विश्व-प्रसिद्ध भविष्यवाणियां! संत मावजी महाराज ने बताया- कैसी होगी दुनिया? कब होगा कल्कि अवतार??

विश्व-प्रसिद्ध भविष्यवाणियां! संत मावजी महाराज ने बताया- कैसी होगी दुनिया? कब होगा कल्कि अवतार??

प्रेषित समय :19:50:00 PM / Thu, Jul 31st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

* प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी (व्हाट्सएप- 8875863494).  
दुनिया में संत मावजी महाराज, नास्त्रेदमस, मदर शिप्टन, कैनेथ मैकेजी, मैरी लेनोर्मा, जीन डिक्सन जैसे अनेक भविष्यवेत्ता हुए हैं, जिन्होने अपनी दिव्यदृष्टि से आनेवाले समय की तस्वीर को देख लिया था और उनकी की गई विश्व-प्रसिद्ध भविष्यवाणियां किसी चमत्कार से कम नहीं हैं.
वागड़ के संत मावजी महाराज ने तीन सौ वर्ष से पहले कई ऐसी सचित्र भविष्यवाणियां कर दी थी, जो आज सच साबित हो रही है.
उन्होंने अपनी आगमवाणी में यह बताया था कि- भविष्य में लोग कैसे होंगे, कैसा समाज होगा, कैसे बदलाव होंगे, कैसे आविष्कार होंगे, यही नहीं, उन्होंने यह भी बताया था कि- कलयुग में कल्कि अवतार क्यों होगा और कब होगा?
वागड़ के बेणेश्वर औदीच्य धाम को तपोस्थली बनानेवाले संत मावजी महाराज ने न केवल चौंकानेवाली भविष्यवाणियां की, कपड़े पर हवाई जहाज, उपग्रह आदि के चित्र भी उकेरे थे, जो आजकल निर्मित मशीनों जैसे ही हैं.
संत मावजी महाराज ने पांच चौपड़े लिखे थे, जिनमें आगमवाणी के अलावा ज्ञान-विज्ञान, धर्म-समाज, साहित्य-संगीत के साथ-साथ अनेक सटीक जानकारियां हैं.
कल्कि अवतार को लेकर संत मावजी महाराज की भविष्यवाणी है.... 
संतन के सुख करण को, हरण भूमि का भार, है कलयुग के अंत में निष्कलंक अवतार!
अर्थात.... संतों के सुख के लिए और धरती पर जो पाप, अपराध का भार है, उसे समाप्त करने के लिए कलयुग के अंत में कल्कि अवतार होगा.
श्रीमद्भागवतम्, कल्किपुराण समेत विभिन्न धर्मग्रन्थों में कल्कि अवतार का वर्णन है, श्रीमद्भागवत-महापुराण के 12वें स्कन्द में इस श्लोक में कल्कि अवतार का उल्लेख है....
सम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः,
भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति!

अर्थात्.... शम्भल नामक ग्राम में उदार हृदय एवं भक्तिभाव वाले विष्णुयश नामक ब्राह्मण की पत्नी के गर्भ से भगवान कल्कि रूप में अवतरित होंगे.
धर्मधारणा के अनुसार भगवान कल्कि, भगवान परशुरामजी को गुरु स्वरूप स्वीकार करके, उनसे युद्ध कौशल की शिक्षा लेंगे, भगवान भोलेनाथ की तपस्या करके उनसे दिव्यास्त्र आदि प्राप्त करेंगे, ऋषि याज्ञवलक्यजी कल्कि भगवान के पुरोहित होंगे.
कल्किपुराण में कल्कि अवतार के जन्म का विस्तृत वर्णन है.... कलियुग के अन्त में शम्भल नामक ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण का विवाह सुमति से होगा, जो दोनों ही अत्यन्त धर्म पारायण एवं मांगलिक कर्म करनेवाले होंगे, सुमति के गर्भ से पुत्र रूप में भगवान कल्कि प्रकट होंगे, उनके- सुमन्त, प्राज्ञ एवं कवि, तीन भाई होंगे.
भगवान कल्कि कलियुग के कुप्रभाव से पीड़ित समस्त प्राणियों की पीड़ा समाप्त करने के लिए भोलेनाथ की उपासना करेंगे, इसके बाद धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे.
धर्मग्रथं के अनुसार भगवान कल्कि का एक विवाह बृहद्रथ की पुत्री पद्मादेवी से होगा, तो दूसरा विवाह देवी रमा से होगा. देवी रमा ही वैष्णो देवी के रूप में भगवान श्रीविष्णु का वरण करने हेतु प्रतीक्षा कर रही हैं.
भगवान कल्कि की दोनों पत्नियों से- जय, विजय, मेघमाल तथा बलाहक नामक पुत्र जन्म लेंगे.
भगवान कल्कि, देवदत्त अश्व पर सवार होकर, दुष्टों का संहार करेंगे.
भगवान कल्कि नन्दक एवं रत्नत्सरू नामक खड्ग, सारङ्ग नामक धनुष, कुमौदिकी नामक गदा तथा पाञ्चजन्य नामक शङ्ख को धारण करेंगे.
कल्कि अवतार में प्रभु जयत्र एवं गारूड़ी नामक रथ पर होंगे, जिनका सारथी- दारूक होगा.
दक्षिण राजस्थान में स्थित बेणेश्वर धाम परिसर में श्रीविष्णु के कल्कि अवतार की प्राचीन मूर्ति है, कई कारणों से बेणेश्वर धाम परिसर आकर्षण का केंद्र हैं....
यहां का स्वयंभू शिवलिंग खंडित है, बावजूद इसके इसकी पूजा होती है.
इस शिवलिंग का आकार लगातार बढ़ रहा है, राजस्थान के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दिवंगत महारावल लक्ष्मण सिंह ने साक्षात्कार के दौरान मुझे बताया था कि- वे नियमितरूप से इसकी पूजा करते रहे हैं और उन्होंने देखा था कि कुछ वर्षों में ही यह शिवलिंग करीब ढाई इंच बड़ा हो गया.
यहां श्रीविष्णु के कल्कि अवतार की मूर्ति है, जिसमें घोड़े पर सवार निष्कलंक भगवान हैं, यह घोड़ा तीन पैर पर खड़ा है, धर्मधारणा है कि जब चौथा पैर धरती पर टिक जाएगा तब धरती पर कल्कि अवतार आएंगे.
यहां हर साल माही, सोम और जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम पर सबसे बड़ा आदिवासियों का कुंभ मेला लगता है, जिसमें लाखों आदिवासी आते हैं.
यहीं संगम में अस्थियां भी विसर्जित की जाती हैं.
संत मावजी महाराज औदिच्यधाम बेणेश्वर के आद्य पीठाधीश्वर हैं, जिनका जन्म साबला गांव में विक्रम संवत् 1771 में माघ शुक्ल पंचमी को हुआ था.
मावजी महाराज ने भविष्यवाणियों सहित विविध धार्मिक ग्रंथ लिखे, जिन्हें मावजी ’महाराज के चौपड़े’ के तौर पर जाना जाता है.
मावजी की पुत्रवधू जनकुंवरी ने बेणेश्वर धाम पर सर्वधर्म-समभाव श्रीविष्णु मंदिर का निर्माण करवाया था.
बेणेश्वर के लिए मावजी महाराज ने कहा था- सब देवन का डेरा उठसे, निष्कलंक का डेरा रहेसे, मतलब.... सबकुछ नष्ट हो सकता है, लेकिन- कलयुग में अवतार लेने वाले निष्कलंक का डेरा रहेगा, जहां सभी धर्मों के लोगों को आश्रय प्राप्त होगा.
मावजी महाराज की भविष्यवाणियां आज भी गाई जाती हैं, जो यह दर्शाती हैं कि उनकी की गई भविष्यवाणियां गुजरते समय के साथ साकार हो रही हैं- डोरिये दिवा बरेंगा (तार पर बल्ब जलेंगे), वायरे वात थायेगा (हवा से बात होगी- मोबाइल), परिये पाणी वेसाये (पानी बेचा जाएगा), गऊं-चोखा गणमा मले (गेंहू-चावल राशन से मिलेंगे), बडद नो भार उतरसे (बैलों के कंधे से भार उतरेगा) आदि.
इस वक्त बेणेश्वरधाम में अच्युतानंद महाराज, मावजी महाराज की धर्म परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-