वागड़. पच्चक्खाण का भावार्थ शपथ है, संयम है, जैन धर्म में पच्चक्खाण ऐसा अनुष्ठान है, जिसमें भोजन में कठोर अनुशासन का पालन किया जाता है.
दक्षिण राजस्थान में पच्चक्खाण : 28 जुलाई 2025, सोमवार
* दिन का प्रथम प्रहर- 06:00 से 09:20
नवकारशी- 06:54
* दिन का द्वितीय प्रहर- 09:20 से 12:39
पोरिसि- 09:20
साद्ध पोरिसि- 10:59
* दिन का तृतीय प्रहर- 12:39 से 15:58
पुरिमद्ध- 12:39
* दिन का चतुर्थ प्रहर- 15:58 से 19:17
अवद्ध- 15:58
चोविहार- 18:24
* रात्रि का प्रथम प्रहर- 19:17 से 21:58
सायं प्रतिक्रमण- 19:17
* रात्रि का द्वितीय प्रहर- 21:58 से 00:39
संथारा पोरिसि- 21:58
* रात्रि का तृतीय प्रहर- 00:39 से 03:20
निशिता- 00:39
* रात्रि का चतुर्थ प्रहर- 03:20 से 06:01
प्रातः प्रतिक्रमण- 03:20
* नवकारशी- जैन धर्म में महत्वपूर्ण संयम-प्रतिज्ञा है, जो सूर्योदय के 48 मिनट बाद की जाती है, इसमें नवकार मंत्र का जाप करके, पानी और भोजन ग्रहण करने की आज्ञा ली जाती है.
* पोरिसि - सूर्योदय के एक प्रहर बाद तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* साद्ध पोरिसि- सूर्योदय के बाद डेढ़ प्रहर तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* पुरिमद्ध- सूर्योदय के बाद दो प्रहर तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* अवद्ध- सूर्योदय के बाद तीन प्रहर तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* प्रहर- कुल दिन का समय : सूर्योदय से सूर्यास्त लें, इसे चार से भाग दें, तो एक प्रहर का समय प्राप्त होगा.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं, क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!
- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी
जैन धर्म: प्रतिदिन पच्चक्खाण- 28 जुलाई 2025, सोमवार!
प्रेषित समय :21:01:57 PM / Sun, Jul 27th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

