मुंबई. बॉलीवुड में हर नए चेहरे के साथ सिर्फ अभिनय ही नहीं, एक नई बहस भी जन्म लेती है — और इस बार बारी है Ahaan Panday की. मोहित सूरी की फ़िल्म ‘Saiyaara’ की जबरदस्त सफलता के बाद जहां फिल्मी गलियारों में उन्हें अगला स्टार घोषित किया जा रहा है, वहीं एक और अनजाने मोर्चे पर वह सुर्खियों में हैं — उनकी प्राइवेट इंस्टाग्राम प्रोफाइल.
हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, Ahaan की निजी इंस्टाग्राम प्रोफाइल (जिसे ‘फिन्स्टा’ यानी फेक+इंस्टा के नाम से भी जाना जाता है) अब मीडिया की नज़रों में आ चुकी है. चौंकाने वाली बात यह है कि उस प्रोफाइल को फॉलो करने वालों में उन्हीं के को-स्टार्स और बॉलीवुड की नामचीन हस्तियां शामिल हैं — जैसे Aneet Padda, Tara Sutaria, Ananya Panday और फिल्म के निर्देशक Mohit Suri.
इस जानकारी के सामने आते ही सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है. कुछ प्रशंसकों ने सवाल उठाया है — क्या अब कोई भी स्टार बनने से पहले अपना निजी जीवन त्यागने को मजबूर है? क्या किसी कलाकार का 'इंटरनल स्पेस' भी अब मनोरंजन का हिस्सा बन चुका है?
यह सिर्फ एक प्रोफाइल नहीं, एक चेतावनी है
आहान ने अपनी मुख्य पब्लिक प्रोफाइल से अलग यह 'फिन्स्टा' केवल करीबी मित्रों और विश्वासपात्र लोगों के लिए बनाई थी. ऐसे अकाउंट्स आमतौर पर कलाकारों और सेलिब्रिटीज के लिए एक निजी शरण होते हैं जहाँ वे बिना किसी सार्वजनिक दबाव के खुद को अभिव्यक्त कर सकते हैं. लेकिन जब यह स्पेस भी ‘लीक’ होने लगे, तो यह सवाल जरूरी हो जाता है — क्या स्टारडम की कीमत निजता का बलिदान है?
विशेषज्ञों की मानें तो इस घटनाक्रम से बॉलीवुड में एक बड़ा सांस्कृतिक संकेत मिलता है — कि अब कलाकारों की हर डिजिटल चाल भी 'पब्लिक प्रॉपर्टी' बन गई है. पत्रकारिता और फैंडम की आड़ में निजी जीवन की सीमाएं धुंधली होती जा रही हैं.
ये सिर्फ Ahaan की बात नहीं है
यह घटना अकेले Ahaan Panday तक सीमित नहीं. हाल के वर्षों में कई यंग एक्टर्स और सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स ने यह शिकायत की है कि उन्हें हर समय अपने ‘पर्सनल ब्रांड’ को लेकर सतर्क रहना पड़ता है. इंस्टाग्राम, ट्विटर या अब थ्रेड्स जैसे प्लेटफॉर्म्स ने उन्हें खुद का प्रचार करने का मंच तो दिया है, लेकिन वहीं इनकी निगरानी भी चौकन्नी हो गई है.
फैंस की भूमिका भी सवालों के घेरे में
Ahaan की इस ‘फिन्स्टा’ प्रोफाइल को लेकर फैंस के दो पक्ष उभरे हैं. एक वर्ग इसे उनके साथ ‘जुड़ाव’ का माध्यम मानता है, तो दूसरा इसे ‘हद से ज़्यादा हस्तक्षेप’ बता रहा है. इससे यह स्पष्ट है कि आज का दर्शक न सिर्फ पर्दे के पीछे की कहानी जानना चाहता है, बल्कि वह खुद उस कहानी का हिस्सा भी बनना चाहता है.

