भारत बना अमेरिका के लिए मुख्य स्मार्टफोन निर्यातक, चीन को पीछे छोड़ा

भारत बना अमेरिका के लिए मुख्य स्मार्टफोन निर्यातक, चीन को पीछे छोड़ा

प्रेषित समय :20:34:35 PM / Wed, Jul 30th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. एक ऐतिहासिक मोड़ पर, भारत ने पहली बार चीन को पीछे छोड़कर अमेरिका का सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्यातक देश बनने का गौरव हासिल कर लिया है. रिसर्च फर्म Canalys के अनुसार, 2025 की दूसरी तिमाही (अप्रैल–जून) में 44% स्मार्टफोन जो अमेरिका भेजे गए, वे भारत में निर्मित थे — जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह संख्या केवल 13% थी .

इस भारी छलांग का प्रमुख कारण है Apple की China‑Plus‑One रणनीति, जिसके तहत कंपनी ने iPhone की असेंबली का भारी हिस्सा भारत में शिफ्ट कर दिया. यह कदम विशेष रूप से iPhone 16 और अन्य मॉडल के उत्पादन के लिए किया गया है, जिससे अब अमेरिका में बिकने वाले iPhones का अधिकांश हिस्सा भारत से ही सप्लाई हो रहा है .

 आंकड़ों की गहराई और बदलाव का स्वरूप
इसी अवधि में भारत में मोबाइल उत्पादन में 240% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की बदलती भूमिका को दर्शाता है .

दूसरी ओर, चीन की हिस्सेदारी में भारी गिरावट आई — चीन अब केवल 25% अमेरिकी स्मार्टफोन आयात का हिस्सा है, जबकि वर्ष पहले यह 61% से गिरा है .

वियतनाम ने भी इस बदलाव का लाभ उठाया है, और अब अमेरिका में स्मार्टफोन सप्लाई में दूसरा सबसे बड़ा स्रोत बन रहा है, लगभग 30% हिस्सेदारी के साथ .

विश्लेषकों के अनुसार, इस परिवर्तन के पीछे भारतीय विनिर्माण घातांक, लागत फायदे, और Apple सहित अन्य कंपनियों का वैश्विक व्यापार जोखिम को कम करना प्रमुख कारण हैं.

क्यों यह परिवर्तन महत्वपूर्ण है?
1. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की मजबूती
भारत की स्मार्टफोन असेंबली क्षमता अब वैश्विक मानकों पर खरी उतर रही है. Apple, Samsung और Motorola जैसी कंपनियां अब भारत के उत्पादन केंद्रों को प्राथमिकता दे रही हैं .

2. टैरिफ और व्यापार नीतियों का प्रभाव
डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने चीन-निर्मित तकनीकी उत्पादों पर टैरिफ़ बढ़ाए, जिससे Apple जैसे ब्रांडों को आपूर्ति श्रृंखला में विविधता ला‍नी पड़ी. भारत को इससे एक बड़ा फायदा मिला, जबकि चीन और वियतनाम से आयात क्रमशः घटा और थमा .

3. स्थायित्व और रोजगार अवसर
निर्माण वृद्धि के साथ भारत में नौकरी के अवसर बढ़ने की उम्मीद है — चाहे वह असेंबली, सप्लाई-चेन या तकनीकी शिक्षा क्षेत्र हो.

चुनौतियाँ और लंबी अवधि की रणनीति
हालांकि यह बदलाव एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन एनालिस्ट्स इसे टेम्पररी रणनीतिक किसी बदलाव के बजाय स्थायी सक्सेस की कहानी नहीं मान रहे.

Economic Times में प्रकाशित एक विश्लेषण बताता है कि इस उपलब्धि का बड़ा हिस्सा अमेरिका में संभावित टैरिफ से पहले स्टॉक बनाने का कदम था — यानी यह केवल शिपमेंट बूस्टर था, और उपभोक्ता मांग से बिल्कुल अलग था. यदि वाणिज्यिक वातावरण स्थिर होता है, तो कंपनियां फिर से चीन और अन्य स्थलों पर लौट सकती हैं .

 दीर्घकालीन प्रभाव और ‘Make in India’ पहल
यह उपलब्धि भारत की ‘Make in India’ नीति तथा इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के क्षेत्र में दीर्घकालीन निवेश की रणनीति की सफलता को रेखांकित करती है. विश्वस्तर पर Apple, Dixon Technologies, Foxconn और अन्य अधिक उत्पादन भारतीय संयंत्रों में स्थानांतरित कर रहे हैं .

इस स्थिति ने वैश्विक निर्माताओं को भारत में निवेश करने की प्रेरणा दी है और भारत-अमेरिका-चीन जैसे तीनों देशों के बीच तकनीकी प्रतिस्पर्धा के केंद्रबिंदु की भूमिका को दर्शाती है.

भारत ने 44% हिस्सा प्राप्त करके पहली बार अमेरिका को स्मार्टफोन निर्यात में शीर्ष पहुँच हासिल किया है.

Apple की सप्लाई-चेन रणनीतिक बदलाव ने इस वृद्धि को गति दी है, जबकि चीन की हिस्सेदारी में व्यापक गिरावट हुई है.

यह उपलब्धि भारत के लिए केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं, बल्कि वैश्विक तकनीकी मंच पर उसकी नई पहचान और उत्पादन क्षेत्र को मजबूत करती है.

हालांकि वर्तमान रुझान स्थायी हो सकता है या नहीं, यह स्पष्ट है कि भारत वैश्विक स्मार्टफोन असेंबली में अब एक निर्णायक नाम बन चुका है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-