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह स्त्री की आत्म-शक्ति, श्रद्धा और संयम का उत्सव भी है. इस दिन जो भी स्त्री सच्चे मन से उपवास करती है, उसकी जीवन-नैया में भक्ति और प्रेम के दो मजबूत पतवार जुड़ जाते हैं—एक शिव का आशीर्वाद और दूसरा पार्वती जैसी शक्ति.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

