नई दिल्ली, क्रिकेट एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के राजनीतिक संबंधों की चपेट में है. World Championship of Legends (WCL) 2025 का बहुप्रतीक्षित भारत-पाकिस्तान सेमीफाइनल मुकाबला अचानक भारत की वापसी और मैच रद्द होने की वजह से विवादों में घिर गया है. यह निर्णय न केवल खेलप्रेमियों को निराश कर गया, बल्कि टूर्नामेंट की पारदर्शिता, आयोजन की निष्पक्षता और राजनीतिक हस्तक्षेप पर तीखी बहस छेड़ गया है.भारत की सेमीफाइनल से वापसी केवल एक क्रिकेटिंग निर्णय नहीं, बल्कि एक मजबूत राजनीतिक-सांस्कृतिक वक्तव्य बन गई है. इसने एक बार फिर यह दिखा दिया कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्थिति और खिलाड़ियों की गरिमा को प्राथमिकता देगा, भले ही कीमत बड़ी क्यों न हो.
इस प्रकरण ने WCL को भले ही अस्थायी रूप से प्रसिद्ध कर दिया हो, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से टूर्नामेंट की विश्वसनीयता को भारी नुकसान पहुंचा है. आगे आयोजकों को यदि वैश्विक टूर्नामेंटों की प्रामाणिकता बचानी है, तो निष्पक्षता और राजनीतिक निरपेक्षता को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी.
खेल भावना के नाम पर अगर खेल ही सवालों के घेरे में आ जाए, तो यह सिर्फ हार-जीत का मामला नहीं रह जाता — यह विश्वास का संकट बन जाता है.
भारत की ‘वापसी’ या ‘बहिष्कार’?
31 जुलाई को लंदन के लॉर्ड्स मैदान पर भारत और पाकिस्तान के बीच WCL सेमीफाइनल होना था. यह मैच पूर्व खिलाड़ियों और दिग्गजों का मुकाबला था, जो दर्शकों और प्रसारण प्लेटफॉर्म्स के लिए भी एक बड़ी कमाई का जरिया बन गया था. लेकिन ठीक मैच से पहले भारत की टीम ने “तकनीकी और सुरक्षा कारणों” का हवाला देते हुए प्रतियोगिता से हटने का ऐलान कर दिया.
बीसीसीआई के सूत्रों ने इस निर्णय के पीछे खिलाड़ियों की फिटनेस और आयोजन समिति की अनुचित व्यवस्था को कारण बताया, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और दिख रही है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मैच स्थल पर राजनीतिक नारेबाज़ी और पाकिस्तानी समर्थकों की "कश्मीर समर्थक" गतिविधियों से भारतीय टीम असहज महसूस कर रही थी.
पाकिस्तानी टीम सीधे फाइनल में, भारत पर उठे सवाल
मैच रद्द होने के कारण पाकिस्तान की टीम को सीधे फाइनल में प्रवेश दे दिया गया, जिससे WCL की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठने लगे. भारतीय खेल समीक्षकों ने कहा कि टूर्नामेंट आयोजकों को कम से कम भारत की शिकायतों की निष्पक्ष जांच कर फैसला लेना चाहिए था, बजाय सीधे वॉकओवर के.
इस पूरी घटना ने भारत में सोशल मीडिया पर बवाल खड़ा कर दिया. ट्विटर पर "#WCLBoycott", "#IndiaExitWCL", और "#JusticeForLegends" जैसे ट्रेंड्स चलने लगे. पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना ने ट्वीट कर कहा, "हमारे लेजेंड्स को अपमानित करने वाला यह फैसला न केवल क्रिकेट बल्कि खेल भावना के खिलाफ है."
EaseMyTrip ने लिया समर्थन वापस
भारत की वापसी के तुरंत बाद टूर्नामेंट के प्रमुख प्रायोजक EaseMyTrip ने WCL से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा की. कंपनी के संस्थापक निशांत पिट्टी ने ट्विटर पर कहा, “हम भारत के साथ खड़े हैं. जहां खेल भावना और निष्पक्षता का उल्लंघन हो, वहां हमारा साथ नहीं हो सकता.”
इस फैसले ने आयोजकों के लिए वित्तीय और छवि संकट खड़ा कर दिया है. EaseMyTrip के हटने के बाद अब अन्य भारतीय कंपनियां भी प्रायोजन पर पुनर्विचार कर रही हैं.
क्या यह सिर्फ खेल था या परदे के पीछे राजनीति?
भारत-पाक क्रिकेट मैच अक्सर खेल से ज्यादा एक राजनीतिक-राजनयिक घटना बन जाते हैं. इस बार भी कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की वापसी के पीछे केवल सुरक्षा कारण नहीं थे, बल्कि यह एक रणनीतिक संदेश भी था — कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में अपने खिलाड़ियों की गरिमा और राष्ट्रीय अस्मिता से समझौता नहीं करेगा.
खेल समीक्षक हर्षा भोगले ने कहा, “ऐसे टूर्नामेंट तभी सफल हो सकते हैं जब सभी देशों को निष्पक्षता का भरोसा हो. यदि भारत को लगता है कि उसे सम्मानजनक व्यवहार नहीं मिला, तो उसका निर्णय समझा जाना चाहिए.”
भविष्य की चिंता: टूर्नामेंट की साख पर आंच
WCL आयोजकों के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती टूर्नामेंट की साख को बचाना है. भारत जैसी बड़ी क्रिकेट ताकत के बिना न केवल दर्शकों की रुचि कम हो सकती है, बल्कि वैश्विक प्रसारण अधिकारों की वैल्यू भी घट सकती है.
भारत की गैरमौजूदगी में अब टूर्नामेंट का फाइनल पाकिस्तान बनाम वेस्टइंडीज के बीच खेला जाएगा, लेकिन सोशल मीडिया और दर्शकों के रुझान से साफ है कि फाइनल की चमक अब फीकी पड़ गई है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

